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नायक वो नहीं जिनपर प्रतिबंध हो : भगत

जनता जनार्दन संवाददाता , Jan 22, 2012, 12:07 pm IST
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नायक वो नहीं जिनपर प्रतिबंध हो : भगत

जयपुर: लेखकों के एक समूह द्वारा सलमान रश्दी की प्रतिबंधित पुस्तक ‘सैटेनिक वर्सेज’ से पंक्तियां पढ़ने को लेकर साहित्य जगत के दो हिस्सों में बंटने के बीच विख्यात भारतीय लेखक चेतन भगत ने कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए प्रतिबंधित पुस्तकों के लेखकों को नायक बनाने को आज अस्वीकार कर दिया।

भगत ने यहां चल रहे जयपुर साहित्य महोत्सव में कहा, ‘हमें उन लोगों को नायक नहीं बनाना चाहिए जो प्रतिबंधित हैं।’’ उन्होंने हालांकि कहा कि हिंसा और कानून को अपने हाथ में लेने अस्वीकार है।

उन्होंने कहा, ‘हर व्यक्ति को उस चीज की निंदा करने का अधिकार है जो उसे आपत्तिजनक लगती है। यदि आपने कुछ ऐसा लिखा है जो लोगों को ठेस पहुंचाती है तो लोगों को भर्त्सना करने का अधिकार है।

लेकिन निश्चित रूप से कानून को अपने हाथ में लेना ठीक नहीं है।’’ जयपुर के साहित्य उत्सव में आए साहित्यकार भले ही इस बात के खिलाफ हैं कि सलमान रश्दी को भारत यात्रा रद्द करने के लिए बाध्य नहीं किया जाए लेकिन विरोधस्वरूप कुछ लेखकों की ओर से उनकी प्रतिबंधित पुस्तक का पाठन करने को लेकर वे आपस में बंटे हुए हैं।

जब से रश्दी की यात्रा की घोषणा हुई है तब से यह विषय इस साहित्य समागम के अन्य पहलुओं पर छाया हुआ है। जब कल रूशदी ने कहा था कि वह इस उत्सव में नहीं आयेंगे तब चार लेखकों ने उनकी प्रतिबंधित पुस्तक ‘सैटेनिक वर्सेज’ पढ़ी थी। उत्सव के आयोजकों ने उनकी यात्रा रद्द होने पर नाखुशी जतायी और कहा कि उन्हें यह मंजूर नहीं है।

हालांकि आयोजन समिति ने कल रात एक बयान जारी कर चार लेखकों के इस कृत्य पर अपनी राय स्पष्ट कर दी कि अपने कृत्य के लिए वे ही जिम्मेदार हैं क्योंकि मना करने के बाद भी उन्होंने पुस्तक को पढ़ा।

लेखक एस आनंद ने चारों लेखकों के कृत्य का जोरदार समर्थन किया है, उन्होंने कहा, ‘मैं हरि कुंजरू, अमिताभ कुमार, जीत थायिल और रूशिर जोशी के रूख का समर्थन करता हूं। मेरी रश्दी से सहानुभूति है।

आयोजकों ने जिस कायरता का काम किया है, मैं उसपर अपनी नाराजगी व्यक्त करता हूं।’ हालांकि कुछ अन्य साहित्यकार इस प्रकरण के लिए आयोजन समिति को जिम्मेदार मानते हैं।

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