|
अमरनाथ यात्रा को लेकर हिन्दुओं से क्यों छिपाया गया इतना बड़ा सच
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Aug 20, 2023, 16:29 pm IST
Keywords: Travels in the Mogul Empire भगवान शिव फ्रेंच डॉक्टर फ्रैंकोइस बेरनर अमरनाथ Amarnath Yatra तीर्थयात्री बाबा बर्फानी
अमरनाथ यात्रा से करोड़ों हिन्दुओं की आस्था जुड़ी हुई है. हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा करते हैं. तमाम जटिलताओं को पार करते हुए बाबा बर्फानी का दर्शन करते हैं. इस साल भी अब तक लाखों शिव भक्त अमरनाथ धाम की पवित्र यात्रा कर चुके हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस साल अब तक 4.4 लाख से अधिक तीर्थयात्री बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं. अब आपको इस पवित्र यात्रा के बारे में ऐसी हकीकत के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में कम ही लोग जानते होंगे. अमरनाथ यात्रा को लेकर एक झूठ सदियों से फैलाया जा रहा है. ये झूठ अमरनाथ यात्रा की खोज को लेकर है. कहा जाता रहा है कि अमरनाथ गुफा की खोज एक मुस्लिम गड़रिए ने की थी जिसका नाम बूटा मलिक था. उसने साल 1850 में अमरनाथ गुफा की खोज की थी. पांचवी शताब्दी में लिंग पुराण लिखा गया था. जिसके 12वें अध्याय के 487 नंबर पेज पर 151 वां श्लोक अरमनाथ यात्रा के साक्ष्य प्रदान करता है. मध्यमेश्वरमित्युक्तं त्रिषु लोकेषु विश्रुतम् । श्लोक में अमरेश्वरं का अर्थ है, अमरनाथ में विराजमान बाबा बर्फानी जिन्हें अमरेश्वर नाम से भी जाना जाता है. 12 वीं शताब्दी में कश्मीर के प्राचीन इतिहासकार कलहड़ ने राजतरंगिणी ग्रन्थ लिखा था. जिसके 280 पेज पर 267वां श्लोक है. इस श्लोक में अमरनाथ यात्रा का जिक्र आपको स्पष्ट तौर पर दिख रहा होगा. अब आपको यकीन हो गया होगा कि अमरनाथ यात्रा को लेकर 1850 की खोज का दावा कितना बड़ा झूठ है. आइन ए अकबरी की बात करें तो इसके दूसरे खण्ड के पेज नंबर 360 पर लिखा है कि एक गुफा में बर्फ की आकृति है जिसे अमरनाथ कहा जाता है. 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासन काल में फ्रेंच डॉक्टर फ्रैंकोइस बेरनर ने Travels in the Mogul Empire नाम से किताब लिखी थी. इसके 418 पेज पर अमरनाथ यात्रा औक भगवान शिव के हिमलिंग और हिन्दू मान्यताओं का स्पष्ट जिक्र है. बता दें कि साल 1850 में अमरनाथ यात्रा की खोज का झूठा दावा सामने आने के बाद से साल 2000 तक बूटा मलिक के वंशज ही अमरनाथ गुफा की देख-रेख की जिम्मेदारी उठा रहे थे और चढ़ाने का एक तिहाई हिस्सा उन्हें मिलता था. साल 2000 में जब देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार आई तो अमरनाथ श्राइन बोर्ड गठित किया गया. जिसके बाद बूटा मलिक के वंशजों को अमरनाथ गुफा से अलग कर दिया गया और उन्हें चढ़ावे का एक तिहाई हिस्सा भी मिलना बंद हो गया. |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
|
हां
|
|
|
नहीं
|
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|
|