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बिहार के पावन छठ पूजा की महिमा का बखान 54 फ्रेंच-भाषाई देशों में : कुमार आशीष, आईपीएस की पहल
कुमार आशीष, आईपीएस ,
Nov 21, 2020, 18:46 pm IST
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![]() आस्था का महापर्व छठ की महिमा निराली है.ये त्यौहार सदियों से बिहारवासियों के मन में अपनी मिटटी और संस्कृति के प्रति लगाव और महान आस्था का संगम है. यह पर्व उन तमाम बिहारवासियों के लिए और खास हो जाता है जो इस वक्त देश-विदेश के किसी और हिस्से में होते हैं. ऐसी ही कुछ निराली बात बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी कुमार आशीष के साथ सन 2006-2007 में यहां से 9000 किलोमीटर दूर फ्रांस में हुई थी.
बिहार के जमुई जिला निवासी आईपीएस ऑफिसर कुमार आशीष के अनुसार 14 साल पहले जब वो फ्रांस में स्टडी टूर पर गए थे, तब वहां एक संगोष्ठी में कुछ फ्रेंच लोगों ने उनसे बिहार के बारे में कुछ रोचक और अनूठा बताने को कहा तो उन्होंने बिहार के महापर्व छठ के बारे में विस्तार से उनलोगों को समझाया.फ्रेंच लोग इससे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कहा कि इस विषय पर फ्रांस के साथ फ्रेंच बोलने-समझने वाले अन्य 54 देशों तक भी इस पर्व की महत्ता और पावन संदेश पहुंचाना चाहिए. स्वदेश लौटने के बाद आशीष ने इस पर्व के बारे में और गहन अध्ययन एवं बारीकी से शोध कर छठ पर्व को पूर्णत: परिभाषित करनेवाला एक लेख "Chhath Pouja: l'adoration du Dieu Soleil" लिखा जोकि भारत सरकार के अंग भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् दिल्ली के द्वारा फ्रेंच भाषा में "rencontre avec l'Inde" नामक किताब में 2013 में प्रकाशित हुई. लेख में क्या है?
इस लेख में आशीष ने छठ पर्व के सभी पहलुओं का बारीकी से विश्लेषण कर फ्रांसीसी भाषा के लोगों के लिए इस महापर्व की जटिलताओं को समझने का एक नया आयाम दिया है. शुरुआत में वे बताते हैं कि छठ मूलत: सूर्य भगवान् की उपासना का पर्व है. चार दिनों तक चलनेवाले इस पर्व में धार्मिक, सामाजिक, शारीरिक, मानसिक एवं आचारिक-व्यावहरिक कठोर शुद्धता रखी जाती है.
'छठ' शब्द सिर्फ दिवाली के छठे दिन का ही द्योतक नहीं है बल्कि ये इंगित करता है की भगवान् सूर्य की प्रखर किरणों की सकारात्मक ऊर्जा को हठ योग के छह अभ्यासों के माध्यम से एक आम आदमी कैसे आत्मसात कर सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो सकता है? इस पर्व के हर छोटे से छोटे विधान की योगिक और वैज्ञानिक महत्ता है, मसलन, साल में दो बार क्यों मनाया जाता है यह पर्व? सूर्य की उपासना के वक़्त जल में खड़े रहने का आधार है? डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे का विचार है? सूप और दौरे का पूजा में क्या महत्व है? यह पूजा ऋग्वेद काल से शुरू हुई, महाभारत में धौम्य ऋषि के कहने पर द्रौपदी ने पांचो पांडवों के साथ छठ पर्व कर सूर्य की कृपा से अपना खोया राज्य वापस प्राप्त किया था. बिहार में इसका प्रचलन सूर्यपुत्र अंगराज कर्ण से शुरू होना माना जाता है. छठ पूजा बिहार के प्रसिद्ध पर्वों में से एक है। छठ पर्व, छठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। आजकल इसका स्वरुप वैश्विक हो चला है, मुंबई, दिल्ली, भोपाल, बेंगलुरु, मॉरिशस, अमेरिका, कनाडा समेत कई स्थानों से इस पावन पर्व को मनाये जाने की सूचना विभिन्न सोशल मीडिया के माध्यमों से होती रहती है. प्रायः हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते देखे गये हैं। धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है।छठ पूजा सूर्य और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की देवतायों को बहाल करने के लिए धन्यवाद और कुछ शुभकामनाएं देने का अनुरोध किया जाए। प्रारम्भ में छठ में कोई मूर्तिपूजा शामिल नहीं थी, कालांतर में सूर्यदेव तथा छठी मैय्या की मूर्तियों का प्रचलन भी शुरू हो चुका है । |
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