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कर्नाटक की राजनीति तय करेगी राहुल का भविष्य, मोदी का 2019 दांव और कुमारस्वामी का वजूद

कर्नाटक की राजनीति तय करेगी राहुल का भविष्य, मोदी का 2019 दांव और कुमारस्वामी का वजूद बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों पर न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साल 2019 में लोकसभा के आम चुनावों की रणनीति और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भविष्य टिका हुआ है, बल्कि इस पर राज्य के एक बड़े नेता कुमारस्वामी का समूचा सियासी वजूद ही टिक गया है.

तीन महीने से अधिक समय तक चले कटुतापूर्ण चुनाव अभियान के बाद आज कर्नाटक में त्रिकोणीय मुकाबले में नई विधानसभा चुनने के लिए मतदान होगा. ज्यादातर सर्वेक्षणों एवं ओपिनियन पोल के अनुसार सत्तारुढ़ कांग्रेस और भाजपा सत्ता के दो प्रबल दावेदार हैं, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा का जनता दल सेक्‍युलर किंगमेकर की भूमिका निभा सकता है.

राज्य में 4.98 करोड़ से अधिक मतदाता हैं जो 2600 से अधिक उम्मीदवारों के बीच से अपने प्रतिनिधियों का चुनाव कर सकेंगे. इन मतदाताओं में 2.52 करोड़ से अधिक पुरुष, करीब 2.44 करोड़ महिलाएं तथा 4,552 ट्रांसजेंडर हैं. चुनाव कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि राज्य में 55,600 से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए हैं. कुछ सहायक मतदान केंद्र भी होंगे.

चुनाव आयोग के अनुसार राज्य में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए 3.5 लाख से अधिक कर्मी चुनाव ड्यूटी पर होंगे. जनजातीय क्षेत्रों में कुछ मतदान केंद्र संबंधित स्थान के पारंपरिक रूप में नजर आएंगे. पहली बार कुछ चुनिंदा मतदान केंद्रों पर दिव्यांग कर्मचारी ड्यूटी पर होंगे. सूत्रों ने बताया कि लोग मोबाइल एप्प से मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की कतार की स्थिति के बारे में जान पाएंगे.

वैसे 1985 के बाद से कर्नाटक में कोई भी दल लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आ पाया है. 1985 में रामकृष्ण हेगड़े की अगुवाई में जनता दल दोबारा सत्ता पर काबिज हुआ था. कांग्रेस, पंजाब के बाद एकमात्र बड़े राज्य पर काबिज रहने के लक्ष्य पर केंद्रित है जबकि भाजपा कर्नाटक में अपनी सरकार बनाने के लिए जुटी हुई है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि कर्नाटक पार्टी के लिए दूसरी बार दक्षिण में कदम रखने का द्वार होगा.

भाजपा ने सिर्फ एक बार 2008 से 2013 तक कर्नाटक में शासन किया था, लेकिन उसका कार्यकाल पार्टी की अंदरूनी कलह और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा रहा था. उसके तीन मुख्यमंत्रियों में से एक और फिलहाल मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बी एस येदियुरप्पा भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में थे. जनता दल सेक्‍युलर के अध्यक्ष एच डी कुमारस्वामी ने माना है कि उनकी पार्टी के लिए यह जीवन-मरण का सवाल है. जदएस एक दशक से सत्ता से बाहर है.

कांग्रेस को विश्वास है कि वह लगातार सत्ता में नहीं आने के चलन को तोड़ेगी और सिद्धारमैया ने कहा कि उनकी पार्टी इतिहास रचेगी. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मुझसे अक्सर कहा जाता है कि इतिहास मेरे विरुद्ध है क्योंकि लंबे समय से कर्नाटक में कोई सरकार दोबारा नहीं चुनी गई. लेकिन हम यहां इतिहास रचने के लिए हैं, न कि उसका पालन करने के लिए.’’

उधर, कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा ने यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी कि इतिहास दोहराया जाए. वैसे भाजपा ने ‘मिशन 150 ( सीट )’ के साथ अपना अभियान शुरू किया था, लेकिन शाह ने गुरुवार को कहा कि पार्टी 130 से अधिक सीटें जीतेगी. 2013 के विपरीत भाजपा इस बार एकजुट है. पिछले चुनाव में वह येदियुरप्पा की केजीपी, बी श्रीरामुलू की बीएसआर कांग्रेस जैसे धड़ों में बंटी थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के लिए ताबड़तोड़ प्रचार किया जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी. सिद्धारमैया समेत चार वर्तमान एवं पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव मैदान में हैं. येदियुरप्पा शिकारीपुरा से, कुमारस्वामी चेन्नापटना और रमनगारा से तथा भाजपा के जगदीश शेट्टार हुब्बली धारवाड़ से चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं.

राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा की 222 सीटों के लिए आज मतदान होगा. जयनगर सीट पर मतदान भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान विधायक बी एन विजयकुमार के निधन के चलते स्थगित किया गया है. वहीं, आर आर नगर विधानसभा क्षेत्र में हजारों फर्जी वोटर आईडी कार्ड मिलने के बाद मतदान स्‍थगित किया गया है.

वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने 122 सीटें जीती थीं. भाजपा और जदएस को 40-40 सीटें मिली थीं. कर्नाटक जनता पक्ष को छह, बडवारा श्रमिकारा रैयतरा को चार, कर्नाटक मक्कल पक्ष, समाजवादी पार्टी और सर्वोदय कर्नाटक पक्ष को एक-एक सीटें मिली थीं और नौ निर्दलीय विजयी रहे थे. मतगणना 15 मई को होगी. जाहिर है उसी दिन जनता का नतीजा यह स्पष्ट भी कर देगा कि आने वाले कल में देश की सियासत कहां जा रही.
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