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इसरो का नौवहन उपग्रह 'आईआरएनएसएस-1आई' अंतरिक्ष में, पीएसएलवी की 43वीं उड़ान
अजय पुंज ,
Apr 12, 2018, 9:17 am IST
Keywords: IRNSS-1i ISRO Navigation satellite NavIC constellation Sriharikota PSLV GSLV IRNSS-1i mission Navigation satellite IRNSS 1A satellite IRNSS 1I navigation satellite ISRO mission भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो नेविगेशन सैटेलाइट नौवहन उपग्रह पीएसएलवी-सी41 पीएसएलवी आईआरएनएसएस-1आई भारतीय अंतरिक्ष मिशन
![]() पीएसएलवी-सी41 या फिर आईआरएनएसएस-1आई का प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से किया गया. इसरो के अधिकारियों ने कहा कि यह सब सामान्य तरीके से हुआ. सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़े जाने के 19 मिनट बाद कक्षा में अपनी जगह पर स्थापित हो गया. इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने मिशन को सफल बताते हुए इसके पीछे लगे वैज्ञानिकों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आईआरएनएसएस-1आई सफलतापूर्व अपनी कक्षा में स्थापित हो गया है. आईआरएनएसएस-1आई सात नेविगेशन सैटेलाइट में से पहले आईआरएनएसएस-1ए की जगह लेगा. उपग्रह पुंज इस तरह का आठवां उपग्रह है. पीएसएलवी-सी41/आईआरएनएसएस-1 आई मिशन को आज सुबह चार बजकर चार मिनट पर प्रक्षेपित किया. गौरततलब है कि पीएसएलवी-सी41/आईआरएनएसएस-1 आई स्वदेश ई-तकनीक से निर्मित नौवहन उपग्रह है. आईआरएनएसएस-1 आई अब आईआरएनएसएस-1डी की जगह लेगा जो सात नौवहन उपग्रहों में से पहला है और यह तीन रुबिडियम परमाणु घड़ियों के फेल होने के बाद निष्प्रभावी हो गया था. सातों उपग्रह नैवआईसी नौवहन उपग्रह पुंज का हिस्सा हैं. यह प्रक्षेपण प्रतिस्थापन उपग्रह भेजने का इसरो का दूसरा प्रयास है. पिछले साल अगस्त में आईआरएनएसएस-1एच को ले जाने का पीएसएलवी का पूर्ववर्ती मिशन तब फेल हो गया था जब उपग्रह को वायुमंडल की गर्मी से बचाने के लिए इसे ढककर रखने वाला कवच (हीट शील्ड) अलग नहीं हो पाया था. बता दें कि भारत का ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान अपनी 43वीं उड़ान में (पीएसएलवी-सी41) 41वें व्यवस्था क्रम में आईआरएनएसएस-1आई उपग्रह को श्ररीहिरकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम प्रक्षेपण पैड से प्रक्षेपित किया गया.’ आईआरएनएसएस-1आई मिशन प्रक्षेपण जीएसएलवी एमके-दो के जरिए जीसैट-6ए प्रक्षेपण के 14 दिन बाद हुआ. रॉकेट ने हालांकि जीसैट-6ए को कक्षा में प्रक्षेपित कर दिया था, लेकिन इसरो का उपग्रह से संपर्क टूट गया. करीब 2420 करोड़ की लागत से बने नेविगेशन सैटेलाइट की मदद से नक्शा बनाने में मदद मिलेगी और इस लिहाज से यह सेना के लिए भी बेहद कारगर साबित होगी. इतना ही समुद्री रास्ते और मौसम के बारे में भी यह उपग्रह सटीक जानकारी मुहैया कराएगी. |
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