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जानिए भौतिक विज्ञानी मैक्स बोर्न को, गूगल जिनका 135वां जन्मदिन डूडल बना कर मना रहा

जानिए भौतिक विज्ञानी मैक्स बोर्न को, गूगल जिनका 135वां जन्मदिन डूडल बना कर मना रहा नई दिल्लीः सर्च इंजन गूगल आज डूडल के रूप में नोबेल पुरस्कार विजेता जाने-माने जर्मन भौतिक वैज्ञानिक मैक्स बोर्न का 135 वां जन्मदिन मना रहा है. भौतिक विज्ञान और गणित में मैक्स बोर्न का अहम योगदान है. बोर्न ने क्वांटम मैकेनिक्स के महत्वपूर्ण नियम दिए हैं.

क्वांटम मैकेनिक्स भौतिकी विज्ञान की वह शाखा है जो पदार्थ के सूक्ष्मतम कणों का अध्ययन करता है. मैक्स बॉर्न के खोज क्वांटम मैकेनिक्स के आधार स्तंभ बने और इसी सिद्धांत के आधार पर कई आधुनिक यंत्र विकसित किये गये.

बोर्न 'बोर्न नियम' के खोजकर्ता हैं, इस सिद्धांत के अंतर्गत क्वांटम सिस्टम में मौजूद किसी पार्टिकल की संभावित स्थिति पता लगाई जाती है. 'बोर्न नियम' से पहले यह माना जाता था, अगर आपको किसी पार्टिकल की निश्चित स्थिति जानने के लिए कई प्रयोग और ढेर सारी कैलकुलेशन की जरुरत पड़ती थी.

बोर्न ने मैट्रिक्स और प्रोबैबिलिटी नियम के जरिए इसको आसान बनाया है. इस तकनीक का इस्तेमाल आज कंप्यूटर, लेज़र, एम आर आई, मेडिकल सहित कई क्षेत्रों में किया जाता है.

विज्ञान की इस अद्भूत प्रतिभा का जन्म जर्मनी के ब्रेसालू में 11 दिसंबर 1882 को हुआ था. इनके पिता का नाम गुस्ताव बॉर्न था और मां थी मिसेज मारग्रेट. छात्र जीवन में मैक्स बॉर्न बेहद प्रतिभाशाली थे. उन्होंने ग्वाटिगेन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और इसके बाद सैद्धांतिक भौतिकी के प्रोफेसर बन गये.

बतौर प्रोफेसर मैक्स बॉर्न ने अपने वक्त में दुनिया के तेज-तर्रार वैज्ञानिकों के साथ काम किया. जर्मनी में नाजी शासन (1933) के दौरान उन्हें अपना देश छोड़ना पड़ा. मैक्स बॉर्न इंग्लैंड आ गये और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में बतौर लेक्चरर तीन साल तक पढ़ाया. एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में भी उन्होंने 20 सालों तक भौतिकी के सिद्धांत छात्रों को पढ़ाये इस दौरान वे रिसर्च भी करते रहे.

1954 में मैक्स बॉर्न की मेधा का दुनिया ने लोहा माना और उन्हें भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मैक्स बॉर्न की ये खोज विज्ञान जगत में बॉर्न रूल के नाम से प्रसिद्ध हुआ. दरअसल बॉर्न रूल एक क्वांटम थियरी है जिसमें तरंग कणों के लोकेशन का मैथेमेटिकल प्रॉबैब्लिटी के माध्यम से पता लगाया जाता है. बॉर्न रूल ने पुराने सिद्धांतों को चुनौती दी और विज्ञान के क्षेत्र में कई उलट फेर किये. वर्तमान युग का क्वांटम फिजिक्स डॉ बॉर्न के सिद्धांत पर ही आधारित है.
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