ऐसा क्यों होता है कि हम दोस्तों की समस्याएं तो सुलझा लेते हैं, अपनी ?

जनता जनार्दन डेस्क , Nov 01, 2017, 12:41 pm IST
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ऐसा क्यों होता है कि हम दोस्तों की समस्याएं तो सुलझा लेते हैं, अपनी ?

टोरंटो: शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया है कि हम अक्सर दूसरे लोगों की समस्याएं सुलझाने में तो सफल रहते हैं लेकिन अपनी खुद की समस्याओं का हल नहीं कर पाते, चाहे वह समस्या प्यार संबंधी हो या कार्यस्थल के तनाव से जुड़ा.

क्या कहते हैं शोधकर्ता-
शोधकर्ताओं का कहना है कि जहां हम अपने दोस्तों की समस्याओं पर बुद्धिमानी के साथ और पूरी निष्पक्षता से ध्यान देते हैं, हम अपनी खुद की समस्याओं को व्यक्तिगत, दोषपूर्ण, भावनात्मक तरीके से देखते हैं.

‘साइकोलॉजिकल साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में व्यक्तिगत आदर्शों और तर्क के बीच संबंध की पड़ताल की गयी है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू के एलेक्स हूइन ने कहा कि हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि वे लोग जो सच्चे मकसदों को महत्व देते हैं, खुद के लिए बुद्धिमानी से तर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं और व्यक्तिगत पक्षपातों से पार पा सकते हैं.

कैसे की गई रिसर्च-
रिसर्च में विश्वविद्यालय के 267 छात्रों को शामिल किया गया था. एक दूसरी ऑनलाइन रिसर्च में भी इसी तरह के नतीजे आए.

हूइन ने कहा कि हर किसी के अपने नजरिये को बहुत ज्यादा तवज्जों देने की पूरी संभावना होती है लेकिन जरूरी नहीं कि हर किसी के साथ ऐसा ही हो.

रिसर्च के नतीजे-
रिसर्च के इन निष्कर्षों से पता चलता है कि आपका खुद का व्यक्तित्व और प्रेरणा पाने की प्रवृत्ति आपकी निजी समस्याओं से ज्यादा बुद्धिमानी एवं धैर्य के साथ ध्यान देने में आपकी क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं

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