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अलविदा रियो ओलिंपिक, टोक्यो में फिर मिलेंगेः पहले पर अमेरिका, 67वें पर भारत
जनता जनार्दन डेस्क ,
Aug 22, 2016, 14:57 pm IST
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![]() अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष थामस बाक ने स्थानीय समयानुसार रविवार रात 10.30 बजे (भारतीय समयानुसार सोमवार सुबह 7 बजे) माराकाना स्टेडियम में टोक्यो में 2020 में मिलने के वादे के साथ इन खेलों का समापन किया. टोक्यो को 2020 ओलंपिक की मेजबानी दी गई है और उसने अपने प्रधानमंत्री शिंजो एबे के नेतृत्व में 32वें ओलिंपिक खेलों की तैयारियों की अपनी झलक पेश की. बाक ने इस दौरान रियो के मेयर एडवर्डो पेस से ओलिंपिक झंडा लेकर टोक्यो की मेयर (गवर्नर) यूरीकी कोइके को सौंपा. बाक ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘हम यहां मेहमान बनकर आए और दोस्त बनकर आपके साथ रहे। यह हमारे लिए जीवन भर नहीं भूलने वाला अनुभव रहेगा. दुनिया हमेशा से ब्राजील को एक शानदार मेजबान के तौर पर जानती है लेकिन रियो ओलिंपिक के बाद उसका विश्वास यकीन में बदल गया है। इस शानदार आयोजन के लिए आपका धन्यवाद रियो. अब मैं 31वें ओलिंपिक खेलों के समापन की घोषणा करता हूं. टोक्यों में मिलने के वादे के साथ.’’ इससे पहले ओलंपिक ध्वज को उतारा गया और इसे अगले ओलंपिक खेलों के मेजबान तोक्यो 2020 के प्रतिनिधियों को सौंपा गया. बाक ने ध्वज तोक्यो की गवर्नर यूरिको कोइके को सौंपा. जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने आधुनिक तकनीक वाले इस शो के एक छोटे लेकिन प्रभावी हिस्से में ‘सी यू इन तोक्यो’ परफोर्मेंस के दौरान रोमांचक प्रवेश किया. खिलाड़ियों ने प्रतिस्पर्धा संपन्न होने के बाद सर्द हवा और बारिश के बावजूद जश्न के माहौल का पूरा लुत्फ उठाया. लगभग तीन घंटे लंबे समापन समारोह के दौरान बारिश लगातार जारी रही लेकिन खिलाड़ियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा जो बरसाती के साथ उतरे और इस दौरान उनमें से कई गाना गाने के अलावा नाच रहे थे और सेल्फी ले रहे थे. खिलाड़ियों ने मैदान पर प्रवेश दिया तो परंपरा के अनुसार युनान की टीम सबसे पहले उतरी। ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने भारतीय दल की अगुआई की और ध्वजवाहक बनी. साक्षी ने रियो खेलों में कांस्य पदक के साथ भारत के पदकों का खाता भी खोला था। भारत की ध्वजवाहक बनने का सम्मान साक्षी को मिला क्योंकि रजत पदक विजेता पीवी सिंधू रविवार को ही स्वदेश लौट गई. समारोह में पुरुष और महिला हाकी टीमों के पहलवानों और मुक्केबजों में शिव थापा और मनोज कुमार सहित लगभग 50 खिलाड़ियों ने खिलाड़ियों की परेड में हिस्सा लिया. भारत एक रजत और एक कांस्य पदक के साथ खेलों में 67वें स्थान पर रहा. अमेरिका ने 46 स्वर्ण, 37 रजत और 38 कांस्य के साथ कुल 121 पदकों के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया. मेजबान ब्राजील सात स्वर्ण, छह रजत और छह कांस्य के साथ 13वें स्थान पर रहा. ब्राजील ने एक दिन पहले इसी स्टेडियम में जर्मनी को हराकर पहली बार पुरुष फुटबॉल का स्वर्ण पदक जीता था और रियो 2016 के निर्णायक लम्हों के दौरान जब नेमार और उसेन बोल्ट जैसे खिलाड़ियों को दिखाया गया तो लोगों ने तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया. आतिशबाजी के बीच 13 हिस्सों के समापन समारोह की शुरुआत हुई जिसमें ‘विमानन जगत के पिता’ माने जाने वाले सांतोस ड्यूमोंट को श्रद्धांजलि दी गई. माराकाना में दर्शकों का स्वागत किया गया. प्रोजेक्शन के जरिये उड़ते हुए पक्षी की नजर से मेजबान शहर रियो डि जिनेरियो के प्रसिद्ध हिस्सों को दिखाया गया जिसमें क्रिस्ट द रिडीमर, सुगरलोफ शामिल रहे और इसका अंत पांच ओलंपिक छल्लों के निर्माण के साथ हुआ. इसके बाद संगीत छा गया. रियो के सांबा के आइकन मार्टिन्हो डा सिल्वा ने अपनी तीन बेटियों के साथ ‘कारिनहोसो’ पर सोलो परफोर्मेंस दी जो ब्राजील के सबसे लोकप्रिय गानों में से एक है। ब्राजील के राष्ट्रगान को 27 बच्चों ने गाया जो देश के 26 राज्यों और एक संघीय जिले का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। खेलों के असल नायकों शरणार्थी ओलंपिक टीम सहित 207 टीमों के खिलाड़ियों ने एक साथ स्टेडियम में प्रवेश किया और एकजुटता तथा दोस्ती का संदेश दिया. इलेक्ट्रोनिक म्यूजिक के सुपरस्टार काइगो और गायक-गीतकार जूलिया माइकल्स ने इसके बाद ‘कैरी मी’ गाने के साथ खिलाड़ियों की परेड का अंत किया. इसके बाद ब्राजील के आर्टिस्टों ने परफोर्म किया. अगले चरण में रियो में अहम लम्हों का दो मिनट का वीडियो दिखाया गया जबकि इसके बाद अंतिम स्पर्धा पुरुष मैराथन का पदक वितरण समारोह दिखाया गया। तोक्यो 2020 को 11 मिनट 45 सेकेंड का कार्यक्रम समर्पित रहा जिसमें जापानियों ने आभार जताया और अपने जज्बे, प्रतिबद्धता, साहस और उम्मीद का प्रदर्शन किया जिससे चार साल के समय में और बड़ी सफलता हासिल की जा सके। इसके बाद आधिकारिक प्रोटोकॉल स्पीच दी गई. माराकाना स्टेडियम में हुई आतिशबाजी ने इसके बाद रात के समय रियो के आकाश को जगमगा दिया और अंत में ओलंपिक मशाल को बुझा दिया गया जिससे खेलों के इस महासमर को अंतिम विदाई दी गई. बाक ने इस दौरान स्वयंसेवकों, खिलाड़ियों और पहली बार आलंपिक में हिस्सा ले रही शरणार्थी ओलंपिक टीम को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, ‘आपने, दुनिया भर के खिलाड़ियों ने हमें दुनिया को एकजुट करने में खेलों की ताकत दिखाई। एक साथ मिलकर हम और आगे जा सकते हैं. एक साथ मिलकर हम ऊंचा लक्ष्य बना सकते हैं. अपनी विविधता में हम एकजुट हैं, हम मजबूत हैं.’ उन्होंने कहा, ‘धन्यवाद, प्रिय शरणार्थी खिलाड़ियों। आपने अपनी प्रतिभा और मानवीय भावना से हमें प्रेरित किया. आप दुनिया भर के लाखों शरणार्थियों के लिए उम्मीद की किरण हो। आप इन ओलंपिक के बाद भी हमारे साथ रहेंगे.’ रियो में बीते 16 दिनों में दुनिया भर के 206 देशों और क्षेत्रों से आए 10 हजार से अधिक एथलीटों ने शानदार ओलिंपिक भावना के साथ अपने फन और हुनर का प्रदर्शन करते हुए अरबों लोगों का मनोरंजन किया. अब ये खिलाड़ी अपने-अपने हिस्से आए पदकों के साथ वतन वापसी करेंगे और सफलता का जश्न मनाएंगे. जिनके हाथ सफलता नहीं लगी, वे हार का आकलन करेंगे और टोक्यो-2020 में फिर से अपनी श्रेष्ठता साबित करने का प्रयास करेंगे. इस साल का खास आकर्षण शरणार्थी टीम रही, जिसने आईओसी के झंडे तले ओलिंपिक में हिस्सा लिया. पूरी दुनिया ने इस टीम को प्यार दिया और इसी प्यार और सम्मान की बदौलल इस टीम ने एक स्वर्ण और एक कांस्य हासिल किया तथा पदक तालिका में भारत जैसे कई देशों से ऊपर रही. |
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