चीन को बर्बाद करने के लिए तैनात हो रहीं आकाश मिसाइलें
जनता जनार्दन डेस्क ,
Aug 22, 2014, 16:46 pm IST
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नई दिल्ली: चीन से सटी 4,057 किलोमीटर लंबी सीमा पर ड्रैगन की हरकतों से निपटने के लिए भारत अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक चीन की ओर से सैन्य ताकत बढ़ाने और सीमा उल्लंघन को लेकर भारत ने पूर्वोत्तर इलाके में जमीन से हवा में मार करने वाली छह आकाश मिसाइलें तैनात करने की योजना बनाई है। ये आकाश मिसाइलें चीन के लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टर और ड्रोन से होने वाले किसी भी तरह के हमलों का जवाब देने में सक्षम है। इससे पहले भारतीय वायुसेना ने तेजपुर और चबुआ में सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान तैनात किए थे। भारतीय वायुसेना ने चीन की सीमा के नजदीक तेजपुर और चबुआ के अलावा बरेली में भी सुखोई विमान की तैनाती की है। वायुसेना ने लद्दाख के न्योमा और दौलत बेग ओल्डी में विमानों और हेलिकॉप्टरों को लैंड कराने के लिए एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) का विकास किया है। भारत-चीन-म्यांमार की सीमा पर मौजूद विजयनगर में भी एएलजी का विकास किया गया है। इसी तरह के एएलजी का विकास पूर्वोत्तर के पासीघाट, मेचुका, वेलॉन्ग, टूटिंग और जीरो जैसे इलाकों में किया जा रहा है। भारत ने अपनी फौजी ताकत मजबूत करने के तहत 5,000 किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि-5 इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का विकास कर रहा है। इस मिसाइल के बूते चीन से सटी भारत की सीमा से चीन के किसी भी हिस्से पर हमला किया जा सकेगा। यही नहीं, जमीन पर किसी भी तरह की चीनी हरकत का जवाब देने के लिए भारतीय सेना 64,678 करोड़ रुपए खर्च कर माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स का भी विकास कर रही है। इसमें 90 हजार सैनिक शामिल होंगे। इस कॉर्प्स की तैनाती 2018-2019 तक होने की उम्मीद है। |
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