ASI को शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करने का दिया आदेश

जनता जनार्दन संवाददाता , May 12, 2023, 18:19 pm IST
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ASI को शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करने का दिया आदेश

ज्ञानवापी परिसर में मिले 'शिवलिंग' की जांच को लेकर दाखिल याचिका पर शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने संबंधित विभागों को जरूरी सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए हैं. इससे पहले हिंदू पक्ष की याचिका को निचली अदालत ने खारिज कर दिया था. इसके बाद हिंदू पक्ष की महिलाओं ने हाईकोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी.

इस मामले में अहम आदेश देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी ASI को परिसर में मिले 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग की इजाजत दे दी है. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि ढांचे को किसी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए.

दरअसल लक्ष्मी देवी और अन्य ने एक याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की थी. इसमें सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की जांच और साइंटिफिक सर्वे करने की मांग की गई थी. इस याचिका को हाई कोर्ट ने मंजूर कर लिया. हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र ने वाराणसी कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए एएसआई को बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचे कार्बन डेटिंग करने का फरमान सुनाया है. 

इस मामले में ज्ञानवापी मस्जिद की ओर से एसएफए नकवी और राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और मुख्य स्थायी अधिवक्ता विपिन बिहारी पांडे के साथ-साथ वकील विष्णु शंकर जैन और हरिशंकर जैन ने पक्ष रखा. 

भारत सरकार के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह से कोर्ट ने सवाल किया कि क्या कार्बन डेटिंग बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना हो सकती है. कार्बन डेटिंग के जरिए शिवलिंग की उम्र का पता चल जाएगा. जवाब में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी एएसआई ने कहा कि कार्बन डेटिंग बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना हो सकती है. 

गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कई महीनों पहले कमीशन कार्यवाही की गई थी. तब सर्वे के दौरान परिसर में 16 मई 2022 को कथित तौर पर 'शिवलिंग' मिला था. इसके बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) से इसका साइंटिफिक सर्वे कराए जाने को लेकर वाराणसी की जिला अदालत में याचिका दाखिल की गई थी. लेकिन वाराणसी कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का फरमान सुनाया है. चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, ऐसे में सिविल कोर्ट के पास आदेश देने का हक नहीं है.

 

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