शिवम आशुतोष ने जिलाई चंदौली में सिविल सर्विसेज की मशाल, बने आईएएस

शिवम आशुतोष ने जिलाई चंदौली में सिविल सर्विसेज की मशाल, बने आईएएस चंदौलीः बिहार राज्य से सटा चंदौली जनपद अपनी जातीय कट्टरता और पुरातन सोच के लिए मशहूर है. शिक्षा यहां आजीविका की वजह नहीं है. डिग्री और दबंगई का साथ आपस में जरूर है. ऐसे माहौल में इस इलाके से किसी भी होनहार का सिविल सेवा में चुना जाना एवरेस्ट पर फतह से ज्यादा कठिन है. पर जिले के धानापुर विकासखंड के नेकनामपुर निवासी शिवम आशुतोष ने यह कारनामा कर दिखाया है. उन्हें सिविल सेवा परीक्षा के हालिया रिजल्ट में ४४७वीं रैंक हासिल हुई है. उनकी इस सफलता से इलाके में जहां खुशी है, वहीं युवाओं में सिविल सेवाओं के प्रति रुझान बढ़ने के आसार हैं.

हालांकि शिवम आशुतोष ने स्नातक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से की है, पर वह अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, पारिवारिक मित्रों और शुभेच्छुओं को देते हैं. उनका कहना है कि अगर आपके मन में लगन हो और खुद के प्रति भरोसा तो आईएएस बनना कोई बहुत मुश्किल लक्ष्य नहीं है. पर इसके लिए नियमित तौर पर मन लगाकर पढ़ना जरूरी है. जरूरी नहीं कि यह पढ़ाई हर दिन आठ-दस घंटे की ही हो, पर जितना भी पढ़िए, मन लगाकर पढ़ाई करिए. उन्होंने खुद भी यही किया और लक्ष्य हासिल होने तक पढ़ाई में निरन्तरता बरकरार रखी.

अपनी सफलता को अपने पिताजी की सफलता से जोड़कर देखने वाले शिवम आशुतोष का कहना था कि जिस जमाने में खेती ही सब कुछ थी, उस जमाने में भी उनके पिता जी ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तरफ ध्यान दिया और वे न्यायिक सेवाओं में चुने गए. उन्होंने इसके लिए न केवल पारिवारिक बल्कि इलाके का भी ट्रेंड बदला. आज वह बलिया में अपर जिला जज के रूप में नियुक्त हैं. उन्हीं की प्रेरणा से हम भाई बहन प्रतियोगी परीक्षाओं की तरफ उन्मुख हुए. बड़ी बहन निवेदिता न्यायिक सेवाओं की तैयारी कर रही हैं. मेरी रुझान प्रशासनिक सेवा में थी. इसीलिए पढ़ाई मेरा पहला प्यार था. मैंने हाईस्कूल की परीक्षा में इलाहाबाद के महर्षि पतंजली विद्या मंदिर में पंचानबे प्रतिशत अंक हासिल किया. इंटर में मथुरा आर्मी पब्लिक स्कूल से चौरानबे प्रतिशत अंक हासिल किए. दिल्ली विश्वविद्यालय में समाज शास्त्र को ऑनर्स के रूप में लिया, जो मेरे सिविल सर्विसेज का भी विषय था.

सिविल सेवा परीक्षा की सफलता का टिप्स देते हुए शिवम आशुतोष का कहना है कि अपने विषय की अच्छी जानकारी, एनसीआरटी की किताबों के अलावा करंट अफेयर पर आपकी पकड़ होनी ही चाहिए. इसके लिए समाचार पत्र, पत्रिकाओं और अब अच्छी वेबसाइट की भूमिकाओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता. इसी तरह इंटरव्यू में आपको अपनी पसंद से लेकर आत्मविश्वास तक हर तरफ सतर्क रहना होगा. अपने साक्षात्कार पर उनका कहना था कि यह पच्चीस मिनट तक चला जिसमें उनसे कश्मीर समस्या के समाधान पर उनकी राय, उनकी संगीत की रुचियों यानी गिटार, पसंदीदा खेल क्रिकेट और पसंदीदा खिलाड़ी राहुल द्रविड़ के बारे में पूछा गया. सभी सवालों पर उनकी स्पष्टता ने आज उन्हें सफलता दिलाई. शिवम आशुतोष के मुताबिक अगर आप समाज को अपना सकारात्मक योगदान देना चाहते हैं तो सिविल सेवा एक बेहतर और संभवतः उम्दा विकल्प है.    
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