हिंदी भारतीयता की आत्मा: हिंदी दिवस पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

हिंदी भारतीयता की आत्मा: हिंदी दिवस पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हिंदी दिवस पर राष्ट्रपति भवन में हिंदी सेवियों को राजभाषा सम्मान से सम्मानित करते हुए हिंदी को भारतीयता की आत्मा और देश को एक-सूत्र में पिरोने वाली भाषा के रूप में उसकी भूमिका को सराहा.

प्रस्तुत है, हिंदी दिवस-2016 के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण का मूल पाठ

 देवियो और सज्जनो,   
हिंदी दिवस के पावन अवसर पर मैं समस्त देशवासियों को तथा हिंदी प्रेमियों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।

2.  भारत की संविधान सभा ने चौदह सितंबर उन्नीस सौ उनचास को भारत की राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया था। हिंदी जनसाधारण द्वारा बोली जाने वाली एक सरल भाषा है। हिंदी पुरातन भी है और आधुनिक भी। इसी विशेषता के कारण हिंदी को भारत की राजभाषा का सम्मान प्राप्त है।

3.  हिंदी भारतवर्ष की विविधता में एकता का भी प्रतीक है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर, महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, डॉ. अम्बेडकर, सी. राजगोपालाचारी आदि जैसे महापुरुषों ने हिंदी को भारत की संपर्क भाषा के रूप में अपनाकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी।
 
4.  हिंदी भारतीयता की चेतना है तथा सभी प्रांतीय भाषाओं की संपर्क भाषा की भूमिका निभाती है। हिंदी और भारतीय प्रांतीय भाषाओं के साहित्य के परस्पर अनुवाद को हमें बढ़ावा देना होगा। ऐसा करने से हिंदी तथा प्रांतीय भाषाओं में संबंध और गहरा होगा। लोगों को एक दूसरे के ऐतिहासिक, साहित्यिक तथा सांस्कृतिक पहलुओं का ज्ञान प्राप्त होगा। भारत में लोग जब यह समझेंगे कि हमारा अतीत और वर्तमान एक है, हमारा साहित्य और संस्कृति एक है, तब राष्ट्रीय एकता की भावना और पुष्ट होगी।    

5.  आज वैश्वीकरण के दौर में, हिंदी का महत्त्व और भी बढ़ गया है। हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है। आज विदेशों में अनेक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकें बड़े पैमाने पर हिंदी में लिखी जा रही है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है।

6.   भारत सरकार द्वारा विकास योजनाओं तथा नागरिक सेवाएं प्रदान करने में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। हिंदी तथा प्रांतीय भाषाओं के माध्यम से हम बेहतर जन सुविधाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय द्वारा ‘‘विश्व हिंदी सम्मेलन’’ और अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के माध्यम से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा ‘‘प्रवासी भारतीय दिवस’’ मनाया जाता है जिसमें विश्व भर में रहने वाले प्रवासी भारतीय भाग लेते हैं।

विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों की उपलब्धियों के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम से भारतीय मूल्यों का विश्व में और अधिक विस्तार हो रहा है। विश्व हिंदी सचिवालय विदेशों में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने और संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए कार्यरत है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘‘विश्व योग दिवस’’ को अधिसूचित करना भी हमारे लिए एक गौरव की बात है। इसके लिए प्रधान मंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी बधाई के पात्र हैं। 
 
7.  सरकारी कार्यक्रमों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अनेक पुरस्कार योजनाएं शुरू की हैं। सरकार द्वारा हिंदी में अच्छे कार्य के लिए ‘‘राजभाषा कीर्ति पुरस्कार योजना’’ के अंतर्गत शील्ड प्रदान की जाती है। हिंदी में लेखन के लिए राजभाषा गौरव पुरस्कार का प्रावधान है। आधुनिक ज्ञान विज्ञान में हिंदी में पुस्तक लेखन को प्रोत्साहन देने के लिए भी सरकार पुरस्कार प्रदान करती है। इन प्रोत्साहन योजनाओं से हिंदी के विस्तार को बढ़ावा मिलेगा।   

8.  हिन्दी की शक्ति और क्षमता से हम भली-भांति परिचित हैं। महात्मा गांधी ने कहा था, ‘राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।’ मेरा मानना है कि जितना अधिक हम हिंदी और प्रांतीय भाषाओं का प्रयोग शिक्षा, ज्ञान विज्ञान, प्रौद्योगिकी आदि में करेंगे, उतनी तेज गति से भारत का विकास होगा।

9.  इसके साथ ही मैं हिन्दी के प्रचार-प्रसार में सराहनीय योगदान देने वाले सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं। मैं सभी देशवासियों से आह्वान करता हूं कि वे हिंदी की प्रगति के लिए अपना पूर्ण योगदान दें।
 
धन्यवाद,
जय हिंद!
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