इला अरुण: अनूठी आवाज में मिट्टी की महक

इला अरुण: अनूठी आवाज में मिट्टी की महक नई दिल्ली: अपने अलग अंदाज में गायन, मन को बांध लेने वाली अनूठी भर्राई आवाज और लोकगीत और पॉप गीतों के संगम को बखूबी पेश करने में माहिर गायिका इला अरुण का जन्म 14 मार्च को राजस्थान के जयपुर में हुआ था।

इला ने केवल एक सफल गायिका के रूप में ही अपनी पहचान नहीं बनाई, बल्कि वह एक टेलीविजन और फिल्म अदाकारा, गीतकार, लेखिका, फिल्म और टीवी निर्माता के तौर पर एक बहुआयामी कलाकार के रूप में स्थापित होने में सफल रही हैं।

इला अपनी सफलता का श्रेय जयपुर के किशनपोल बाजार में स्थित अपने स्कूल ‘महाराजा गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी’ स्कूल को देती हैं, जहां से उन्हें प्रारंभिक प्रशिक्षण मिला। इला के शब्दों में राजस्थान में शाही परिवार ने लगभग 150 साल पहले लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह स्कूल खोला था।

फिल्मों में उनके गायन के सफर में उनके नाम कई बेहद लोकप्रिय गीत दर्ज हैं। फिल्म ‘लम्हे’ के गीत ‘मोरनी बागा में’ में उन्होंने स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की मीठी आवाज के साथ अपनी अनूठी आवाज देकर गीत को एक अलग पहचान दिलाई थी, तो फिल्म ‘खलनायक’ के गीत ‘चोली के पीछे’ में अलका यागनिक का बखूबी साथ निभाया।

उनका यह गीत हालांकि विवादों में भी घिरा रहा, लेकिन इसके लिए उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ पाश्र्वगायिका का फिल्मफेयर’ पुरस्कार भी प्रदान किया गया। इला ने अलका के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियेनेयर’ का गीत ‘रिंगा रिंगा’ भी गाया।

हिंदी के कई सफल गीतों के अलावा इला ने तेलुगू और तमिल के कुछ गीतों को भी अपनी आवाज से सजाया है। उन्होंने संगीतकार ए.आर. रहमान द्वारा तैयार किए गए फिल्म ‘रोमियो’ के तमिल गीत ‘मुथु मुथु मजहाई’ को भी अपनी आकर्षक आवाज से सजाया है।

उनके अभिनय का आयाम सबसे पहली बार चिकित्सकों की जिंदगी पर आधारित दूरदर्शन के धारावाहिक ‘जीवनरेखा’ में दिखाई दिया था, जिसमें उनके साथ दिग्गज अभिनेत्री तन्वी आजमी भी थीं। लेकिन फिल्म ‘जोधा अकबर’ में महामंगा के किरदार को शानदार ढंग से निभा कर उन्होंने साबित कर दिया कि वह केवल एक गायिका ही नहीं, बल्कि एक आला दर्जे की अभिनेत्री भी हैं। उन्होंने इससे अपने अभिनय कौशल को भी एक अलग पहचान दी।

इसके अलावा इला ने चाइना गेट, चिंगारी, वेलकम टु सज्जनपुर, वेस्ट इज वेस्ट और ‘घातक’ समेत अलोचकों द्वारा सराही गई कई अन्य फिल्मों में भी अपने अभिनय की छाप छोड़ी।

इला ने सोनी एंटरटेनमेंट चैनल के कार्यक्रम फेम गुरुकुल में संगीत स्कूल की निर्णायक की भूमिका निभाई थी। इस गायन कार्यक्रम में प्रतिभागियों को गायन का प्रशिक्षण दिया गया था।

इला ने कई बेहद सफल एकल गीत भी गाए हैं। उनके गीत वोट फॉर घाघरा को बेशुमार सफलता मिली और इसकी एक लाख से भी अधिक प्रतियां बिकीं। उनके गीतों मैं हो गई सवा लाख की, मेरा अस्सी कली का घाघरा, मैं रातण जागी, रेशम का रूमाल आदि ने भी काफी धूम मचाई।

इसके अलावा आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की टीम के प्रचार के लिए इला का गाया गीत ‘हल्ला बोल’ भी बेहद लोकप्रिय हुआ था।

इला का दिल अपनी जन्मभूमि जयपुर के साथ ही नाट्य मंच रविंद्र मंच से भी जुड़ा है। इला मानती हैं कि रविंद्र मंच के दिग्गज कलाकारों से उन्हें अभिनय की बारीकियां सीखने का मौका मिला।

देश की माटी की खुशबू से ओतप्रोत लोकगीतों को अलग पहचान दिलाने और उन्हें संगीत की दुनिया में सफलता के पायदान पर कायम रखने में इला के प्रयास की यात्रा अनवरत जारी है।
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल