श्रेया घोषाल : लता को आदर्श मान चूम रहीं ऊंचाइयां

श्रेया घोषाल : लता को आदर्श मान चूम रहीं ऊंचाइयां नई दिल्ली: बैरी पिया, डोला रे, सिलसिला ये चाहत का, चिकनी चमेली और मोरे पिया जैसे खूबसूरत गीत गाने वाली श्रेया घोषाल आत्मविश्वास से भरपूर नए जमाने की मशहूर पाश्र्वगायिका हैं। उन्होंने 12 साल की उम्र में ही दर्शकों के दिलों में जगह बना ली थी।

श्रेया घोषाल ने अपने संगीत के सफर की शुरुआत 1996 में जी टीवी के शो ‘सा रे गा मा’ से की, इसमें वह बाल कलाकार के रूप में नजर आईं। इसके जरिए उन्होंने दुनिया को अपना हुनर दिखाया।

लता मंगेशकर को अपना आदर्श मानने वाली श्रेया घोषाल ने हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयालम, बांग्ला, कन्नड़, गुजराती, मराठी और भोजपुरी भाषाओं के गीतों को अपनी आवाज दी है। श्रेया ने यह भी स्वीकार किया है कि लता मंगेशकर के साथ आशा भोसले, के.एस. चित्रा, गीता दत्त भी उनकी प्रेरणास्रोत हैं।

जानी मानी पाश्र्वगायिका श्रेया घोषाल का जन्म दो मार्च, 1984 को राजस्थान के रावतभाटा में एक बंगाली परिवार में हुआ। वह राजस्थान, कोटा के पास एक छोटे-से कस्बे रावतभाटा में पली-बढ़ीं। श्रेया घोषाल के पिता भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र इंजीनियर के रूप में काम करते हैं, जबकि उनकी मां साहित्य में स्नातकोत्तर हैं और घर संभालती हैं।

श्रेया ने संगीत की शुरुआत अपने घर से की, वह लता मंगेश्कर की बड़ी प्रशंसक थीं। उन्होंने चार साल की उम्र में घर पर ही मां की मदद से हारमोनियम बजाना और संगीत सीखना शुरू किया।

प्राथमिक शिक्षा के बाद, श्रेया घोषाल के माता-पिता ने उन्हें कोटा में महेशचंद्र शर्मा के पास हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखने के लिए भेजा।

श्रेया ने रावतभाटा के एटॉमिक एनर्जी सेंट्रल स्कूल (एईसीएस) और अणुशक्तिनगर (मुंबई) में पढ़ाई की, और स्नातक के लिए एसआईएस कॉलेज में दाखिला लिया।

श्रेया पहली बार जी टीवी पर प्रसारित होने वाले ‘सा रे गा मा’ में नजर आईं। उन्होंने इस प्रतियोगिता का खिताब जीता। उस समय प्रसिद्ध गायक सोनू निगम ने इस कार्यक्रम की मेजबानी की थी।

शो के निर्णायक कल्याणजी ने उनके माता-पिता को मुंबई आने के लिए मनाया। उन्होंने 18 महीनों तक उनसे संगीत शिक्षा ली और मुंबई की मुक्त भिडे से शास्त्रीय संगीत की तालीम को जारी रखा।

वहीं श्रेया घोषाल ने जब ‘सा रे गा मा’ के दूसरे दौर में भाग लिया तो फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली को उनकी आवाज अच्छी लगी और उन्होंने श्रेया को फिल्म ‘देवदास’ में गाने का मौका दिया। इसके लिए उन्होंने कुल पांच गीत गाए।

‘देवदास’ में गायन के लिए श्रेया को सर्वश्रेष्ठ गायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला। इसी साल उन्हें उभरती प्रतिभाओं के लिए दिया जानेवाला आर.डी. बर्मन पुरस्कार भी दिया गया।

‘देवदास’ के बाद, श्रेया ने हंसलेखा, मनो मूर्ति, गुरुकिरण, इल्लया राजा, युवन शंकर राजा और हैरीज जयराज, ए. आर. रहमान, अनु मलिक, हिमेश रेशमिया, मणि शर्मा, एम. एम. किरावनी, नदीम-श्रवण, शंकर-एहसान-लॉय, प्रीतम, विशाल-शेखर समेत कई संगीत निर्देशकों के निर्देशन में गीत गाए। उन्होंने बहुत-सी अभिनेत्रियों के लिए गीत गाए।

श्रेया ने पांच फरवरी, 2015 को ने अपने बचपन के दोस्त शिलादित्य मुखोपाध्याय से गुपचुप शादी कर ली। उन्होंने शादी के अगले दिन यह जानकारी प्रशंसकों और शुभचिंतकों को दी।

श्रेया घोषाल ने आइटम नम्बर भी गाए हैं। उन्होंने 2012 में फिल्म ‘बॉडीगार्ड’ में ‘तेरी मेरी प्रेम कहानी’ गीत को अपनी आवाज दी। इस गीत के लिए उन्हें इंटरनेशल इंडियन फिल्म एकेडमी अवार्डस में ‘पॉपुलर अवार्ड’ से नवाजा गया।

श्रेया ने फिल्म ‘भूल-भुलैया’ के शास्त्रीय संगीत पर आधारित गीत ‘मेरे ढोलना’ गीत के लिए भी वाहवाही लूटी। उन्होंने अब तक तकरीबन 200 फिल्मों में गाने गाए हैं।

भारत की शीर्ष 100 चर्चित हस्तियों वाली ‘फोर्ब्स’ की सूची में श्रेया का नाम तीन बार आ चुका है।

श्रेया घोषाल को अब तक चार फिल्मफेयर अवार्ड, चार राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड मिल चुके हैं। उन्हें कई अन्य पुरस्कार भी मिले हैं।
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