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पॉलिथीन मुक्त हो देशः 'स्वच्छ भारत' का प्लास्टिक फ्री इंडिया अभियान
श्रेष्ठ गुप्ता ,
Feb 07, 2015, 16:06 pm IST
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![]() लोगों में जागरूकता लाना, लोगों को अपने से जोड़ना और बुनियादी स्तर पर ही शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से ऐसा माहौल बनाना हमारा मकसद है, जिससे एक नए भारत और अंततः समूची दुनिया का भला हो सके. आप सब जानते हैं कि इनसान ने अपनी सुविधा के लिए ढेरों ऐसी चीजें बनाईं, जो आगे चलकर उसी के लिए जी का जंजाल बन गईं. पॉलिथीन की थैलियां भी उन्हीं में से एक हैं. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में तो इनसे होने वाले नुकसान को लेकर सरकार और कुछ हमारे जैसे समाजसेवी संस्थानों ने जागरूकता अभियान भी चलाए हैं, पर बी ग्रेड और उससे नीचे के शहर, कस्बों यहां तक कि गांवों में भी आपको लाल, पीली, हरी, नीली थैलियां हर जगह दिखाई दे जाएंगी, चाहे वह किराने की दुकान हो, बड़े सुपरबाजार हों, या सब्जी मंडी हो. यह थैलियां जहां हमारे पर्यावरण के लिए घातक हैं, वहीं हमारे स्वास्थ्य पर भी इनका बुरा असर पड़ता है. आलम यह है कि कम पढ़े-लिखे लोगों को तो छोड़िए, आज का पढ़ा-लिखा इनसान भी सब कुछ जानते हुए भी पॉलिथीन की थैलियों के प्रयोग से गुरेज नहीं करता है. पॉलिथीन से होने वाले नुकसान के मद्देनजर 'स्वच्छ भारत' संगठन देश के तमाम हिस्सों में एक साथ अभियान चला कर लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है. इसी सिलसिले में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के धामपुर, बिजनौर, नगीना और धनौरा मंडी में 'स्वच्छ भारत' की टीम ने जगह-जगह नुक्कड़ सभाएं कर और डोर टू डोर जाकर लोगों को पॉलिथीन का प्रयोग छोड़ने और जूट और कपड़े के झोलों का प्रयोग करने के लिए जागृत किया. लोगों को बताया पॉलिथीन क्या है, और इससे पर्यावरण, धरती और इनसान तो क्या जीव- जंतुओं तक पर कितना बुरा असर पड़ता है. क्या है पॉलिथीन और इसके नुकसान - पॉलिथीन पेट्रो-केमिकल से बना होता है, जो पर्यावरण से लेकर इनसान और मवेशियों सभी के लिए बहुत नुकसानदायक है. पॉलिथीन हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत खतरनाक है. पॉलिथीन का प्रयोग सांस और स्किन संबंधी रोगों तथा कैंसर का खतरा बढ़ाता है. - पॉलिथीन की थैलियां जहां हमारी मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को नष्ट कर इसे जहरीला बना रही हैं, वहीं मिट्टी में इनके दबे रहने के कारण मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता भी कम होती जा रही है, जिससे भूजल के स्तर पर असर पड़ा है. - सफाई व्यवस्था और सीवरेज व्यवस्था के बिगड़ने का एक कारण ये पॉलिथीन की थैलियां हैं, जो उड़ कर नालियों और सीवरों को जाम कर रही हैं. - ये थैलियां जमीन और जल में रहने वाले जीव-जंतुओं के जीवन को भी खतरे में डाल रहीं है. पशु बेचारे जानते नहीं कि वे क्या खा रहे हैं, पर उनके द्वारा इन्हें खा लेने पर यह उनके पेट में जमा हो रही हैं और उनकी जान के लिए खतरा बन रही हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक हर हफ्ते दर्जनों गाय पॉलिथीन की थैलियों को खा कर बीमारी का शिकार हो रही हैं. कैसे रोकें यह खतरा पॉलिथीन की थैलियों की जगह कपड़े या जूट की थैलियां इस्तेमाल में लाएं. स्थानीय प्रशासन भी पॉलिथीन के उपयोग पर रोक लगाएं और इसका कड़ाई से पालन करें. पॉलिथीन देने वालों और लेने वालों दोनों पर जुर्माना किया जाए, जैसा कि कुछ राज्यों में किया भी जा रहा है. हम आप सभी से अनुरोध करना चाहते हैं कि अपने शहर में लोगों को पोलिथिन के इस्तेमाल के नुकसान के बारे में बताएं और उन्हें जूट के बैग इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करें. हम स्वस्थ्य होंगे, तभी हम अपने पर्यावरण को भी स्वस्थ्य रख पायेंगे. स्वच्छ भारत संगठन बेहतर भारत के निर्माण में इस तरह की तमाम गतिविधियों से जुड़ा है. अगर आप भी इस दिशा में कुछ कर रहे हैं या करना चाहते हैं , तो हमसे जुड़े. 'स्वच्छ भारत’ मीडिया के अपने सहयोगी प्रकाशनों, ‘न्यू इंडिया’ पत्रिका और अंगरेजी हिंदी की समाचार वेब पोर्टल www.facenfacts.com और www.jantajanardan.com के मार्फत भी समाज में जागरूकता पैदा करने में जुटा है. हम न केवल समाज के बदलाव में आप सबकी भागीदारी चाहते हैं,बल्कि जो लोग इस क्षेत्र में जिस भी जगह और लेवल पर सक्रिय हैं, उन्हें भी बढ़ावा दे रहे हैं. ‘स्वच्छ भारत’ संगठन पिछले तीन साल से इस दिशा में जुटा है. यह संगठन आप सभी से आग्रह करता है कि आप भी आगे आएं और चलें हमारे साथ स्वच्छ भारत के सफर पर... समाज को एक बेहतर कल देने के हमारे प्रयासों में अपना योगदान दें. |
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