सीरियल किलर चंद्रकांत झा को फांसी की सजा

जनता जनार्दन डेस्क , Feb 05, 2013, 17:33 pm IST
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सीरियल किलर चंद्रकांत झा को फांसी की सजा नई दिल्ली: कत्ल के दोषी चंद्रकांत झा को दिल्ली की एक अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। चंद्रकांत लोगों का कत्ल कर शव को तिहाड़ जेल के बाहर फेंकने का दोषी पाया गया था। इससे पहले सोमवार को एक और मामले में इसे उम्र कैद की सजा हुई थी।

दिल्ली की रोहिणी अदालत ने आज चंद्रकांत झा को एक शख्स की हत्या कर और उसके सिर को काटकर बाकी शरीर के हिस्से को तिहाड़ जेल के बाहर फेंकने के मामले में मौत की सजा सुनाई है। इस मामले में इसे 24 जनवरी को कोर्ट ने दोषी पाया था।

सिर कलम कर बाद में उसे तिहाड़ जेल के बाहर फेंक कर पुलिस को पकडऩे की चुनौती देने वाले सीरियल किलर चंद्रकांत झा को रोहिणी कोर्ट की एक सत्र अदालत ने सोमवार को मृत्यु तक कारावास की सजा सुनाई।

सब्जी विक्रेता चंद्रकांत झा पर छह लोगों की निर्मम तरीके से हत्या करने का आरोप है। हत्या करने के बाद चंद्रकांत उनसे सिर, हाथ और जननांग काटकर अलग कर देता था और सिर कटी लाश को तिहाड़ जेल के बाहर फेंक देता था।

चंद्रकांत को अदालत ने हत्या के तीन मामलों में दोषी ठहराया था, जिसमें से एक मामले में उसे यह सजा सुनाई गई है। अन्य दो मामलों में पांच और छह फरवरी को सजा सुनाई जानी है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने अपने आदेश में कहा कि मधेपुरा निवासी चंद्रकांत झा (44) को अपनी मृत्यु तक जेल में रहना होगा। उसे कोर्ट ने अपने साथी दिलीप की हत्या में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। उसने दिलीप का सिर विहीन शव वर्ष 2007 में तिहाड़ जेल के समीप फेंक दिया गया था।

अदालत ने उसे साथी अमित और उपेंद्र की हत्या के मामले में भी दोषी ठहराया है। दोनों के सिर वर्ष 2006 और 2007 में तिहाड़ जेल के समीप बरामद हुए थे।

हत्या के बाद चंद्रकांत ने पत्र लिखकर दिल्ली पुलिस को यह चुनौती भी दी थी कि अगर पुलिस में हिम्मत है तो उसे पकड़ कर दिखाए। चंद्रकांत को सबसे पहले वर्ष 1998 में हत्या के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।

हालांकि सबूतों के अभाव में उसे बाद में अदालत ने बरी कर दिया था। दिसंबर 2007 में भी दिल्ली की एक अदालत ने हत्या के एक मामले में उसे बरी कर दिया था क्योंकि पुलिस उसके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रही थी।

पुलिस ने अदालत के समक्ष यह दावा किया था कि चंद्रकांत हत्या के कम से कम छह मामलों में शामिल रह चुका है। वह अपने शिकार को अपने साथ रहने को कहता।

कुछ समय बाद जब वह उससे तंग आ जाता तो वह शिकार के हाथ-पैर बांधकर   उसका गला दबाकर हत्या कर देता। उसके बाद सिर कलम कर उसे तिहाड़ जेल के बाहर फेंक देता।

हालांकि कामिनी लाउ की अदालत ने उसे केवल तीन मामलों में परिस्थितियों और फॉरेंसिक  सबूतों के आधार पर हत्या का दोषी पाया। अदालत ने पाया कि पुलिस को धमकी भरे खत पर चंद्रकांत की हैंडराइटिंग ही थी।
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