चर्चित लेखक
रिश्ता बनारस से बुनकर का माइटी इक़बाल  ,  Sep 27, 2020
चलते चलते यह भी कहता चलूं की प्रदेश सरकार के मुखिया बुनकर हित मे बिजली की या अन्य जो भी योजना लाएं,यह तय तो होना ही चाहिए कि इसका लाभ उन गरीब बुनकरों को प्राप्त हो जो रोज कमाने खाने वाले बुनकर हैं ,या जो बुनकर दो एक पावर लूम चला कर अपना धंधा करते है ना कि उन अ ....  लेख पढ़ें
बी.एच.यू मेरी साँसों में बसता है डॉ महबूब हसन ,  Jun 01, 2020
अज़ीज़ दोस्तों! बी.एच.यू. मेरे लिए हसीन यादों का एक बेश-किमती एल्बम है..कोलाज़ है, जिस में ज़िन्दगी के सारे रंग मौजूद हैं। बी.एच.यू. मेरी साँसों में बसता है! मेरे दिल की धड़कनों में शामिल है। बी.एच.यू. मेरी मुहब्बत है, मेरा इश्क़ है, मेरा जुनून है। ऐसा इश्क़ जिस ने मुझेख़ुशी व कामयाबी की नई न ....  लेख पढ़ें
ऐसा देश है मेरा: डॉ महबूब हसन ने क्या खूब लिखा   Desk JJ ,  Apr 24, 2020
ज़रा गौर से इन तस्वीरों को देखिए। इन तस्वीरों में हज़ारों बरस की मिली जुली आपसी तहज़ीब, संस्कृति, भाईचारा और प्रेम की एक लंबी दास्तान सिमट आई है। इसे गंगा जमुनी तहजीब भी कहते हैं। यहां की मिट्टी और कण कण में ये खुशबु रची बसी है। हिंदुस्तानी समाज का ताना बाना प्रेम और सौहार्द के धागों से ही तैयार हुआ है। हमने पूरी दुनियाँ को विश्व बंधुत्व और वसुधैव कुटुम्बकम का जैसा प्यारा संदेश दिया। होली, ईद, दशहरा, दीवाली और मोहर्रम जैसे त्योहार इस धागे को और मजबूत करते हैं। अनेकता में एकता की ऐसी खूबसूरत मिसाल पूरी दुनिया में कहीं भी नज़र नहीं आती। यहां हज़ारों भाषाएं और बोलियों में देश की एकता और अखण्डता के सुरीले गीत बजते हैं। संतों, सन्यासियों और फकीरों ने अपने पैगाम के जरिए इंसानियत और धार्मिक सौहार्द के दीप जलाए। प्रकृति ने भी सुंदर पहाड़ियों, ....  लेख पढ़ें
किस्सा-ए-बैरागी जी! गौरव अवस्थी की श्रद्धांजलि गौरव अवस्थी ,  May 14, 2018
देश के सुप्रतिष्ठित कवि और उससे भी अधिक हंसमुख एवं सभी के सहयोग में तत्पर रहने वाले सरलता से हमेशा लबरेज रहने वाले आदरणीय बालकवि बैरागी जी हमारे पिता की तरह थे. जो स्नेह हमें अपने पिता से मिला वही बैरागी जी से भी लगातार मिलता रहा. ऐसे स्नेहिल स्वभाव के बैरागी जी से जुड़ा यह किस्सा डॉ शिवमंगल सिंह सुमन के मुंह से कभी बाल्यकाल में सुना था. ....  लेख पढ़ें
सर मार्क टुली: पत्रकारिता से कथा लेखन की ओर साकेत सुमन ,  Nov 10, 2017
अधिकांश भारतीयों से भी ज्यादा भारतीय परिवेश में रचे-बसे सर मार्क टुली का लालन-पालन भले ही अंग्रेजियत के साथ हुआ, लेकिन उनको भारत से लगाव बचपन से ही रहा है। जीवन के अस्सी से ज्यादा वसंत देख चुके जानेमाने ब्रॉडकास्टर व लेखक कभी पादरी बनने की आकांक्षा रखते थे और इसके लिए उन्होंने धर्मशास्त्र में डिग्री भी हासिल की। लेकिन बाद में घटनाक्रम कुछ ऐसा बदला उन्हें भारत वापस लौटना पड़ा। ....  लेख पढ़ें
भक्तिधारा के महान कवि गोस्वामी तुलसीदास: 30 जुलाई, जयंती विशेष मृत्युंजय दीक्षित ,  Jul 30, 2017
हिंदी साहित्य के महान कवि संत तुलसीदास का जन्म संवत 1956 की श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन अभुक्तमूल नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्मा रामदुबे व माता का नाम हुलसी था। जन्म के समय तुलसीदास रोये नहीं थे अपितु उनके मुंह से राम शब्द निकला था। साथ ही उनके मुख में 32 दांत थे। ऐसे अद्भुत बालक को देखकर माता- पिता बहुत चिंतित हो गए। ....  लेख पढ़ें
लियो शियाओबो और लियो शिआ: एक नोबेल पुरस्कार विजेता के मोहब्बत और संघर्ष की दास्तां जनता जनार्दन डेस्क ,  Jul 11, 2017
चीन के नोबेल पुरस्कार विजेता लियो शियाओबो ने अपने देश में राजनीतिक बदलाव की मांग के लिए कई साल जेल में गुज़ार दिए। लियो शियाओबो उस समय न्यूयॉर्क में थे। जब उन्होंने पहली बार तियानानमेन स्क्वेयर से लोकतंत्र की मांग वाले किसी विरोध प्रदर्शन के बारे में सुना। इसके बाद शियाओबो ने इस प्रदर्शन में खुलकर भाग लिया। कहानी एक गुरु-शिष्य के प्यार की। ....  लेख पढ़ें
त्रिनिदाद एवं टोबैगो में हिंदुओं-मुस्लिमों में कोई भेद नहीं: आलिया एनियाथ सोमरीता घोष ,  Sep 03, 2016
कैरेबियाई द्वीप समूह के देश त्रिनिदाद एवं टोबैगो की भारतीय मूल की लेखिका आलिया एनियाथ का मानना है कि त्रिनिदाद एवं टोबैगो में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के बारे में पूरी दुनिया को बताए जाने की जरूरत है, क्योंकि वहां हिंदू और मुस्लिमों के बीच कोई भेद नहीं है और भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। ....  लेख पढ़ें
आजीवन वंचितों की मशाल थामे रहीं महाश्वेता देवी जनता जनार्दन डेस्क ,  Jul 30, 2016
लंबे अरसे से मेरे भीतर जनजातीय समाज के लिए पीड़ा की जो ज्वाला धधक रही है, वह मेरी चिता के साथ ही शांत होगी... बांग्ला की सुप्रसिद्ध लेखिका महाश्वेता देवी के ये शब्द जनजातीय समाज के प्रति उनके प्रेम की झलक पेश करते हैं. ....  लेख पढ़ें
हरिवंशराय बच्चन को छोड़ हनी सिंह की राह पर आ गये कुमार विश्वास बीपी गौतम ,  May 17, 2016
कवि सम्मेलनों में स्वयं को हरिवंश राय बच्चन की परंपरा का बताते हुए अमिताभ बच्चन पर अपमानजनक टिप्पणी करते रहे हैं, लेकिन समय ने आज कुमार विश्वास को अमिताभ बच्चन नहीं, बल्कि हनी सिंह की परंपरा से जोड़ दिया है. ....  लेख पढ़ें
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल