नोएडा का सुपरटेक ट्विन टॉवर बना इतिहास, जानें ढहाने से मिला जो सबक

जनता जनार्दन संवाददाता , Aug 28, 2022, 21:35 pm IST
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नोएडा का सुपरटेक ट्विन टॉवर बना इतिहास, जानें ढहाने से मिला जो सबक  नोएडाः नोएडा का ट्विन टॉवर अब इतिहास बन गया है, साथ ही अपने पीछे छोड़ गया है एक सबक. रविवार को कुछ ही सेकेंड में नोएडा की चर्चित दो बहुमंजिला इमारतें धराशायी हो गईं. दोपहर के ठीक ढाई बजे इन ट्विन टॉवर को विस्फोटकों से उड़ा दिया गया और इन बहुमंजिला इमारतों को जगह था मलबा और धुआं.

देश के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद जमींदोज की गई इन बिल्डिंगों का एक सबक यह भी है कि पैसा, रसूख और भ्रष्टाचार आपको केवल एक सीमा तक ही बचा सकता है. कोई समय ऐसा भी आ सकता है जब हर रसूख बेकार हो जाए.

एपेक्स और सेयेन नामक टॉवर को सुपरटेक बिल्डर ने बनाया था. बाद में पाया गया कि इन्हें बनाने में नियमों का उल्लंघन किया गया. ये भारत में गिराई जाने वाली सबसे बड़ी बहुमंजिला इमारतें थीं.

30 मंजिल वाली इमारतों को 'ट्विन टॉवर' कहा जाता था. इनकी ऊंचाई 320 फ़ीट से ज़्यादा है, और ये नोएडा के घनी आबादी वाले इलाके में स्थित हैं. इन्हें गिराने के लिए क़रीब 3700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया.

नोएडा अथॉरिटी के मुताबिक सुपरटेक के ट्विन टॉवर को गिराने के बाद पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, फुटपाथ, सेंट्रल वर्ज और पेड़ पौधों की धुलाई के लिए वाटर टैंकर्स, मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन और सफाई कर्मचारियों की तैनाती की गई थी.

नोएडा अथॉरिटी के मुताबिक़, वहां प्रभावित क्षेत्रों में साफ-सफाई के लिए 6 मैकेनिकल स्वीपिंग मशीनें और 200 कर्मचारी काम पर लगाए गए हैं. इसके साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों, फुटपाथ, पार्क, सेंट्रल वर्ज, पेड़-पौधों की धुलाई के लिए 100 वाटर टैंकों की व्यवस्था भी की गई है.

इस दौरान आसपास के इलाक़ों में मौजूद पेड़ पौधों पर जमी धूल को तुरंत हटाने का काम कुछ ही देर में शुरू कर दिया जाएगा. यह भी बताया गया है कि आने वाले कई दिनों तक इलाक़े में पानी का छिड़काव किया जाएगा.

इस इमारत को गिराने को लेकर जो तैयारी की गई थी, वह सब योजना के मुताबिक ही हुआ. योजना के मुताबिक ही अब साइट से मलबा हटाया जाएगा.

लेकिन आज भी बहुत सारे लोगों के मन में ये सवाल है कि करीब 318 फीट ऊंची टॉवर को क्यों गिराया गया. दरअसल इस टॉवर का निर्माण नियमों के उल्लंघन करके किया गया था. एपेक्स (32 मंजिली) और सेयेन (30 मंजिला) जुड़वां टॉवर भारतीय राजधानी में सबसे ऊंचे कुतुब मीनार से ऊंचे थे.

इस टॉवर को गिराने का फ़ैसला एक लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद लिया गया था. यह संघर्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय से शुरू हुआ था और इसका अंतिम फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट में लिया गया.

कहानी 2004 में शुरू होती है जब नोएडा (न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण) ने औद्योगिक शहर बनाने की योजना के तहत एक आवासीय क्षेत्र बनाने के लिए सुपरटेक नामक कंपनी को एक साइट आवंटित की थी.

समाचार एजेंसी और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2005 में, नोएडा बिल्डिंग कोड और दिशानिर्देश 1986 के अनुसार सुपरटेक ने प्रत्येक 10 मंजिल वाले 14 फ्लैटों की योजना तैयार की गई और अनुमोदित की गई.

नोएडा अथॉरिटी ने 10 मंजिलों वाले 14 अपार्टमेंट भवनों के निर्माण की अनुमति दी गई, साथ ही यह भी प्रतिबंध लगाया गया था कि ऊंचाई 37 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए.

योजना के अनुसार, इस साइट पर 14 अपार्टमेंट और एक वाणिज्यिक परिसर के साथ एक गार्डन विकसित किया जाना था.

2006 में कंपनी को निर्माण के लिए अतिरिक्त ज़मीन दी गई थी. उन्हीं नियमों के साथ जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है, लेकिन एक नई योजना बनाई गई कि बिना गार्डन के दो और भवन (10 मंजिल) बनाए जाना है.

अंत में, 2009 में, 40 मंजिलों के साथ दो अपार्टमेंट टॉवर बनाने के लिए अंतिम योजना तैयार की गई थी, हालांकि, उस समय इस परियोजना को मंजूरी नहीं मिली थी. 2011 में रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन टॉवरों के निर्माण के दौरान उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट मालिक अधिनियम, 2010 का उल्लंघन किया गया है.

इसके मुताबिक केवल 16 मीटर की दूरी पर स्थित दो टॉवरों ने कानून का उल्लंघन किया था. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि इन दोनों टॉवरों को बगीचे के लिए आवंटित भूमि पर अवैध रूप से खड़ा किया गया था.

2012 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए मामला आने से पहले, नोएडा प्रशासन ने 2009 में दायर योजना (40 मंजिलों वाले दो अपार्टमेंट टॉवर) को मंजूरी दे दी थी.

इस मामले में अप्रैल 2014 में फ़ैसला रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के पक्ष में आया था. इसी के तहत इन टॉवरों को गिराने का आदेश भी जारी किया गया था.

यह भी आदेश दिया गया कि सुपरटेक को टॉवर गिराने का ख़र्च वहन करना चाहिए और उन लोगों को 14 फ़ीसदी ब्याज़ के साथ पैसा वापस करना चाहिए जिन्होंने यहां पहले से ही घर खरीदा है.

उसी वर्ष मई में, सुपरटेक ने फ़ैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि निर्माण कार्य उचित मानदंडों के मुताबिक ही किया गया है.

अगस्त 2021 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फ़ैसले को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि नियमों का उल्लंघन किया गया था. नतीजतन, आज, 28 अगस्त, 2022, ट्विन टॉवरों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है.

भारत में गगनचुंबी इमारतों को गिराना आसान काम नहीं है. साल 2020 में, अधिकारियों ने केरल में दो झील के किनारे के लक्जरी अपार्टमेंट को ध्वस्त कर दिया, जो पर्यावरण नियमों के उल्लंघन में बनाए गए थे. लेकिन नोएडा में जितनी ऊंची इमारत को गिराया गया है, वह इससे पहले भारत में कभी नहीं हुआ था.

इन टॉवर को खड़ा करने वाले निजी डेवलपर सुपरटेक ने वादा किया था कि 37 मंजिला शीआन एक 'आइकन' होगा और शीर्ष बालकनी पर खड़े होने से नीचे 'चमकता हुआ शहर' का दृश्य दिखाई देगा. अब निर्माताओं और खरीदारों को शहर तो दिखा नहीं, हां कानून का राज अवश्य दिख गया.
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