सहकारिताओं द्वारा समुद्री शैवाल कृषि उद्यमिता पुस्तिका विमोचन

जनता जनार्दन संवाददाता , Aug 18, 2021, 17:38 pm IST
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सहकारिताओं द्वारा समुद्री शैवाल कृषि उद्यमिता पुस्तिका विमोचन
नई दिल्ली: मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने मंगलवार को संदीप कुमार नायक प्रबंध निदेशक, एनसीडीसी और जतिंद्र नाथ स्वैन, सचिव, मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार की उपस्थिति में एक कार्यक्रम में 'सहकारिता द्वारा समुद्री शैवाल खेती उद्यमिता' में चुनौतियों और अवसरों का अवलोकन प्रदान करने वाली एक पुस्तिका का विमोचन किया। 

दस्तावेज़ जारी करने के बाद, माननीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा, "इस क्षेत्र में निहित क्षमता को देखते हुए, सरकार ने समुद्री शैवाल प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने और समुद्री शैवाल की खेती से मेल खाने के लिए एक रोडमैप विकसित किया है। भारत अगले पांच वर्षों में समुद्री शैवाल उत्पादन को 2500 टन के मौजूदा उत्पादन स्तर से बढ़ाकर 11.5 लाख टन करने का लक्ष्य लेकर कार्य कर रहा है। वास्तव में, यह भारत की 8000 किलोमीटर लंबी तटरेखा के केवल 1% का उपयोग करके प्राप्त किया जा सकता है।"

एनसीडीसी द्वारा दिए गए वक्तव्य के अनुसार, 28 जनवरी, 2021 को सहकारी समितियों के माध्यम से समुद्री शैवाल व्यवसाय और इसके मूल्य-श्रृंखला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित "सहकारिता द्वारा समुद्री शैवाल व्यवसाय के माध्यम से उद्यमिता विकास" पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार से उत्पन्न होने वाले इनपुट और अनुशंसाओं को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। 

वेबिनार  मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार, लिनाक-एनसीडीसी, एशिया एवं प्रशांत कृषि सहकारिता विभाग (नेडैक), बैंकॉक जो  कि संयुक्त राष्ट्र  खाद्य तथा कृषि संगठन (यूएन-एफएओ) द्वारा स्थापित एक क्षेत्रीय मंच है, के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था.

वक्तव्य में यह कहा गया कि भारत के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, कंबोडिया, कनाडा, फ्रांस, आइसलैंड, इंडोनेशिया, इटली, म्यांमार, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और वेनेजुएला के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ और अन्य प्रतिभागियों ने इस क्षेत्र में सहकारी समितियों के बीच उद्यमिता विकसित करने की चुनौतियों और उन चुनौतियों के संभावित समाधान पर विचार-विमर्श किया।

कार्यशाला में भाग लेने वालों में सहकारी समितियों के सदस्य, उद्यमी, नीति निर्माता, शोधकर्ता और शिक्षाविद, समुद्री शैवाल उद्योग के अन्य हितधारक सम्मिलित हुए ।

इसका उद्देश्य समुद्री शैवाल व्यवसाय में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के एजेंडे में , विशेष रूप से सहकारी समितियों के माध्यम से, योगदान करना हैऔर देश में समुद्री शैवाल किसानों और अन्य हितधारकों की सामाजिक-आर्थिक भलाई में वृद्धि करना है।

वक्तव्य में कहा गया है कि इसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया गया और समुद्री शैवाल की खेती में व्यापार के अवसरों और समुद्री शैवाल किसानों, विशेष रूप से महिलाओं की आय बढ़ाने की क्षमता को रेखांकित किया गया।
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