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भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन बिल 2018 लोक सभा में पास: अब घूस लेना ही नहीं, देना भी अपराध
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jul 25, 2018, 16:46 pm IST
Keywords: Money Laundering Act Corruption Bill 2018 Prevention of Money Laundering Act Prevention of Corruption (Amendment) Bill 2018 Lok Sabha Bribe-giver Bribe-taker लोकसभा भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन बिल भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) विधेयक 2018 रिश्वत लेना रिश्वत देना
![]() भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम विधेयक संसद से पास हो गया है. मंगलवार को भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) विधेयक, 2018, लोकसभा में पास हुआ है, राज्यसभा से पहले ही ये बिल पास हो गया था. अब राष्ट्रपति की मुहर का इंतजार है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इस कानून के तहत रिश्वत लेना और देना दोनों ही अपराध होगा. इस विधेयक के पास होने के बाद भ्रष्टाचार के मामलों पर लगाम लगेगी, वहीं ईमानदार कर्मचारियों को फायदा मिलेगा. इस बिल के पास होने से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी और ईमानदार कर्मचारियों को संरक्षण होगा. लोकसभा में मंगलवार को भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. राज्यसभा में यह पिछले सप्ताह पारित हुआ था. इस विधेयक में 1988 के मूल कानून को संशोधित करने का प्रावधान है. इस विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि 2014 में वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शासन का मूलभूत मंत्र दिया था, ‘न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन’. पिछले चार वर्षो में हमारी सरकार ने इस दिशा में प्रतिबद्ध पहल की है. इसका उदाहण है कि देश की जनता का मोदी सरकार पर भरोसा रहा है और उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण चुनाव से पहले नोटबंदी जैसी पहल पर जनता ने तकलीफ सहते हुए भी हमारा समर्थन किया. उन्होंने कहा कि इसी बात को देखते हुए वर्तमान विधेयक में ध्यान दिया गया है कि ईमानदार अधिकारियों के कोई भी अच्छे प्रयास बाधित नहीं हों. सिंह ने कहा कि इस सरकार के शासन में आने के बाद जनता का विश्वास भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई करने वालों पर बहाल हुआ है. चर्चा के दौरान कई सदस्यों द्वारा लोकपाल की नियुक्ति के मुद्दे को उठाने पर जितेन्द्र सिंह ने कहा कि देश में अभी तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई है. इस संबंध में प्रक्रिया चल रही है. इस विषय पर सर्च कमेटी गठित करने के संबंध में 19 जुलाई को बैठक हुई. यह सही है कि लोकपाल की नियुक्ति में विलंब हुआ है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन इस देरी का कारण सत्तारूढ़ दल नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी है. सदन में विपक्ष के नेता के लिए जरूरी संख्या में सीटें उसके पास नहीं हैं.’केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘देश की जनता ने कांग्रेस पार्टी को 44 सीटें ही दीं, इसमें मैं क्या कर सकता हूं. ’ विधेयक को ऐतिहासिक करार देते हुए सिंह ने कहा कि राज्यसभा में इसे 43 संशोधनों के साथ पारित किया गया और इसमें रिश्वत देने वाले को भी परिभाषित किया गया है. उन्होंने कहा कि जो रिश्वत देगा, उसे भी रिश्वत लेने वाले के समान ही जिम्मेदार ठहराया जायेगा. उन्होंने कहा कि इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी को बेवजह परेशान नहीं किया जाए. उल्लेखनीय है कि यह संशोधन विधेयक स्थायी समिति के साथ साथ प्रवर समिति में भी भेजा गया था. साथ ही समीक्षा के लिए इसे विधि आयोग के पास भी भेजा गया था. चर्चा के दौरान लोकपाल की नियुक्ति में देरी के मुद्दे को भी कुछ सांसदों ने उठाया, इस पर जितेन्द्र सिंह ने कहा कि देश में अभी तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई है. इस संबंध में प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने आगे कहा कि लोकपाल में देरी का कारण सत्तारूढ़ दल नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी है. सदन में विपक्ष के नेता के लिए जरूरी संख्या में सीटें उसके पास नहीं हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता लोकपाल चयन पैनल के सदस्य हैं. सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति से संबंधित बैठकों में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को शामिल करने की मांग की थी. बहस में हिस्सा लेने वाले कई सदस्यों ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए चुनावी सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया. |
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