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क्या हमने आतंकवादियों को सीमा पार जाकर हत्या करने की खुली छूट दे रखी है? नवाज़ शरीफ़ का पाकिस्तानी नीति पर सवाल
अजय पुंज ,
May 13, 2018, 11:41 am IST
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![]() पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकवादियों के शामिल होने की बात क़बूली है. डॉन न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में नवाज़ शरीफ़ ने पाकिस्तान की हालत पर सवाल उठाते हुए कहा कि “आतंकी संगठन सक्रिय हैं. चाहे उन्हें नॉन स्टेट एक्टर कहें लेकिन क्या हमें उन्हें सीमा पार जाकर मुंबई में 150 लोगों की हत्या करने देना चाहिए? हम ट्रायल पूरा क्यों नहीं कर सकते?” ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान में अभी भी शरीफ़ की पार्टी की ही सरकार है. ऐसे में सवाल कि क्या शरीफ़ के क़बूलनामे के बाद भी पाक सरकार कुछ करेगी? इस बयान के ज़रिए शरीफ़ दरअसल पाकिस्तान की सेना पर सवाल उठा रहे हैं. 2013 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नवाज़ शरीफ़ को भ्रष्टाचार के आरोप में जुलाई 2017 में न सिर्फ पद से हटा दिया गया बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके आजीवन चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लगा दी है. इसके पीछे की वजह सेना से उनकी दुश्मनी को माना जा रहा है. इस साल चुनाव में अपनी पार्टी को जीत दिलाने की कोशिश में जुटे नवाज़ शरीफ़ के बयान से साफ़ है कि देश में चुनी हुई सरकार की नहीं बल्कि सेना की चलती है. नवाज़ शरीफ़ ने बेशक अब क़बूला तो पर ये पहला मौक़ा नहीं है जब मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ क़बूला गया हो. 2009 में तत्कालीन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी सरकार के गृहमंत्री रहमान मलिक ने डेढ़ घंटे की प्रेस कॉंफ़्रेंस कर पूरा ब्योरा दिया था कि मुंबई हमले को किस तरह से पाकिस्तान की ज़मीन से अंजाम दिया गया. हालांकि न तो पीपीपी और न ही नवाज़ की सरकार ने दोषियों को सज़ा दिलायी है. भारत ने शरीफ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत को शरीफ के कबूलनामे की जरूरत नहीं है, क्योंकि हम शुरू से ही कहते आ रहे हैं कि भारत में आतंकी हमलों के पीछे पाकिस्तान की ही हाथ होता है. केंद्रिय मंत्री हंसराज अहीर ने कहा कि हम नवाज शरीफ के कबूलनामे का इंतजार नहीं कर रहे हैं. हमने हमेशा से ही कहते आ रहे हैं कि भारत में आतंकी हमलों के पीछे पाकिस्तान का हाथ होता है. उन्होंने कहा कि शरीफ के बयान से यह उम्मीद की जा सकती है कि पाकिस्तान की सरकार इस बात को समझेगी कि हम आतंकवाद के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे. देश के वरिष्ठ अधिवक्ता उज्जवल निकम ने कहा कि पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ का बयान भारतीय सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इससे साबित होता है कि जब शरीफ पाकिस्तान के पीएम थे तो उन्हें 26/11 हमले की जानकारी थी, लेकिन फिर भी इसके ट्रायल को खत्म करने की कोशिश नहीं की. उन्होंने कहा कि इससे यह भी साबित होता है कि पाकिस्तान सरकार इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस यानी आईएसआई और पाकिस्तान आर्मी के हाथ में कठपुतली है. यही वजह है, जब शरीफ देश के प्रधानमंत्री थे, उन्होंने कभी इस हमले को स्वीकार नहीं किया क्योंकि वह आईएसआई और पाकिस्तानी सेना से डरते थे. |
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