भारतीय युवा छुटि्टयों से वंचित!

जनता जनार्दन संवाददाता , Apr 06, 2011, 14:39 pm IST
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भारतीय युवा छुटि्टयों से वंचित! नयी दिल्ली: भारत में एक अध्ययन के अनुसार युवा पीढ़ी को एक साल में औसतन 22 छुटि्टयां ही मिल पाती हैं और इस तरह से देश के युवा छुटि्टयों से वंचित रहने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर हैं। अध्ययन में शामिल 35 प्रतिशत लोग तो एक साल में 15 से ज्यादा छुटि्टयों का लाभ नहीं उठा सके।

सर्वेक्षण में यह रोचक तथ्य भी सामने आया कि करीब 22 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि अपनी सालभर की सारी छुटि्टयों का लाभ उठाने में उनके बॉस मददगार नहीं होते। औसतन भारतीयों को एक साल में 26 छुटि्टयां मिलती हैं लेकिन वे केवल 22 का फायदा उठा पाते हैं।

वेबसाइट एक्सपीडिया ने 11 देशों में प्रबंधकीय और इससे उच्च स्तर के पेशेवर युवाओं के बीच दिसंबर 2010 में सर्वेक्षण कराया था और जिसमें प्रत्येक देश में एक हजार के आसपास लोगों ने भाग लिया।

सर्वेक्षण में छुटि्टयों से वंचित युवा वर्ग के मामले में जापान सबसे ऊपर रहा जहां लोगों को औसतन 9 दिन की वार्षिक छुटि्टयां मिलती हैं। अमेरिका में यह आंकड़ा औसतन 14 दिन और ऑस्ट्रेलिया में 16.5 दिन रहा। भारत में एक्सपीडिया ने पहली बार सर्वेक्षण कराया, जिसे दिल्ली, मुंबई और बेंगलूरु में कराया गया।

सर्वेक्षण में शामिल आधे से अधिक भारतीय भागीदारों ने कहा कि छुटि्टयों के दौरान उनके आधिकारिक ईमेल और कामकाजी एसएमएस या संदेश उनकी छुटि्टयों का मजा खराब करते हैं।

यह बात भी सामने आई है कि भारतीय लोग अवकाश लेने में अपने परिवार के सदस्यों की छुटि्टयों को भी ध्यान में रखते हैं और करीब 18 प्रतिशत लोगों के अनुसार उन्होंने इसलिए अपनी छुटि्टयां नहीं ली, क्योंकि उनके जीवनसाथी या बच्चों को उस वक्त पर छुट्टी नहीं मिल रही होती हैं।

सर्वेक्षण के अनुसार रोचक बात यह है कि पैसा और छुटि्टयों के बीच निर्णय लेने की बात आए तो दिल्लीवासी आर्थिक फायदों को ऊपर रखते हैं। करीब 43 प्रतिशत दिल्लीवासियों ने काम को ही तवज्जो दी, वहीं बेंगलूर के 23 प्रतिशत लोग और लगभग 13 प्रतिशत मुंबईकर भी ऐसा ही महसूस करते हैं।

करीब 82 प्रतिशत दिल्लीवासी प्रति सप्ताह 40 घंटे से ज्यादा काम करते हैं। इसी तरह 52 प्रतिशत मुंबईकर और 40 फीसदी बेंगलूरुवासी भी हफ्ते में 40 घंटे से ज्यादा काम करते हैं। एक्सपीडिया के मार्केटिंग प्रमुख मनमीत अहलूवालिया ने कहा कि हमने पहली बार भारत में छुटि्टयों को लेकर यह सर्वेक्षण किया है। नतीजे रोचक तथ्य पेश करते हैं।
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