रक्षा मंत्री पर्रिकर से मिले नाराज लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी

रक्षा मंत्री पर्रिकर से मिले नाराज लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी नई दिल्ली: आर्मी चीफ पद के लिए सबसे वरिष्ठ होने के बावजूद नहीं चुने जाने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी ने बुधवार को रक्षा मंत्री से मुलाकात के लिए समय मांगा था.

दिन में मुलाकात के बाद रक्षा मंत्रालय के अफसरों ने इसे औपचारिक मुलाकात बताते हुए कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

सूत्रों का कहना है कि बख्शी रक्षा मंत्री से मिलने के बाद मौजूदा आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह से भी मिलने गए थे. मंत्रालय के गलियारों में बख्शी के इस्तीफे की अटकलें लगती रहीं.

इस मुलाकात को असामान्य माना जा रहा है. बख्शी को करीब से जानने वाले अफसरों का कहना है कि उनके इस्तीफा देने के आसार काफी ज्यादा हैं पर मुमकिन है कि वह थोड़ा समय लें.

फिर भी वह ज्यादा से ज्यादा 31 दिसंबर तक नए आर्मी चीफ बिपिन रावत के पद संभालने तक इंतजार कर सकते हैं. बख्शी को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाए जाने के भी आसार नहीं हैं.

बख्शी को चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी का परमानेंट चेयरमैन बनाने की भी चर्चा थी. लेकिन सूत्रों का कहना है कि सरकार अरूप राहा के एयरफोर्स चीफ पद से रिटायर होने के बाद नेवी चीफ सुनील लांबा को नेवी चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी का चेयरमैन का पद सौंपने का मन बना चुकी है.

यह पद सबसे सीनियर सैन्य अधिकारी का होता है, जो तीनों सेनाओं में तालमेल सुनिश्चित करते हुए सरकार को सलाह देता है. हालांकि यह रस्मी पद है.

बता दें कि सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल रावत को लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी और दक्षिणी कमांड के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल पी एम हारिज की वरिष्ठता को नजरअंदाज करके नया सेना प्रमुख नियुक्त किया है.

अगर सीडीएस और सीओएससी की नियुक्ति नहीं होती है तो लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल हारिज के अगले कदम पर कयास लगने शुरू हो गए हैं. 31 दिसंबर को कार्यभार संभालने वाले रावत को पूरे तीन साल का कार्यकाल मिलेगा.

सूत्रों के अनुसार यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल हारिज अपने से कनिष्ठ के अंदर काम करेंगे या फिर ये भी लेफ्टिनेंट जनरल एस के सिन्हा की तरह इस्तीफा सौंप देंगे.

गौरतलब है कि 1983 में लेफ्टिनेंट जनरल सिन्हा की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने जनरल ए एस वैद्य को सेना प्रमुख बना दिया था. लेफ्टिनेंट जनरल सिन्हा ने इसके विरोध में इस्तीफा दे दिया था.
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