ड्रीम द्वारका परियोजना के एक वर्ष पूरे

ड्रीम द्वारका परियोजना के एक वर्ष पूरे

ड्रीम द्वारका परियोजना, ड्रीम प्रेस कंसल्टेंट्स लिमिटेड और पारिजात संचेतना मडल का सामाजिक सरोकार से जुड़ा एक संयुक्त अभियान है. इस अभियान के एक वर्ष 20 नवंबर 2016 को पूरे हो गए। इस अवसर पर साल भर की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी । आप भी अवगत हों। 

बहुत चले, थोड़ा रुके , मुस्कुराए संसार

An Initiative परिवार संग इठलाए घर बार
http://www.facenfacts.com स्नेह  पाएं बार बार
http://www.jantajanardan.com संग खिलखिलाएं हर बार 

संक्षेप में यही है ड्रीम द्वारका के एक वर्ष लगातार चलते रहने का लेखाजोखा ।

आज फिर कार्तिक शुक्ल नवमी है । आज ही की तिथि को ठीक एक साल पहले इस ब्लाग की विधिवत शुरुआत 20 November 2015  को हुई थी ।

कार्तिक शु्क्ल नवमी यानि भारतीय संस्कृति के लिए प्रत्येक वर्ष अक्षय नवमी या आंवला नवमी के रूप में किसी नए कार्य की शुरुआत के लिए एक महत्वपूर्ण तिथि ।

आज वर्ष दो हजार सोलह में भी एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक मोड़ पर हम खड़े हैं।

ड्रीम द्वारका परियोजना, भारत वर्ष, अमरीका और पूरी दुनिया के लिए यह तिथि बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी। 

ड्रीम द्वारका परियोजना ने अपने घोषणा पत्र में जिन लक्ष्यों को तय किया, उस पर धीमी गति से , सधी चाल से चल रहा है। समय अपनी गति से चलेगा । जिस अनुरूप लक्ष्यों पर समय निवेश किया गया उस अनुपात में परिणाम बहुत अच्छे निकले हैं। एक बीज रूप से पौधा रूप में हम स्थिर रूप में खड़े होने में सफल हुए हैं।

ड्रीम द्वारका परियोजना के अंतर्गत तन  को स्वस्थ मन को प्रसन्न बनाने का अभियान मुस्कान मेल अपने आपको सफलता पूर्वक स्थापित कर चुका है।

पौधा रोपण के स्तर पर अपने गमले में उगाए दो आंवला वृक्ष देव एक मंदिर और एक विद्यालय में मुस्कुरा रहे हैं । दोनों द्वारका उपनगरी में विराजमान हैं। उपलब्ध समय और परिस्थितियों में  वृक्ष देवों के अन्य स्वरूप पर कार्य नहीं किया गया। 

हमें विगत नवरात्रि पर अक्टूबर महीने में तन के रूप में दो समाचार वेबसाइट फेसएनफैक्ट्स और जनता जनार्दन डाटकाम अंग्रेजी और हिन्दी में मिले हैं। इनके साथ आने वाले दिनों में हम आगे बढ़ेंगे और मुस्कुराएंगे।

पर इससे पहले मानव मूर्तियों को प्राणवंत बना, मुस्कुराने का अभियान 
जानकी जयंती पंद्रह अप्रैल से इस वर्ष एआइजी वाट्सएप परिवार में मुस्कान मेल के रूप में शुरु हुआ

आज यह दुनिया के अनेक देशों , भारत के अनेक नगरों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में अनेक घरों में ध्वनि संदेश के रूप में सुना जा रहा है।

तन को स्वस्थ रखने मन को प्रसन्न बनाने के लिए प्रति दिन प्रातःकाल आडियो संदेश के रूप में दस से बीस मिनट तक का ध्वनि संदेश रिकार्ड किया जाता है और मुस्कान मेल, एआइजी वाट्सएप समूह सहित लगभग आधा दर्जन समूहों को फारवर्ड किया जाता है। 

मुस्कान मेल की लोकप्रियता तेज गति से बढ़ रही है । लोग इसे सुनना पसंद करते हैं । इसका अगला चरण लोगों के तन मन की प्रसन्नता के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण शिविर के रूप में विकसित किया जायेगा।

ड्रीम द्वारका लोक कल्याण के लिए आरंभ हुआ है । लोक का अर्थ केवल मानव नहीं अपितु इस धरती के सभी जीव अजीव दृश्यमान अदृश्य सभी पक्ष का कल्याण हो और परस्पर सहयोग से हम सभी एक दूसरे का कल्याण करें।

द्वारका नगरी में भंवरों का आगमन हो गया है । सितंबर महीने में हमारे अपने आवास में भंवरा देव जी ने गुनगुनाते हुए आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। अविन पाठक ने अपने कमरे में उनकी उपस्थिति से परिचित कराया। बाद में ये भंवरा महोदय हमारे आवास के सामने के मैदान में पेट्रोल पंप के पीछे पेड़ों के झुरमुटों के ऊपर पीपल और  कीकर के फूलों पर देर तक मंडराते रहे ।

भंवरों के द्वारका में आगमन के लिए हमने इस साल जानकी जयंती से पहले होली के आसपास से प्रार्थना शुरु की थी । यह प्रार्थना नवरात्रि में स्वीकार कर ली गयी । भंवरे अब द्वारका के पर्यावरण का हिस्सा बन गए हैं।

  चीलें दो हजार नौ में पहली बार दिखी थीं। 2011  में अक्टूबर महीने में लगभग पांच सौ से हजार चीलों की सभा हमारे सामने वाले मैदान में हुई थी और इस वर्ष 2016 , मार्च से जून के बीच हमने चील दंपत्तियों को अपने दो बच्चों की परिवरिश करते देखा है। 

  चील के दोनों बच्चे अब बड़े हो गए हैं। पर जब ये छोटे थे तो 2016, अगस्त महीने में कबूतरों के झुंड. दो चार कौओं और दो टिटहिरी ने इन दोनों बच्चों को माता पिता की अनुपस्थिति में किस तरह दूर आसमान में भगाया था हम उसके साक्षी हुए थे। लेकिन यह चील परिवार हमारे पड़ोस में रहता है। बच्चे अब नवंबर तक वयस्क हो गए हैं और कोई अन्य चिड़ियाँ इनके साथ हिमाकत नहीं कर सकती।

रंग बिरंगी तितलियां  द्वारका के आसमान में खूब दिखती हैं। अनेकों तरह की चिड़ियां हैं। 
यानि पेड़ जिस अनुरूप द्वारका में लगे हैं उस अनुरूप पक्षी जगत और कीट जगत का संतुलित विकास हो रहा है । 

यह ड्रीम द्वारका के लिए संतोष की बात है।

एआइजी के साथ मिल कर हमने प्रदूषण के विरुद्ध विजया दशमी पर रावण पुतला दहन बंद करने  और दीवाली पर आतिशबाजी पूरी तरह बंद करने और दीप जलाने का अभियान शुरु किया।

इस अभियान को बीज रूप में व्यापक सफलता मिली ।

डॉ ज्ञान सिंह गौडपाल के नेतृत्व में अनेक लोगों ने इसे अपना समर्थन दिया। 

दिल्ली प्रदेश माहेश्वरी समाज की अगुआ किरण लाढा , एआइजी परिवार की आदरणीया मनोरमा दीदी जी , सुनीता अहलुवालिया, श्रुति शर्मा, सुमेधा रानी, रत्ना माहेश्वरी, हरजीत कौर, सतविंदर कौर, जैसी अनेक मातृशक्तियों ने आतिशबाजी के विरुद्ध अभियान चलाया ।

यह अभियान द्वारका में सीमित रूप से और  पश्चिमी दिल्ली के अनेक इलाकों रजौरी गार्डन, टैगोर गार्डन, मानसरोवर गार्डन, रमेश नगर, सुभाष नगर, तिलक नगर जैसे क्षेत्रों में सघन रूप से लगातार अनेक दिनों तक चला।

एआइजी परिवार के वरिष्ठ कनिष्ठ सदस्यों ने इसमें बढ़चढ कर योगदान दिया।

सरदार सतनाम सिंहजी ने अभियान मार्च के लिए निःशुल्क प्रतिदिन अपने वाहन उपलब्ध कराये। 

सजगता अभियान रैली मार्च में युवा सुमीत के अलावा बुजुर्ग बलबीर शर्मा, मोहन अग्रवाल, प्रवीण कुमार सूद, योगाचार्य कौशल जी जैसे मनीषियों , विद्वानों ने हिस्सा लिया।

दीपावली पर दीपक जलाओ अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि समाज के हर वर्ग के लोगों ने इस भावना का स्वागत किया। देश के अनेक हिस्सों से धन त्रयोदशी से लेकर दीपावली तक  अपने घर प्रांगण में  दीपक जलाने के संदेश मिले।
सबसे उल्लेखनीय संदेश राजकोट जगन्नाथ मंदिर से मिला। आदरणीया साध्वी अरुंधती दीदी जी के नेतृत्व में राजकोट मंदिर में दीपावली पर भव्य दीपकों से मंदिर प्रांगण सुसज्जित हुआ। राजकोट  जगन्नाथ मंदिर के चित्र साथ संलग्न हैं।

 मंदिरों  में जब इस तरह दीप जगमगाते हैं तो यहाँ पूजन के लिए आने वाले भक्त भी प्रेरित होते हैं। यहाँ से वापस लौटते समय अपने घरों में दीपक जलाने का संकल्प लेकर जाते हैं । 

राजकोट जगन्नाथ मंदिर का यह संदेश दूर तक पहुंचेगा। देर तक लोगों के तन मन को आलोकित करेगा।

दिल्ली के कुछ मंदिरों में भी दीपदान हुआ।

पर आतिशबाजी नहीं चलाने का लक्ष्य आटे में नमक के बराबर भी प्राप्त नहीं हुआ।

परिणाम स्वरूप दिल्ली के ज्ञात इतिहास में पहली बार  दीपावली के अगले दिन से नाक पर पट्टी लगाने की नौबत आ गयी जो आज 09 नवंबर तक जारी है।

सुश्रुत संहिता में ऋतुचर्या अध्याय में जनपद ध्वंस होने के जिन कारणों का उल्लेख किया गया है वह केवल दिल्ली में ही नहीं अपितु देश के अधिकांश स्थानों पर घटित हुए । परिणाम स्वरूप पूरे देश में दीपावली के अगले दिन से जहरीले वायु प्रदूषण की अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हुई। 

बड़ी संख्या में लोग, आंखों में जलन, उल्टी,  श्वांस रोग, शिरो वेदना रोग सहित अनेक बीमारियों के शिकार हुए।लेकिन देश की राजधानी खबरिया चैनलों की भी राजधानी है। 

देश में अन्य स्थानों की वेदना की सूचना तो कम मिली पर दिल्ली में भयंकर प्रदूषण की खबर छाती पीट पीट कर दहाड़ें मार मार कर गायी और सुनायी गयी।


हाहाकार मच गया । आनन फानन में देश की राजधानी दिल्ली में स्कूल बंद कर दिए गए।

अमला चाकर नौकर मालिक , समाधान किसी के पास नहीं है क्योंकि अपने अतीत से सबक लेने की फुर्सत किसी को नहीं है। जिस पल नवरात्रि के दिनों में आतिशबाजी से दूर रहने के लिए सजग किया जा रहा था अधिकांश लोग सुनने को नहीं तैयार हुए। जिन्होंने सुना उन्हें दीपक पर स्थिर रहते हुए भी आतिशबाजी से दूर रहने की संकल्प शक्ति जागृत नहीं हुई।
परिणाम अब सब भुगत रहे हैं।

क्या वाकई समाधान किसी के पास नहीं है ?

नहीं ऐसा नहीं है । समाधान है। ड्रीम द्वारका के पास समाधान है। स्थायी समाधान है। 
पर इस समाधान पर चलेगा कौन ?
 विश्वास कौन करेगा ?

लोग विश्वास कर सकें 
इसलिए एक छोटा सा वैदिक समाधान यंत्र विडियो संदेश के रूप में यू ट्यूब पर अपलोड किया गया है। 

उदाहरण के रूप में यहां साथ संलग्न किया गया है।  
इसे सुनें
देखें।
अपने घरों में आजमा कर देखें। 

घर के अंदर का 
प्रदूषण 
हर हाल में दूर होगा 
सौ प्रतिशत 
हजार प्रतिशत 
अनंत प्रतिशत दूर हो जायेगा 
यह  विश्वास हमें है।

सत्य को गवाही की जरूरत नहीं होती फिर भी आप अपनी आंखों से विडियो देखें, आज़माएं।

अपने घर के अंदर का प्रदूषण दूर होकर सुरभित वातावरण होने का  जिस पल भरोसा हो जाए उस पल बाहर के प्रदूषण के समाधान के लिए साथ मिल कर हम चलें यह आह्वान है।

  दिल्ली के वातावरण में  कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि से स्वतः स्थिति संभलनी शुरु हुई। सप्तमी और अष्टमी को स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है पर यह क्रम बना रहेगा इसकी उम्मीद नहीं रखें । हम अपने कर्मों का फल प्राप्त करेंगे। 

आज कार्तिक शुक्ल नवमी है। मौसम फिर से करवटें बदल सकता है। हम सामूहिक प्रयासों से अपने पर्यावरण को बेहतर बना सकते हैं। ये प्रयास सत्य पर आधारित हों , ज्ञान पर आधारित हों कर्म निष्ठा पर आधारित हों तो सफलता निश्चित मिलेगी।
 
एक ओर अमरीका में अप्रत्याशित चुनाव परिणाम अधिकांश के लिए आए हैं। पर मुस्कान मेल ने जब डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी उम्मीदवारी की अधिकृत घोषणा भी नहीं की थी, लगभग डेढ़ वर्ष पहले उसी समय भविष्यवाणी की थी कि वे विजयी हो सकते हैं।
 
लोकतांत्रिक चुनाव जब कभी होते हैं 
जहां कहीं होते हैं 
तो 
वोट डालते समय 
एक ही कारक 
मतदाता के लिए मुख्य होता है 
हमारे हितों की रक्षा सबसे बेहतर कौन कर सकता है। 

भारत में विगत 2014  संसदीय चुनाव में  वर्तमान प्रधानमंत्री ने यही विश्वास मतदाताओं को दिया था। दिल्ली विधानसभा के विगत 2015 चुनाव के दौरान यही विश्वास वर्तमान मुख्यमंत्री ने मतदाताओं को दिया था ।
इसी विश्वास के बल पर अजेय बहुमत के साथ डोनाल्ड ट्रंप जिन्हें कभी विदूषक और कभी दुनिया के लिए खलनायक घोषित किया गया आज दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र के मुखिया बन चुके हैं।

ईश्वर डोनाल्ड ट्रंप को  अच्छा स्वास्थ्य दे, उन्हें घर और बाहर में सशक्त बनने में सहयोग करे, स्पष्ट दृष्टि दे जिसके बल पर वे हमारे समय की समस्याओं का समाधान ढूंढ पाएं।

दूसरी ओर स्वदेश भारत में आज 9 नवंबर 2016,  कार्तिक शुक्ल नवमी को पुराने पांच सौ, एक हजार के नोट अप्रासंगिक बन गए। इतिहास बन गए। 

इस अर्थ में अक्षय नवमी देश की अर्थव्यवस्था के लिए काले धन से मुक्ति की दिशा में अक्षय तिथि साबित हो हम कामना करें।

अंधकार के बिना अस्तित्व असंभव है पर अंधकार जब अस्तित्व के लिए चुनौती बन जाए तो एक दीपक सघन अंधेरे में भी रौशनी के लिए पर्याप्त है। 

हम रौशनी के साथ चलें। सत्य के साथ चलें। अपने समय की समस्याओं के समाधान के लिए मिल कर प्रयास करें।

संगच्छध्वं.............

आइए हम मिल कर साथ चलें। 

साथ मुस्कुराएं
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल