नई नागर विमानन नीति को मंजूरी, 30 मिनट के सफर के लिए 1200 रुपये

जनता जनार्दन डेस्क , Jun 15, 2016, 15:01 pm IST
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नई नागर विमानन नीति को मंजूरी, 30 मिनट के सफर के लिए 1200 रुपये
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश में नई विमानन नीति को मंजूरी दे दी है। बुधवार को पीएम मोदी की अध्‍यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला किया गया। नई पॉलिसी के तहत अब 1 घंटे के सफर के लिए 2500 रुपये का किराया देना होगा, जबकि 30 मिनट के लिए 1200 रुपये देने होंगे। नई पॉलिसी में यात्रियों के हितों का ध्यान रखा गया है। इस नियम के बाद हवाई सफर करनेवाले मुसाफिरों को और भी कई फायदे होंगे।

इस पॉलिसी को मंजूरी मिलने से हवाई यात्रियों को काफी लाभ होगा और विमानन कंपनियों की मनमानी पर रोक लगेगी। दूसरी तरफ विमानन कंपनियों को कुछ सहूलियतें भी दी जायेंगी। नई पॉलिसी में विमान कंपनियों को 5/20 नियम से राहत मिलेगी। घरेलू उड़ानों पर अधिक जोर होगा और विदेश उड़ान के नियम अधिक आसान बनाये जायेंगे। 

रिपोर्ट के मुताबिक टिकट कैंसिल कराने की स्थिति में घरेलू हवाई यात्रा के लिए रिफंड 15 दिन और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के मामले में 30 दिनों के भीतर रिफंड विमानन कंपनी को देना होगा। अगर कोई यात्री अपना टिकट कैंसिल करवाता है तो कंपनी कैंसिलेशन चार्ज के तौर पर यात्री से 200 रुपए से ज्यादा नहीं वसूल सकती।

अगर कोई भी एयरलाइंस कंपनी अपनी उड़ान अचानक रद्द करती है तो यात्रियों को चार सौ फीसदी तक जुर्माना देना होगा। एविएशन कंपनी अगर कोई फ्लाइट रद्द करती है तो उसे इसकी सूचना ग्राहकों को 2 महीने पहले देनी होगी और पूरा रिफंड भी करना होगा।

चेक्ड इन बैगेज के संबंध में एयरलाइंस सामानों के 15 किलोग्राम की सीमा से ज्यादा वजन होने पर 20 किलोग्राम तक के लिए प्रति किलोग्राम 100 रपए का शुल्क लेंगी। इस समय 15 किलोग्राम की सीमा से अधिक सामान होने पर प्रति किलोग्राम के लिए 300 रपए का शुल्क लिया जाता है। केवल एयर इंडिया 23 किलोग्राम तक नि:शुल्क सामान ले जाने की मंजूरी देती है।

ये बदलाव लगभग एक दशक बाद लाए जा रहे हैं और इससे विमान यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी और अधिक से अधिक लोग विमान यात्रा के लिए प्रोत्साहित होंगे। विमानन क्षेत्र के विशेषज्ञों ने हालांकि इन प्रस्तावित बदलावों की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे विमानन क्षेत्र का वृद्धि का इंजन पलट जाएगा। बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किए गए आंकड़े के अनुसार इस साल जनवरी-मार्च के दौरान दस भारतीय एयरलाइनों ने कुल 18,512 उड़ानों में देरी की।
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