मैं फौजी शासक था,सिविल कोर्ट नहीं कर सकता सुनवाई: मुशर्रफ

मैं फौजी शासक था,सिविल कोर्ट नहीं कर सकता सुनवाई: मुशर्रफ इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने देशद्रोह के मामले में अपने खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए एक विशेष अदालत के गठन को शनिवार को चुनौती देते हुए कहा कि उन्होंने 2007 में सेना प्रमुख के तौर पर आपातकाल लगाया था और कोई दीवानी अदालत उन पर मुकदमा नहीं चला सकती।

मुशर्रफ के कानूनी सलाहकार दल के प्रमुख मोहम्मद अली सैफ ने कहा कि हमने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर विशेष अदालत के गठन को चुनौती दी है। वे मुशर्रफ पर मुकदमा चलाने के लिए सक्षम नहीं हैं। तीन दिन बाद 70 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति को विशेष अदालत के समक्ष पेश होना है।

पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार कोई पूर्व सैन्य तानाशाह देशद्रोह के मुकदमे का सामना कर रहा है। अगर मुशर्रफ दोषी पाये जाते हैं तो उन्हें उम्रकैद या मौत की सजा सुनाई जा सकती है। सैफ ने कहा कि सैन्य अधिकारी होने के नाते मुशर्रफ पर पाकिस्तान सेना कानून, 1952 लागू होता है।

रिट याचिका में कहा गया है कि मुशर्रफ ने 3 नवंबर, 2007 को आपातकाल लागू करने का फैसला किया जिस समय वह सेना प्रमुख थे। यह फैसला किसी व्यक्ति का नहीं था, इसलिए उन पर अकेले मुकदमा नहीं चल सकता। याचिका में कहा गया है कि सरकार मुशर्रफ के मामले को राजनीतिक एजेंडा की तरह चला रही है।

लंदन में मुशर्रफ के कानूनी प्रतिनिधियों ने मानवाधिकारों के संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त को पहले ही रिपोर्ट जमा कर दी है और अमेरिका, ब्रिटेन तथा सउदी अरब से पूर्व सैन्य शासक की मदद करने की अपील की।

पाकिस्तान सरकार ने मुशर्रफ पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालत बनाई थी। सरकार ने 17 नवंबर को मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने का फैसला किया। सरकार ने हाल ही में मुशर्रफ के खिलाफ आरोपपत्र को अंतिम रूप दिया था।

मुशर्रफ 1999 में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार को गिराकर सत्ता पर काबिज हुए थे और 2008 तक रहे। महाभियोग की चेतावनी के बाद उन्हें इस्तीफा देने के लिए बाध्य होना पड़ा। वह करीब पांच साल तक स्वनिर्वासन में रहे और मार्च में पाकिस्तान लौटे।

उन्हें 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या समेत अलग-अलग मामलों में अदालत में जाना पड़ा। मुशर्रफ को चार बड़े मामलों में जमानत मिल गई थी, लेकिन देशद्रोह मामले में उन पर चलने वाला मुकदमा उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
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