पुलिस की FIR और ईडी की ECIR में क्या है फर्क
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Oct 19, 2023, 13:11 pm IST
Keywords: PMLA FIR ECIR पीएमएलए PMLA Provisions अदालत से सॉलिसीटर ईडी जस्टिस संजय किशन कौल
देश की सर्वोच्च अदालत में प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (PMLA) के प्रोविजंस जोरदार बहस में जमकर दलील पेश की गई. बहस का मूल मुद्दा था कि इस एक्ट को लागू करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को जितने अधिकार मिले हैं उस पर एक बार फिर से विचार करने की जरूरत है. ईडी (ED) को मिले अधिकारों के समर्थन में सॉलीसिटर जनरल एस जी मेहता और याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल तीन जजों की पीठ( जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एम बेला त्रिवेदी) के सामने दलील पेश कर रहे थे. दोनों पक्षों की दलील में पीठ के सामने कई मुद्दे उठे जिनमें एफआईआर और एनफोर्समेंट केस इनफॉर्मेशन रिपोर्ट का मुद्दा अहम था. यहां पर एफआईआर और ईसीआईआर के फर्क को बताएंगे.लेकिन उसके पहले बहस के विषय को भी समझना भी जरूरी है.
27 जुलाई 2022 को तीन जजों की पीठ( जस्टिस ए एम खानविल्कर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार) ने आदेश पारित कर प्रवर्तन निदेशालय को पीएमएलए से जुड़े केस में कुछ विशेष अधिकारों की वैधता पर मुहर लगा दी थी. अदालत ने केंद्र सरकार की दलील पर मुहर लगाते हुए कहा कि ईडी, बिना शिकायत दर्ज किए हुए पीएमएलए केस में ना सिर्फ किसी शख्स के ठिकानों को जांच और जब्ती कर सकती है बल्कि गिरफ्तार भी कर सकती है. यही नहीं ईडी के सामने आरोपी व्यक्ति के बयान को अदालत में साक्ष्य माना जाएगा. यही नहीं अदालत के सामने व्यक्ति पर ही बेगुनाही को साबित करने की जिम्मेदारी होगी. पीएमएलए के इन्हीं कड़े प्रावधानों को लेकर याचिकाकर्ताओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सामने अर्जी लगाई गई थी. दरअसल जब कोई घटना होती है तो शिकायतकर्ता अपनी शिकायत लेकर थाने जाता है और शिकायत दर्ज कराता है. शिकायत की जांच सक्षम अधिकारी करता है और यदि उसमें तथ्य मिलते हैं तो उसके आधार पर प्राथमिक सूचना रिपोर्ट यानी एफआईआर दर्ज की जाती है. तय समय सीमा के अंदर चार्जशीट दाखिल कर मामला कोर्ट के सुपुर्द किया जाता है. एक बार जब एफआईआर दर्ज की जाती है जो उसे बिना अदालत के अनुमति वापस नहीं ली जा सकती है. आर्थिक अपराधों में जिसमें विदेशी मुद्रा का मसला भी होती है उसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय करता है. एनफोर्समेंट केस इंफॉर्मेशन रिपोर्ट यानी ईसीआईआर एक औपचारिक एंट्री होती है जो ईडी के द्वारा दर्ज की जाती है. यहां बता दें कि पीएमएलए 2002 में इस प्रोविजन की व्यवस्था नहीं थी. इसे बाद में जोड़ा गया. ईसीआईआर के बारे में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 2022 में कहा था कि ईडी की ईसीआईर, एफआईआर की ही तरह है और यह जरूरी नहीं है कि संबंधित पक्ष को देना आवश्यक नहीं है. बता दें कि ईसीआईआर को जांच एजेंसी आंतरिक दस्तावेज बताती है. सुप्रीम कोर्ट के सामने सरकार की तरफ से तर्क पेश करते हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि एक अजीब परंपरा की शुरुआत है कि तीन जजों पीठ के फैसले को तीन जजों की पीठ रिव्यू कर रही है. मेहता की इस दलील पर मौजूदा तीन जजों की पीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ताओं की बातों में दम नहीं होगा तो अर्जी खारिज कर दी जाएगी. लेकिन उनकी बातों में दम नजर आया तो हम फैसला नहीं देंगे बल्कि इस केस को बड़ी बेंच के सुपुर्द कर देंगे. तुषार मेहता ने जब कहा कि हमें सचेत और सतर्क रहना होगा तो उस बात पर जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि हम सचेत है और हमें यानी पीठ को किसी पार्टी से सतर्क रहने की जरूरत नहीं है. |
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