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खुद हिले पर हिम्मत नहीं हिली
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jul 14, 2011, 18:58 pm IST
Keywords: Shaken Zaveri Bazar Jewellers Won't shift Diamond Gold jewelery Hubs Mumbai मुम्बई झावेरी बाजार व्यवसाय चिंता हिम्मत नहीं हिली
![]() जब यहां के व्यापारियों से पूछा गया कि क्या वे यह बाजार छोड़कर चले जाएंगे तो उनमें से ज्यादातर ने इससे इंकार कर दिया। स्वर्ण आभूषणों के जौहरी राजू सोलंकी ने कहा, "यहां से हटने का क्या मतलब है। क्या अन्य व्यवसायिक जगहें सुरक्षित हैं।" राजू की दुकान से मुश्किल से 200 मीटर की दूरी पर बुधवार को विस्फोट हुआ था। राजू की दुकान पिछले 60 साल से यहीं पर है। दक्षिण मुम्बई का यह आभूषण बाजार बीते 18 साल में बुधवार शाम तीसरी बार आतंकवादी हमले की चपेट में आया। मुम्बई में बुधवार को हुए तीन श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों में से एक विस्फोट यहां हुआ था। एक अन्य विस्फोट दादर में व दूसरा ओपेरा हाउस में हुआ था। विस्फोटों में कम से कम 17 लोग मारे गए थे और 131 घायल हुए। विस्फोटों के बाद इस बाजार की 10,000 से ज्यादा दुकानें अस्थायी तौर पर बंद कर दी गई हैं। ऐसे में ज्यादातर जौहरियों को उनका व्यापार प्रभावित होने की फिक्र है। मोहनलाल सेठ ने कहा, "मेरी दुकान विस्फोट स्थल से मुश्किल से आधे मिनट की दूरी पर है और अब मुझे इसे बंद रखना पड़ रहा है, क्योंकि पुलिस ने इस पूरे क्षेत्र को घेर रखा है।" उन्होंने कहा, "दोस्त और रिश्तेदार मुझ पर अन्य स्थान पर अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए दबाव बना रहे हैं लेकिन यह इतना आसान नहीं है क्योंकि कहीं पर भी सुरक्षा की गारंटी नहीं है।" झावेरी बाजार को सबसे पहले 13 मार्च 1993 को निशाना बनाया गया था। उस समय मुम्बई में 13 श्रृंखलाबद्ध विस्फोट हुए थे। इन विस्फोटों में 257 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा घायल हो गए थे। दूसरा आतंकवादी हमला 25 अगस्त, 2003 को हुआ था। उस समय दोहरा बम विस्फोट हुआ। एक विस्फोट गेटवे ऑफ इंडिया पर और दूसरा झावेरी बाजार में हुआ। इन विस्फोटों में 54 लोग मारे गए और 244 घायल हुए। झावेरी बाजार में करीब 50,000 छोटी-बड़ी दुकानें हैं और हीरों पर पॉलिश करने वाली छोटी-छोटी इकाइयां हैं। यहां 10 किलोमीटर के क्षेत्र में सोने-चांदी की ईंटों का एक संकरा बाजार भी है। मुम्बई जौहरी संघ के उपाध्यक्ष कुमार जैन भी इन विस्फोटों के व्यवसाय पर असर को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा, "यदि इस तरह के हमले जारी रहे तो कुशल कामगार अपने-अपने क्षेत्रों को लौट जाएंगे और इससे मुम्बई की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।" |
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