कभी चर्चा में थी ललित-वसुंधरा की दोस्ती

कभी चर्चा में थी ललित-वसुंधरा की दोस्ती जयपुर: आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की दोस्ती भले ही आज कमजोर पड़ गई हो, लेकिन एक वक्त था जब राजस्थान में दोनों की नजदीकियां चर्चा में थी।

ललित मोदी ने टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में राजे के साथ अपनी दोस्ती स्वीकार की थी। उन्होंने इंडिया टूडे से इस सप्ताह कहा, "मेरी दोस्ती वसुंधरा राजे से 30 साल पुरानी है। वह मेरे परिवार और मेरी पत्नी की करीबी मित्र हैं।

वहीं राजे ने बयान जारी कर स्वीकारा था कि वह आईपीएल के पूर्व प्रमुख के परिवार को जानती हैं, जिन पर वित्तीय अनियमितता और धन की हेराफेरी के आरोप हैं।

राजस्थान के लोगों ने मोदी को तब जाना जब वह 2005 में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के अध्यक्ष बने, जब राजे नीत भाजपा सरकार राज्य में सत्ता में थी। इसके बाद मोदी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा, और वह आईपीएल के पहले प्रमुख बने।

राजे के 2003 में मुख्यमंत्री बनने के बाद वह 2008 तक पर पर बनी रहीं, मोदी पर समानांतर सरकार चलाने का आरोप लगा। वह एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे, जो पांच सितारा होटल के सुइट में ही ठहरते थे। कांग्रेस नेताओं ने उन पर सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया था।

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2010 में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, "उस वक्त अधिकारी उनके सुइट में फाइल लेकर मिलने जाते थे, लेकिन राजे को इसकी जानकारी होने के बावजूद वह नहीं रोकती थीं।"

गहलोत ने हाल ही में बयान जारी कर कहा, "मैं 2003-04 से ही राजे और ललित के भ्रष्टाचार से जुड़े संबंध को उठाता रहा हूं।"

दोनों के संबंध इतने नजदीकी थे कि मोदी के अनुसार राजे उनकी पत्नी को कैंसर का उपचार कराने के लिए 2012 और 2013 में पुर्तगाल ले गई थीं। उन्होंने जयपुर में आधुनिक कैंसर संस्थान स्थापित करने के लिए उसी अस्पताल के साथ समझौता भी किया था, जहां ललित की पत्नी का इलाज चल रहा था।

राजस्थान सरकार की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, राजे नीत भाजपा सरकार ने दो अक्टूबर, 2014 को फिर पुर्तगाल के चैम्पालिमौद फाउंडेशन के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया।

समझौते पर हस्ताक्षर राजे की मौजूदगी में किया गया, जहां उन्होंने कहा कि कैंसर मरीजों को ज्यादा बेहतर उपचार उपलब्ध होगा और केंद्र उन लोगों के लिए वरदान साबित होगा, जो कैंसर उपचार का महंगा खर्च वहन नहीं कर सकते।

हालांकि, दोनों के बीच का संबंध समय के साथ कड़वा होता गया। इसके पीछे कोई एक निश्चित वजह तो नहीं, लेकिन एक वजह 2013 विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारा भी माना जाता है।
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