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5 अक्टूबर को बिहार मना रहा 'डॉल्फिन दिवस'
मनोज पाठक ,
Oct 05, 2012, 14:09 pm IST
Keywords: World Rare Creatures Gangetik Endangered Dolphins Declared The National Aquatic Animal Bihar Five In October "Dolphin Day" दुनिया दुर्लभ प्राणियों विलुप्तप्राय गैंगेटिक डॉल्फिन राष्ट्रीय जल जीव घोषित बिहार पांच अक्टूबर 'डॉल्फिन दिवस'
![]() डॉल्फिनों की तादाद में लगातार हो रही कमी की वजह उनका लगातार हो रहा शिकार व गंगा का प्रदूषण बताया जा रहा है। वैसे सरकार अब डॉल्फिन को बचाने के लिए पटना में एशिया का पहला डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र खोलने वाली है। केंद्र सरकार के वर्ष 2009 में 'भारतीय वन्य जीव संरक्षण नीति' के तहत डॉल्फिन को सुरक्षा प्रदान करने के बाद भी बिहार की गंगा नदी में इसकी सुरक्षा के लिए कोई खास प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। गंगा में जलस्तर घटने व उसमें गंदगी को लेकर पर्यावरण वैज्ञानिकों ने भी समय-समय पर चिंता प्रकट की है। जलस्तर घटने के कारण डॉल्फिनों के शिकार की आशंका बढ़ जाती है। राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि बिहार में दो अक्टूबर से व्यापक तरीके से वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जा रहा है। पटना में गंगा के डॉल्फिन वाले क्षेत्रों को डॉल्फिन वॉच सेंटर के रूप में विकसित करने की योजना है। कनाडा और जापान के व्हेल व डॉल्फिन दर्शन केंद्रों की तर्ज पर इसे विकसित किया जाएगा। मोदी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष पांच अक्टूबर को डॉल्फिन दिवस मनाया जाएगा। जिसके तहत लोगों को डॉल्फिन के प्रति जागरूक करने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इसमें मछुआरों सहित आम लोगों को डॉल्फिन की जानकारी दी जाएगी। विशेषज्ञ बताते हैं कि पूरे देश में डॅल्फिनों की संख्या 1800 है जिनमें से केवल बिहार में ही 1200 से 1300 डॉल्फिन हैं। उल्लेखनीय है कि इन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार ने वर्ष 1991 में बिहार में सुल्तानगंज से लेकर कहलगांव तक के करीब 60 किलोमीटर क्षेत्र को 'गैंगेटिक रिवर डॉल्फिन संरक्षित क्षेत्र' घोषित किया था। इसके बाद भी डॉल्फिन के शिकार में कमी नहीं आ रही है। डॉल्फिन संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा गठित सलाहकार समिति के अध्यक्ष व पटना विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ़ आऱ क़े सिन्हा ने आईएएनएस को बताया कि डॉल्फिनों में एक विशेष प्रकार का तेल पाया जाता है। यह तेल किसी भी डॉल्फिन के वजन का 30 प्रतिशत होता है। इस तेल की गंध से अन्य मछलियां उसकी ओर आकर्षित होती है। मछुआरे अपने जाल में इसी तेल का प्रयोग करते हैं, इस कारण वे डॉल्फिन का शिकार करते हैं। उन्होंने बताया कि अब भारत में कुल 2000 से कम ही डॉल्फिन हैं। वह डॉल्फिनों की कमी का कारण गंगा का प्रदूषणयुक्त होना भी बताया। उन्होंने कहा कि गंगा के घटते जलस्तर को रोकना एक बड़ी चुनौती है। गौरतलब है कि फरवरी 2012 में योजना आयोग के अध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया अपने बिहार दौरे के दौरान यहां गंगा की सैर पर निकले थे। तब उन्होंने डॉल्फिनों की अठखेलियों को देखा था। तभी उन्होंने यहां डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र खेालने की घोषणा की थी। सिन्हा कहते हैं कि बिहार सरकार की पहल पर बनने वाला यह एशिया का पहला डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र डॉल्फिन व उसकी कुछ प्रजातियों को बचाने के तरीके खोजेगा। गैंगेटिक डॉल्फिन स्वच्छ पानी में पाई जाने वाली डॉल्फिन की चार प्रजातियों में एक है। डॉल्फिन स्तनधारी जीव है जो सिटेसिया समूह का एक सदस्य है। आम बोलचाल की भाषा में इसे सोंस और संसू व गंगा की गाय के नाम से भी जाना जाता है। जानकार बताते हैं कि एक पूर्ण वयस्क डॉल्फिन की लम्बाई दो से 2.70 मीटर तक होती है जबकि इनका वजन 100 से 150 किलोग्राम तक होता है। मादा डॉल्फिन नर डॉल्फिन से अपेक्षाकृत बड़ी होती है। दोनों जबड़ों में 130 से 150 दांत होते हैं। डॉल्फिन के विकास के क्रम में इनमें चमगादड़ों की तरह बहुत ही सूक्ष्म 'इको लोकेशन सिस्टम' का विकास होता है। ये ध्वनि के आधार पर दिशा का अनुमान लगाते हैं और अपना शिकार खोजते हैं। |
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