ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश सही था या गलत

जनता जनार्दन संवाददाता , Jul 06, 2022, 10:16 am IST
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ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश सही था या गलत वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. हाईकोर्ट में सुबह10 बजे से शुरू होने वाली इस बहस में आज हिंदू पक्ष की ओर से दलीलें दी जाएंगी. इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी और दूसरे पक्षों की बात सुनी जाएगी. हाईकोर्ट के इस फैसले पर सभी पक्षों की नजरें टिकी हुई हैं. दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई सर्वेक्षण कराने के आदेश को मस्जिद कमेटी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी हुई है. इस मामले में मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और वक्फ बोर्ड की ओर से 6 अलग अलग याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इस मामले में जस्टिस प्रकाश पांडिया की एकलपीठ सुनवाई कर रही है.

बताते चलें कि वाराणसी की सिविल जज कोर्ट ने हिंदू पक्ष की अर्जी पर सुनवाई करते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया था. इसके लिए कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर और स्पेशल कोर्ट कमिश्नर की भी नियुक्ति की थी. कोर्ट कमिश्नर के सर्वे में मस्जिद परिसर के भीतर कई ऐसी चीजें मिलीं, जिससे ये सिद्ध होता है कि वह मस्जिद प्राचीन शिव मंदिर के ऊपर ही गुंबद बनाकर निर्मित की गई थी. सर्वे में सबसे बड़ा सबूत मस्जिद के पिछले हिस्से में बने वजूखाने में मिला. कोर्ट कमिश्नर के आदेश पर जब वजूखाने का पानी निकलवाकर चेक किया गया तो वहां पर पानी में डूबा विशालकाय शिवलिंग मिला. 

मस्जिद कमेटी  के लोगों ने दावा किया कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है. हालांकि जब कोर्ट कमिश्नर ने फव्वारे को चलाने को कहा तो कमेटी के लोग ऐसा नहीं कर पाए. इसके बाद कमेटी के पदाधिकारियों ने इस सर्वे को अवैध बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. कमेटी का कहना है कि वर्ष 1991 के संसद के वर्शिप एक्ट के तहत वर्ष 1947 से पहले बने किसी भी धर्म स्थल पर विवाद खड़ा नहीं किया जा सकता. 

वहीं हिंदू पक्ष का कहना है कि यह विवाद वर्शिप एक्ट के दायरे में नहीं आता. इसकी वजह ये है कि मौजूदा ज्ञानवापी मस्जिद और कुछ नहीं बल्कि प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर ही है. जिसे औरंगजेब के आदेश पर तोड़ दिया गया था. ऐसे में हिंदू पक्ष को नया धार्मिक विवाद खड़ा नहीं कर रहा बल्कि अपने प्राचीन दावे को ही दोहरा रहा है, जिसकी पड़ताल कर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए. अब सब कुछ इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर आकर टिक गया है. अगर कोर्ट सिविल जज की कोर्ट के सर्वे के आदेश को सही ठहराती है तो यह कार्रवाई आगे बढ़ जाएगी और अगर कोर्ट रोक लगाती है तो मामला फिर सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच सकता है. 

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