राजीव गांधी हत्या मामले में बड़ा फैसला, एजी पेरारिवलन की रिहाई का दिया आदेश

जनता जनार्दन संवाददाता , May 18, 2022, 12:56 pm IST
Keywords: Rajiv Gandhi Assassination case   राजीव गांधी हत्या   सुप्रीम कोर्ट   न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव  
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राजीव गांधी हत्या मामले में बड़ा फैसला, एजी पेरारिवलन की रिहाई का दिया आदेश साल 1991 में हुई पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने उम्र कैद की सजा के तहत 30 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद ए.जी. पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश सुनाया है.

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया. पीठ ने कहा, ‘ राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर अपना फैसला किया था. अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा.’

संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू ना होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे ए. जी. पेरारिवलन को कोर्ट ने यह देखते हुए 9 मार्च को जमानत दे दी थी कि सजा काटने और पैरोल के दौरान उसके आचरण को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं मिली.

एजी पेरारिवलन उन सात दोषियों में से एक हैं जिन्हें राजीव गांधी हत्या मामले में उम्र कैद की सजा मिली थी. उनके साथ ही इस मामले में संथन, मुरुगन, नलिनी, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन जेल में सजा काट रहे हैं.

गौरतलब है कि 21 मई 1991 के आम चुनाव में प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती बम हमले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में टाडा अदालत और सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन समेत 7 लोगों को दोषी ठहराया था. कोर्ट ने पेरारिवलन को मौत की सजा सुनाई थी. लेकिन पेरारिवलन ने दया याचिका दायर की, जिसकी सुनवाई में देरी होने पर उनकी सजा को उम्र कैद में बदल दिया गया.

इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने उसकी उम्र कैद को भी खत्म कर रिहा करने के लिए रेजोल्यूशन पास किया था. पेरारिवलन ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार ने उसे रिहा करने का फैसला लिया, लेकिन राज्यपाल ने फाइल को काफी समय तक अपने पास रखने के बाद राष्ट्रपति को भेज दिया. यह संविधान विरुद्ध है.
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