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कांग्रेस के सामने वोटरों के बढ़े विश्वास को बढ़ाने की चुनौती

कांग्रेस के सामने वोटरों के बढ़े विश्वास को बढ़ाने की चुनौती
आंकड़ों की लीला अजीब होती है। आंकड़े डराते हैं और सुखद अहसास भी कराते हैं। बशर्ते आंकड़े बदलने के लिए कड़ा पसीना बहाया गया हो आंकड़ों में जरा सा हेरफेर आसान है लेकिन हकीकत कठिन। पिछले दो चुनावों के आंकड़े कुछ ऐसे ही थे लेकिन इस बार आंकड़ों में हल्का सा उलट-पुलट कांग्रेस में नई जान डालने वाला साबित हुआ है।  
 
याद कीजिए, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़े गए 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस को स्वतंत्रता के बाद हुए चुनाव में सबसे कम 44 सीटें मिलीं थीं। 2019 में कांग्रेस की सूरत थोड़ी ही बदली। हाल कमोबेश पहले जैसा ही था। कांग्रेस के इस हालात पर बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेषकों चिंतकों और मूर्धन्य पत्रकारों ने कांग्रेस के खत्म होने की भविष्यवाणी और प्रधानमंत्री मोदी ने तो कांग्रेस मुक्त भारत की कल्पना ही कर डाली। आपको याद होगा 2014 में करारी हार के बाद राहुल गांधी के अचानक एक महीने अज्ञातवास पर चले जाने को भी न जाने किस-किस चश्मे से देखा गया। उन्हें पलायनवादी बता दिया गया। कुछ विद्वानों ने तो कांग्रेस नेतृत्व को 'अविश्वासी' तक कहने में संकोच नहीं किया।
 
वोट शेयर के आइने में आपको बहुत बदलाव नजर नहीं आएगा लेकिन कुल मिले वोटो का तुलनात्मक अध्ययन से कांग्रेस के प्रति वोटरों के बढ़ते विश्वास को आप महसूस कर सकेंगे। 2014 और 2019 के चुनाव में चुनाव में कांग्रेस को क्रमशः 10,69, 35942 (19.53%) और 11,04,95 214 (19.47%) वोट मिले। 2014 के मुकाबले 2019 में .06% वोट कम मिलने के बावजूद कांग्रेस के आठ सांसद ज्यादा जीते और करीब 36 लाख वोट अधिक मिले। वर्ष 2024 के आम चुनाव में 1.72% की वृद्धि के साथ कांग्रेस के खाते में 21.19% मत आए हैं। मामूली सी लगने वाली इस वृद्धि से कांग्रेस से 47 सांसद अधिक चुने गए हैं।
 
 इस चुनाव में कांग्रेस को 13,67,59,064 वोट मिले हैं। 2019 के मुकाबले इस बार के चुनाव में कांग्रेस के 1,72,63,850 वोट अधिक हैं। इसका साफ मतलब है कि कांग्रेस के प्रति वोटरों का विश्वास बढ़ा है लेकिन इन वोटरों का विश्वास बनाए रखते हुए वोट शेयर और बढ़ाने की चुनौती कांग्रेस के सामने अभी भी खड़ी है। यह भी सही है कि 40 साल बाद कांग्रेस 12 करोड़ वोटों से आगे के सफर पर निकली है। 
 
आप याद कीजिए, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 2024 के चुनाव के 2 साल पहले वातानुकूलित कमरे छोड़कर भारत जोड़ो यात्रा पर कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल चले। समय लगाया। पसीना बहाया। धूप देखी न बारिश। हवा न बर्फबारी। मणिपुर से मुंबई तक भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले। इस मेहनत का अंजाम आंकड़ों में देखेंगे तो बहुत फर्क नजर नहीं आएगा लेकिन सांसदों की संख्या दोगुने के करीब पहुंच गई और नए वोटर जुड़ने का आंकड़ा सुखद एहसास कराने वाला है लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि कांग्रेस चुपचाप बैठ जाए। 
 
अभी कांग्रेस और भाजपा के बीच करीब 10 करोड़ वोटों का फासला बना हुआ है। भाजपा को 24 के आम चुनाव में 23 करोड़ से ज्यादा वोट मिले हैं। इस फासले को खत्म करने के लिए अभी कांग्रेस या कह लीजिए इंडिया गठबंधन को 5 करोड़ वोटरों को अपने पाले में लाने की चुनौती बरकरार है। इस उपलब्धि पर कांग्रेस या इंडिया गठबंधन का इतराना आत्मघाती होगा। इसका सीधा मतलब है कि एनडीए को देश पर शासन करने के और मौके मयस्सर कराना। 
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