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मप्र में 37 फीसदी महिलाएं कराती हैं 6 माह स्तनपान

जनता जनार्दन संवाददाता , Aug 01, 2012, 11:52 am IST
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मप्र में 37 फीसदी महिलाएं कराती हैं 6 माह स्तनपान भोपाल: नवजात शिशुओं के लिए मां का दूध अमृत से कम नहीं होता। जन्म के पहले घंटे के भीतर स्तनपान कराने और छह माह तक लगातार यह सिलसिला जारी रखने से नवजात को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है। लेकिन मध्य प्रदेश में तमाम कोशिशों के बाद भी महिलाओं में स्तनपान के प्रति रुझान नहीं बढ़ रहा है।

राज्य में एक अगस्त से स्तनपान को प्रोत्साहित करने के लिए सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इतना ही नहीं महिला बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग और बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ ने मिलकर 37 दिन की कार्ययोजना भी बनाई है, ताकि स्तनपान के महत्व को बताया जा सके। लेकिन कई वर्षो से जारी कोशिशों के बाद भी महिलाओं को यह बात नहीं समझाई जा सकी है कि मां का दूध बच्चे के लिए बहुत जरुरी तथा फायदेमंद होता है।

भारत सरकार द्वारा हाल ही में जारी की गई वार्षिक रपट, स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2010-11 में पता चला है कि राज्य में 61़ 5 फीसदी महिलाएं नवजात को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान तो करा देती हैं, मगर छह माह तक यह सिलसिला जारी नहीं रखतीं।

लगातार छह माह तक स्तनपान कराने का सिलसिला सिर्फ 37 फीसदी महिलाएं ही रख पाती है। पहले एक घंटे में ज्यादा महिलाओं द्वारा स्तनपान कराने की मूल वजह संस्थागत प्रसव में हुआ इजाफा है।

इतना ही नहीं राज्य में कुपोषित बच्चों की संख्या भी 52 फीसदी है। यह खुलासा राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा 2010 में तैयार की गई सर्वेक्षण रपट करती है। राज्य में जन्म लेने वाले 1,000 जीवित नवजात शिशुओं में 62 बच्चे अपने जन्म का पहला जन्मदिन ही नहीं मना पाते है।

यूनिसेफ के क्षेत्रीय कार्यालय मध्य प्रदेश की प्रमुख डॉ तानिया गोल्डनर नवजात शिशुओं के लिए स्तनपान अति आवश्यक बताती है।

उनका कहना है कि पहले घंटे से छह माह तक शिशु को स्तनपान कराने से पौष्टिक तत्व, विटामिन व खनिज आदि की पूर्ति मां के दूध से हो सकती है। छह माह बाद स्तनपान के साथ-साथ दो वर्ष तक ऊपरी आहार देने से सार्थक नतीजे सामने आते हैं। ऐसा करने से शिशु मृत्यु दर में 19 प्रतिशत की कमी आई है।

डॉ. गोल्डनर का कहना है कि स्तनपान के मामले में राज्य में सुधार आया है, मगर 73 लाख लोगों तक यह संदेश नहीं पहुंच पाया है। आगामी 37 दिनों तक चलने वाले अभियान के जरिए लोगों में जागृति लाना है।

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