Tuesday, 14 January 2025  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

बांग्लादेश में फिर आयरन लेडी की सरकार

जनता जनार्दन संवाददाता , Jan 08, 2024, 19:30 pm IST
Keywords: Bangladesh News   बांग्लादेश   अवामी लीग पार्टी   Bangladesh Election   India-Bangladesh Ties  
फ़ॉन्ट साइज :
बांग्लादेश में फिर आयरन लेडी की सरकार

बांग्लादेश के आम चुनावों में एक बार फिर प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी ने जीत के झंडे गाड़े हैं. लगातार चौथी बार अवामी लीग पार्टी को बांग्लादेश की जनता ने सिरआंखों पर बैठाया है. प्रधानमंत्री शेख हसीना की लीडरशिप ने पार्टी में 300 सदस्यीय संसद में 223 सीटें जीतीं. 76 साल की हसीना  ने गोपालगंज-3 सीट पर भारी मतों के अंतर से जीत हासिल की. संसद सदस्य के रूप में यह उनका आठवां कार्यकाल है. हसीना 2009 से सत्ता पर काबिज हैं और आम चुनाव में लगातार चौथी बार जीत हासिल की है.

चुनाव में शानदार जीत के बाद शेख हसीना ने भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, भारत बांग्लादेश का पक्का दोस्त है. उन्होंने 1971 और 1975 में हमें सपोर्ट किया था. हमें खुशी है कि भारत के साथ हमारे इतने गहरे संबंध हैं. अगले 5 साल में हम आर्थिक विकास पर फोकस करेंगे और जो काम हमने शुरू किए हैं, उनको पूरा करेंगे. 

शेख हसीना ने कहा, हम अपने मेनिफेस्टो की पहले ही घोषणा कर चुके हैं और हम भी हम बजट बनाएंगे तो मेनिफेस्टो का पालन करेंगे. साथ ही लोगों से किए वादे पूरा करने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि लोगों की भलाई ही हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य है.  

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने कहा, मैं एक मां के दुलार की तरह लोगों के लिए काम करूंगी. लोगों ने ही मुझे यह अवसर दिया है. बार-बार उन्होंने मुझे चुना इसलिए आज मैं यहां हूं. मैं आम शख्स हूं लेकिन मुझे लोगों के लिए अपनी जिम्मेदारी का अहसास है. मैं इस अवसर के साथ लोगों की जिंदगी बेहतर करने का काम करूंगी.  

बांग्लादेश कभी सैन्य शासित देश था. लेकिन तेजी से हुए विकास कार्य और स्थिरता देने के कारण हसीना के समर्थक उनको आयरन लेडी बुलाते हैं. जबकि आलोचक तानाशाह कहते हैं. शेख हसीना दुनिया में सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाली महिला राष्ट्र प्रमुखों में से एक हैं. बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हसीना 2009 से रणनीतिक रूप से अहम दक्षिण एशियाई देश पर शासन कर रही हैं और हालिया एकतरफा विवादास्पद चुनाव में उनकी जीत से सत्ता पर उनकी पकड़ और मजबूत हो जाएगी.

चुनाव से पहले हिंसा और पूर्व पीएम खालिदा जिया की अगुवाई वाले मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और उसके सहयोगियों ने रविवार को हुए 12वें आम चुनाव का बहिष्कार कर दिया था. इसके बाद हसीना की पार्टी को लगातार चौथी बार और कुल मिलाकर पांचवीं बार जीत मिली. सितंबर 1947 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में जन्मीं हसीना 1960 के दशक के आखिर में ढाका विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान राजनीति में आईं. 

पाकिस्तानी सरकार की तरफ से रहमान को कैद किए जाने के दौरान उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक गतिविधियों की बागडोर संभाली. वर्ष 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मिलने के बाद हसीना के पिता मुजीबुर रहमान देश के राष्ट्रपति और फिर प्रधानमंत्री बने. अगस्त 1975 में रहमान, उनकी पत्नी और उनके तीन बेटों की उनके घर में सैन्य अधिकारियों ने हत्या कर दी थी. हसीना और उनकी छोटी बहन शेख रेहाना विदेश में होने के कारण इस हमले से बच गईं.

भारत में छह साल निर्वासन में बिताने वाली हसीना को बाद में अवामी लीग का नेता चुना गया. साल 1981 में हसीना स्वदेश लौट आईं और तब सैन्य शासन वाले देश लोकतंत्र की बहाली के लिए आवाज उठाने लगीं. कई मौकों पर उन्हें नजरबंद किया गया.

1996 में बनी थीं पीएम

 साल 1991 के आम चुनाव में हसीना की लीडरशिप में अवामी लीग बहुमत हासिल नहीं कर पाई. उनकी प्रतिद्वंद्वी बीएनपी नेता खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं. पांच साल बाद, 1996 के आम चुनाव में हसीना प्रधानमंत्री चुनी गईं. 2001 के चुनाव में हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा लेकिन 2008 के चुनाव में वह प्रचंड जीत के साथ सत्ता में लौट आईं. वर्ष 2004 में हसीना की रैली में ग्रेनेड अटैक हुआ, जिसमें वह बच गईं. 

सत्ता में आने के तुरंत बाद 2009 में हसीना ने 1971 के युद्ध अपराध मामलों की सुनवाई के लिए एक जूरिडिक्शन का गठन किया. इसने विपक्ष के कुछ वरिष्ठ नेताओं को दोषी ठहराया, जिससे हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे. हसीना एक बेटी और एक बेटे की मां हैं. उनकी बेटी मनोरोग विशेषज्ञ हैं जबकि बेटा सूचना एवं संचार तकनीक (आईसीटी) एक्सपर्ट हैं. हसीना के पति एक परमाणु वैज्ञानिक थे, जिनका 2009 में निधन हो गया था. 

अन्य अंतरराष्ट्रीय लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल