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छठ पर्व पर बेटी के लिए मांगी जाती है मन्नत

जनता जनार्दन संवाददाता , Nov 13, 2023, 17:39 pm IST
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छठ पर्व पर बेटी के लिए मांगी जाती है मन्नत

हर साल दिवाली के 5 दिन बाद छठ महापर्व की शुरुआत होती है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से छठ पर्व की शुरुआत होती है. इस बार छठ पर्व 17 नवंबर से शुरू हो रहा है और 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इसका समापन होगा. ये चार दिन छठी मैया की पूजा-आराधना की जाती है. छठ पर्व बहुत ही आस्था का पर्व है. इसमें व्रती 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखता है. बता दें कि हिंदू धर्म में कोई और उपवास इतना लंबा नहीं होता, जितना छठ पर्व. 

बता दें कि इस पर्व में षष्ठी माता और सूर्य देव की आराधना की जाती है. इस बार 17 नवंबर से अमृतयोग और रवियोग के साथ छठ पूजा प्रारंभ हो रही है. इस दिन नदी किनारे भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. ये व्रत संतान प्राप्ति या फिर संतान के बेहतर स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है. बता दें कि इस बार छठ पूजा पर विशेष संयोग बन रहे हैं. रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है और पहला अर्घ्य रविवार को ही दिया जाएगा. 

छठ पर्व को लेकर मान्यता है कि इस पर्व में बेटियों को मांगने की कामना की जाती है. ये पर्व नारी शक्ति को दर्शाता है. देश में ये एक ऐसा पर्व है, जिसमें महिलाएं छठी मैया से अपने खानदान से बेटी मांगती हैं. और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण छठ में गाए जाने वाले लोकप्रिय गीत हैं. इन गीतों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि घर में बेटियों की कितन जरूरत है. इतना ही नहीं, ये उन लोगों के लिए भी उदाहरण हैं, जो बेटियों को जन्म से पहले ही कोख में मार देते हैं. इन्हीं में से एक लोकप्रिय गीत है रुनकी-झुनकी बेटी...

छठ महापर्व पर महिलाएं 36 घंटे निर्जला रहकर छठी मैया संतान प्राप्ति, बेटी की कामना करती हैं. इस दौरान उनकी उपासना के लिए कई लोकप्रिय गीत गाती हैं, जिनमें से ये वाला गीत बहुत चर्चित है. रुनकी-झुनकी बेटी मांगी ला, पढ़ल पंडितवा दामाद हे छठी मइया...। पांच पुतुर, अन्न-धन-लक्ष्मी, धियवा मंगबो जरूर...'। छोटी मुटी मालिन बिटिया के भुइयां लोटे हो केस, फुलवा ले अइह हो बिटिया अरघिया के बेर...।

बता दें कि इस गीत में महिलाएं छठी मैया से बेटी जरूर देने की मांग कर रही हैं. इसलिए बेटी की मांग की जा रहे है कि छठ करने में वह हमारी मदद करेंगी. इन छठ गीतों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे जीवन में महिलाओं की कितनी आवश्यकता है. फिर भी देश में महिलाओं को वे सम्मान नहीं मिल रहा, जिसकी वे हकदार हैं.  

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