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संगीत
कभी कैमरे के सामने नहीं आईं शमशाद बेगम जनता जनार्दन डेस्क ,  Apr 13, 2016
मेरे पिया गए रंगून, कभी आर कभी पार, लेके पहला पहला प्यार, कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना जैसे गीतों से धूम मचाने वाली गायिका शामशाद बेगम बॉलीवुड का जाना-पहचाना नाम है। शमशाद बेगम के जितने गानों को रीमिक्स किया गया, शायद ही किसी और के गानों को किया गया हो। ....  लेख पढ़ें
बिस्मिल्लाह खां की आत्मा में बसती थी गंगा पद्मपति शर्मा ,  Mar 23, 2016
शहनाई नवाज भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां साहब की जन्मशती पर आज समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार पढ़ कर खो गया यादों के झरोखों में। याद आयी उनकी गंगा-जमुनी तहजीब, काशी विश्वनाथ हों या मां शीतला, खां साहब की कानों में रस घोलती शहनाई की गूंज सुबह दर्शनार्थियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं हुआ करती थी।मैं पैदा हुआ था तब घर पर खां साहब की शहनाई बजी थी और कालान्तर में मुझे बनारस के बहुचर्चित हिरोज क्लब में उनके साथ उपाध्यक्ष पद बांटने का सुयोग भी दशकों तक मिलता रहा था। ....  लेख पढ़ें
इला अरुण: अनूठी आवाज में मिट्टी की महक ममता अग्रवाल ,  Mar 13, 2016
अपने अलग अंदाज में गायन, मन को बांध लेने वाली अनूठी भर्राई आवाज और लोकगीत और पॉप गीतों के संगम को बखूबी पेश करने में माहिर गायिका इला अरुण का जन्म 14 मार्च को राजस्थान के जयपुर में हुआ था। इला ने केवल एक सफल गायिका के रूप में ही अपनी पहचान नहीं बनाई, बल्कि वह एक टेलीविजन और फिल्म अदाकारा, गीतकार, लेखिका, फिल्म और टीवी निर्माता के तौर पर एक बहुआयामी कलाकार के रूप में स्थापित होने में सफल रही हैं। ....  लेख पढ़ें
श्रेया घोषाल : लता को आदर्श मान चूम रहीं ऊंचाइयां शिखा त्रिपाठी ,  Mar 11, 2016
बैरी पिया, डोला रे, सिलसिला ये चाहत का, चिकनी चमेली और मोरे पिया जैसे खूबसूरत गीत गाने वाली श्रेया घोषाल आत्मविश्वास से भरपूर नए जमाने की मशहूर पाश्र्वगायिका हैं। उन्होंने 12 साल की उम्र में ही दर्शकों के दिलों में जगह बना ली थी। श्रेया घोषाल ने अपने संगीत के सफर की शुरुआत 1996 में जी टीवी के शो सा रे गा मा से की, इसमें वह बाल कलाकार के रूप में नजर आईं। इसके जरिए उन्होंने दुनिया को अपना हुनर दिखाया। ....  लेख पढ़ें
कैलाशा का संगीत ज्ञानवर्धक: कैलाश खेर जनता जनार्दन डेस्क ,  Feb 10, 2016
आज के आधुनिक जमाने में जहां सूफी संगीत की परिभाषा बदल गई है, क्योंकि अब कई बैंड भक्ति शैली में अलग-अलग तत्वों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में कैलाश खेर का बैंड कैलाशा अभी भी ऐसे रास्ते पर चल रहा है जहां फ्यूजन और भक्ति ईमानदारी से एकाकार हो जाता हो। इस गायक का कहना है कि उनके संगीत का लक्ष्य सिर्फ मनोरंजन करना ही नहीं बल्कि आमजन का ज्ञानवर्धन करना भी है। ....  लेख पढ़ें
देसी के आगे 'फिरंगी' गाने फीके जनता जनार्दन डेस्क ,  Dec 29, 2015
दिल्लीवासी पार्टियों में भले टिएस्टो व डेविड गेट्टा सरीखे अंतर्राष्ट्रीय डिस्क जॉकी (डीजे) की धुनों पर जमकर थिरकते हैं, लेकिन जब सवाल 'असल' पार्टी को हो तो बॉलीवुड व पंजाबी गाने ही उनकी पहली व आखिरी पसंद हैं। यह कहना है, दिल्ली के नाइटक्लबों के मालिकों व उनमें म्यूजिक प्ले करने वाले डीजे का। नववर्ष को लेकर राजधानी के रेस्तरां व बार में चल रही तैयारियों पर एक नजर डाली। ....  लेख पढ़ें
वाणी जयराम: 'बोले रे पपीहरा' ने किया मशहूर जनता जनार्दन डेस्क ,  Nov 30, 2015
मनोरंजन डेस्क: पपीहे जैसी आवाज की मलिका वाणी जयराम मशहूर पार्श्र्व गायिकाओं में शुमार हैं. वह सभी भाषाओं के गीत गायन में पारंगत हैं. सन् 1970 के दशक में अपना करियर शुरू करने वाली वाणी चार दशकों से मनोरंजन-जगत को अपनी मखमली आवाज से नवाज रही हैं. नई पीढ़ी भले ही उन्हें कम जानती है, मगर उनका दामन उपलब्धियों से भरा है. ....  लेख पढ़ें
85वां जन्मदिन: पहले 'हेमा' थीं सुर साम्राज्ञी लता जनता जनार्दन डेस्क ,  Sep 28, 2015
भारतरत्न स्वर-कोकिला लता मंगेशकर हिंदी सिनेमा का जगमगाता नाम हैं. वह भारत की सबसे अनमोल गायिका हैं. उनके मधुर स्वर का दीवाना भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया है. संगीत की मलिका लता मंगेशकर को कई उपाधियों से नवाजा जा चुका है. 28 सितंबर को उनका 85वां जन्मदिन है. ....  लेख पढ़ें
रवींद्र जैन: जिनमें मुखर हैं 3 कलाएं जनता जनार्दन डेस्क ,  Feb 28, 2015
रवींद्र जैन एक ऐसी शख्सियत का नाम है जिसमें गीत, संगीत और गायन तीनों कलाएं एकसाथ मुखर होती हैं। उनकी रचनाएं भारतीय संगीत जगत की यादगार रचनाएं हैं। वह मानते हैं कि संगीत के लिए धैर्य और साधना की जरूरत होती है।रवींद्र जैन संगीत में शार्टकट तरीके इस्तेमाल करने के पक्षधर कभी नहीं रहे, उनका मानना है कि वास्तविक प्रसिद्धि धैर्य और साधना से ही मिल सकती है। ....  लेख पढ़ें
शिक्षक का घर लोक वाद्ययंत्रों का म्यूजियम जनता जनार्दन डेस्क ,  Jan 17, 2015
मध्य प्रदेश में सरकारी संग्रहालयों की माली हालत खराब देखकर एक शिक्षक ने अपने घर को ही लोक वाद्ययंत्रों का संग्रहालय बना डाला। इस संग्रहालय में 60 तरह के वाद्ययंत्र हैं और सभी चालू हालत में हैं।यह अनोखा संग्रहालय बालाघाट जिले में है। इसे ज्ञानेश्वर भुडेश्वर ने बनाया है। इस संग्रहालय में जनजातियों द्वारा विभिन्न अवसरों पर इस्तेमाल किए जाने वाले वाद्ययंत्रों का संग्रह है। ....  लेख पढ़ें
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