आज की कविता स्मरण कर रही बुद्ध की पत्नी की वह कविता

शशिपाल शर्मा 'बालमित्र' , Aug 23, 2017, 8:44 am IST
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आज की कविता स्मरण कर रही बुद्ध की पत्नी की वह कविता नई दिल्लीः भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, काल खंड और सनातन परंपरा के अग्रणी सचेता प्रख्यात संस्कृत विद्वान पंडित शशिपाल शर्मा बालमित्र द्वारा संकलित दैनिक पंचांग, आज की वाणी, इतिहास में आज का दिन और उनकी सुमधुर आवाज में आज का सुभाषित आप प्रतिदिन सुनते हैं.

जैसा कि हमने पहले ही लिखा था, पंडित जी अपनी सामाजिक और सृजनात्मक सक्रियता के लिए भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात हैं. उनके पाठकों शुभेच्छुओं का एक बड़ा समूह है.

जनता जनार्दन ने भारतीय संस्कृति के प्रति अपने खास लगाव और उसकी उन्नति, सरंक्षा की दिशा में अपने प्रयासों के क्रम में अध्यात्म के साथ ही समाज और साहित्य के चर्चित लोगों के कृतित्व को लेखन के साथ-साथ ऑडियो रूप में प्रस्तुत करने का अभिनव प्रयोग शुरू कर ही रखा है, और पंडित जी उसके एक बड़े स्तंभ हैं.

इसी क्रम में पंडित शशिपाल शर्मा बालमित्र ने एक स्वरचित कविता रची और अपने एक प्रशंसक के अनुरोध पर सस्वर पाठ भी किया. तो आप भी आनंद लीजिए. प्रस्तुत है पंडित शशिपाल शर्मा बालमित्र की कविता उनकी आवाज के ऑडियो के साथः

आज की कविता

आज की कविता स्मरण कर रही
        बुद्ध की पत्नी की वह कविता।
राष्ट्रकवि की यशोधरा ने
       कही सखि को थी जो कविता।।

बिना कहे क्यों गए पिता वे
      राहुल के जब मैं सोती थी।
मैं तो कुछ भी कह न पाई
      इसकी ही पीड़ा होती थी।।

सखि वे मुझसे कहकर जाते
      बार-बार वह सखी को कहती।
इसी एक पंक्ति में समझो
      हर नारी की पीड़ा रहती।।

सखि वे मुझसे कहकर जाते
      तो मुझको भी मिलता मौका।
खूब खरी-खोटी सुन जाते
     चले गए पर देकर धोखा।।

जली-कटी बातें कहने का
     जो अधिकार सभी हम पाते।
उसका ही वे अंत कर गए
     हाय, कुछ तो सुनकर जाते।।

जब भी घर पर खाना खाते
     कानों में विष वचन भराते।
जाते थाली पटक ज़ोर से
     जब न मेरी बातें सह पाते।।
 
बेलन-बरतन के प्रहार से
     हुलिया अपना बिगड़ा पाते।
आस-पास परिवार बसे जो
    सुन-सुनकर आनंद उठाते।।
 
बालमित्र नारी की पीड़ा
     थोड़ी सी ही कवि ने गाई।
लगता है मैथिलीशरण को
     पूरी-पूरी समझ न आई।।

युगों-युगों से स्त्री का दावा
      सुनना है नर की मजबूरी।
सुने बिना घर से चल देना
     बड़ी अनीति है ऐसी दूरी।।

      -शशिपाल शर्मा 'बालमित्र'