गीत: आदमी हो आदमी का आचरण दिखाईये
डा जयसिंह आर्य ,
Aug 18, 2017, 6:45 am IST
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नई दिल्लीः 'जनता जनार्दन' ने ऑडियो के साथ संधान का जो प्रयोग शुरू किया है उसकी सफलता को देखते हुए हम लगातार अध्यात्म के साथ ही समाज और साहित्य के चर्चित लोगों के कृतित्व को यहां प्रस्तुत कर रहे हैं. लेखन के साथ-साथ उसका ऑडियो स्वरूप प्रस्तुत करने का यह अभिनव प्रयोग जारी है. इसी क्रम में डा जयसिंह आर्य की कविता, गीत और मुक्तक की प्रस्तुतियां भी हम प्रस्तुत करते हैं. इस प्रस्तुति की खासियत है कि गजलकार/ गीतकार यहां अपनी ही आवाज के साथ अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर रहे हैं. प्रस्तुत है डॉ आर्य द्वारा रचित गीत उन्हीं की आवाज में सस्वर पाठ के साथ. ये रचना देशभक्ति के रस में डूबी हुई है, और इसमें एक नए भारत के निर्माण का संदेश गूंजता है. आशा है सुधीजन जरूर आनंद उठायेंगे. **** गीत आदमी हो आदमी का आचरण दिखाईये अपने साथ-साथ दूसरों को भी हँसाईये * बिंदिया सुहागनों अब उजड़ न जाये राखी वाला हाथ बहनों से न छिन पाये अब किसी भी माँ की आँख अब न डबडबाये इस धरा पे खून की नदी नज़र न आये रक्त के पिपासुओं को मारकर भगाईये आदमी हो आदमी का----- वाटिका का पेड़-पेड़ शाख-शाख हो हरी खेत-खेत क्यारी-क्यारी हो सदा हरी-भरी कसौटी पे मनुष्यता के हर कली रहे खरी देवता दुल्हा बने और दुल्हन बने परी देश की हर वाटिका को इस तरह सजाईये आदमी हो आदमी------ अब कहीं पे नफ़रतों की आँधियाँ चलें नहीं बगीचे अपनेपन के अब कहीं पे भी जलें नहीं गद्दार बनके देश भक्त देश को छलें नहीं आस्तीनों में हमारी साँप अब पले नहीं जो भी हैं गद्दार उनको मारकर भगाईये आदमी हो आदमी का----- - डा. जयसिंह आर्य |