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आज की कविता कौन धर्म या कौन है मजहब

शशिपाल शर्मा 'बालमित्र' , Aug 11, 2017, 6:57 am IST
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आज की कविता कौन धर्म या कौन है मजहब नई दिल्लीः भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, काल खंड और सनातन परंपरा के अग्रणी सचेता प्रख्यात संस्कृत विद्वान पंडित शशिपाल शर्मा बालमित्र द्वारा संकलित दैनिक पंचांग, आज की वाणी, इतिहास में आज का दिन और उनकी सुमधुर आवाज में आज का सुभाषित आप प्रतिदिन सुनते हैं.

जैसा कि हमने पहले ही लिखा था, पंडित जी अपनी सामाजिक और सृजनात्मक सक्रियता के लिए भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात हैं. उनके पाठकों शुभेच्छुओं का एक बड़ा समूह है.

जनता जनार्दन ने भारतीय संस्कृति के प्रति अपने खास लगाव और उसकी उन्नति, सरंक्षा की दिशा में अपने प्रयासों के क्रम में अध्यात्म के साथ ही समाज और साहित्य के चर्चित लोगों के कृतित्व को लेखन के साथ-साथ ऑडियो रूप में प्रस्तुत करने का अभिनव प्रयोग शुरू कर ही रखा है, और पंडित जी उसके एक बड़े स्तंभ हैं.

इसी क्रम में पंडित शशिपाल शर्मा बालमित्र ने एक स्वरचित कविता रची और अपने एक प्रशंसक के अनुरोध पर सस्वर पाठ भी किया. तो आप भी आनंद लीजिए. प्रस्तुत है पंडित शशिपाल शर्मा बालमित्र की कविता उनकी आवाज के ऑडियो के साथः

आज की कविता

आज की कविता नमकहरामी
      की मिसाल के परते हैं।
 जिस थाली में खाते आए
        छेद उसी में करते हैं।।

सत्तर साल गए जब तोड़ा
      था स्वदेश को ऐसी कौम।
आज देश की भोली जनता
     को पिघलाती जैसे मोम।।

कोई पत्थर मार रहा है
   कहीं गोलियों की बौछार।
उन्हें नागरिक मानों अपना
   भौंक रहे ये भी ग़द्दार।।

ये सबके भय का कारण हैं
   पर इनको भय लगता है।
जो कोई ऐसा फरमाए
    कहता है या बकता है?

आज देखकर मोदी शासन
    में मरते ग़द्दारों को।
चिंता बड़ी सताती देखो
    ग़द्दारों के यारों को।।

उसी कांग्रेस की यह खुरचन
    बोल रही यह अंसारी।
जिसने अंग्रेज़ों से मिलकर
    बाँटी थी भूमि प्यारी।।

मरते थे कश्मीरी पंडित
   इनको कुर्सी भाती थी।
दस सालों तक बैठे-बैठे
    दया न इनको आती थी।।

अब कहते मुस्लिम डरते हैं
    डर-डर फैलाते आतंक।
अमरनाथ के पथिकों को भी
    मार गया इनका ही डंक।।

बालमित्र अब पूछ रहा है
   अंसारी जी बतलाओ।
डरने वाले मुसलमान तो
   मरे कौन ये समझाओ।।

कौन धर्म या कौन है मजहब
     जो ग़द्दारी सिखलाता है।
या मरकर ग़द्दार बताए
    सीधा जन्नत जाता है।।

-शशिपाल शर्मा ‛बालमित्र’