आज की कविता गई उदयपुर

शशिपाल शर्मा 'बालमित्र' , Jul 23, 2017, 6:46 am IST
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आज की कविता गई उदयपुर नई दिल्लीः भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, काल खंड और सनातन परंपरा के अग्रणी सचेता प्रख्यात संस्कृत विद्वान पंडित शशिपाल शर्मा बालमित्र द्वारा संकलित दैनिक पंचांग, आज की वाणी, इतिहास में आज का दिन और उनकी सुमधुर आवाज में आज का सुभाषित आप प्रतिदिन सुनते हैं.

जैसा कि हमने पहले ही लिखा था, पंडित जी अपनी सामाजिक और सृजनात्मक सक्रियता के लिए भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात हैं. उनके पाठकों शुभेच्छुओं का एक बड़ा समूह है.

जनता जनार्दन ने भारतीय संस्कृति के प्रति अपने खास लगाव और उसकी उन्नति, सरंक्षा की दिशा में अपने प्रयासों के क्रम में अध्यात्म के साथ ही समाज और साहित्य के चर्चित लोगों के कृतित्व को लेखन के साथ-साथ ऑडियो रूप में प्रस्तुत करने का अभिनव प्रयोग शुरू कर ही रखा है, और पंडित जी उसके एक बड़े स्तंभ हैं.

इसी क्रम में पंडित शशिपाल शर्मा बालमित्र ने एक स्वरचित कविता रची और अपने एक प्रशंसक के अनुरोध पर सस्वर पाठ भी किया. तो आप भी आनंद लीजिए. प्रस्तुत है पंडित शशिपाल शर्मा बालमित्र की कविता उनकी आवाज के ऑडियो के साथः

आज की कविता

आज की कविता गई उदयपुर
     उसने देखा वहाँ जो ऊँट।
इस पर करूँ सवारी सोचा
     पीते-पीते चाय के घूँट।।

खाती चिप्स चाय पीती वह
    पास ऊँट के पहुँच गई।।
मगर ऊँट ने उसे न देखा
    ऐसे आए-गए कई।।

बैठे हुए ऊँट पर रख दी
     उसने अपनी बाईं टाँग।
तभी ऊँटवाला चिल्लाया
      काम करो मत ऊटपटाँग।।

उधर ऊँटवाले को देखा
    इधर ऊँट भी खड़ा हो गया।
दाईं तरफ़ धड़ाम गिरी वह
    झटका उसको बड़ा हो गया।।

सिर में ढेरों रेत भर गई
    बिखरा सारा चिप्स का पैकेट।
आई कई खरोंचें तन पर
    फटी जो पहन रखी थी जैकेट।।

गरम चाय भी घुसी नाक में
       ज़ोरों से वह चिल्लाई।
ऊटपटाँग काम ही ऐसा
       जिससे उसने मुँह की खाई।।

'बालमित्र' ने जब समझाया
         कविता ने तब मान लिया।
काम न ऊटपटाँग करूँगी
          मन में उसने ठान लिया।।

अगर राह में देखो चींटी
     उस पर भी मत रखना पैर।
सब जीवों का मान करोगे
    तभी बचेगी अपनी ख़ैर।।

-शशिपाल शर्मा 'बालमित्र'