संस्कृत कविताः सरला भाषा संस्कृतभाषा
शशिपाल शर्मा 'बालमित्र' ,
Jun 24, 2017, 6:34 am IST
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नई दिल्लीः भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, काल खंड और सनातन परंपरा के अग्रणी सचेता प्रख्यात संस्कृत विद्वान पंडित शशिपाल शर्मा बालमित्र द्वारा संकलित दैनिक पंचांग, आज की वाणी, इतिहास में आज का दिन और उनकी सुमधुर आवाज में आज का सुभाषित आप प्रतिदिन सुनते हैं. जैसा कि हमने पहले ही लिखा था, पंडित जी अपनी सामाजिक और सृजनात्मक सक्रियता के लिए भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात हैं. उनके पाठकों शुभेच्छुओं का एक बड़ा समूह है. जनता जनार्दन ने भारतीय संस्कृति के प्रति अपने खास लगाव और उसकी उन्नति, सरंक्षा की दिशा में अपने प्रयासों के क्रम में अध्यात्म के साथ ही समाज और साहित्य के चर्चित लोगों के कृतित्व को लेखन के साथ-साथ ऑडियो रूप में प्रस्तुत करने का अभिनव प्रयोग शुरू कर ही रखा है, और पंडित जी उसके एक बड़े स्तंभ हैं. इस क्रम में हम आज की कविता, स्वास्थ्य और तन मन में उर्जा भरने वाला संदेश 'मुस्कान मेल' और आज का सुभाषित प्रस्तुत कर रहे हैं. आज का सुभाषित तो अपने साथ इतिहास में आज का दिन, दैनिक पंचांग भी समेटे रहता है. इसी क्रम में पंडित शशिपाल शर्मा बालमित्र ने एक स्वरचित कविता रची और अपने एक प्रशंसक के अनुरोध पर सस्वर पाठ भी किया. तो आप भी आनंद लीजिए. प्रस्तुत है पंडित शशिपाल शर्मा बालमित्र की कविता उनकी आवाज के ऑडियो के साथः संस्कृत कविताः सरला भाषा संस्कृतभाषा सरला सरलतमा मम भाषा संस्कृतभाषा धन्यतमा। क्रियापदानां यथा साम्यता तथा न भाषा अन्यतमा।। अहं पठामि अहं लिखामि अहं वदामि वाक्यानि।। सा लिखति सा पठति वदति च सरलं सरले सरलानि।। तस्मै कस्मै यस्मै अस्मै पुँल्लिङ्गे रूपाणि यथा। तस्यै कस्यै यस्यै अस्यै स्त्रीलिङ्गे रूपाणि तथा।। एकं ज्ञात्वा अन्यं ज्ञातुम् अत्र लभ्यते सामर्थ्यम्। ये कथयन्ति कठिना भाषा मृषा वदन्ति ते व्यर्थम्।। - *शशिपाल शर्मा 'बालमित्रः* |