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आज की कविताः डा जयसिंह आर्य रचित कुछ मुक्तक

डा जयसिंह आर्य , May 27, 2017, 6:42 am IST
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आज की कविताः डा जयसिंह आर्य रचित कुछ मुक्तक नई दिल्लीः 'जनता जनार्दन' ने लिखे शब्दों के साथ ऑडियो के संधान का जो प्रयोग शुरू किया है उसकी सफलता को देखते हुए हम लगातार अध्यात्म के साथ ही समाज और साहित्य के चर्चित लोगों के कृतित्व को यहां प्रस्तुत कर रहे हैं.

लेखन के साथ-साथ उसका ऑडियो स्वरूप प्रस्तुत करने का यह अभिनव प्रयोग जारी है.

इसी क्रम में डा जयसिंह आर्य की कविता, गजल और गीत की प्रस्तुतियां 'आज की कविता' शीर्षक से लगातार प्रस्तुत की जा रही हैं. इस प्रस्तुति की खासियत है कि गजलकार/ गीतकार यहां अपनी ही आवाज के साथ अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर रहे हैं.

प्रस्तुत है डॉ आर्य द्वारा रचित मुक्तक और उन्हीं की आवाज में मूल पाठ. आशा है सुधीजन जरूर आनंद उठायेंगे.

मुक्तक-1

मेरी  तस्वीर  बनके  तुम  रहते

मेरी   जागीर   बनके  तुम  रहते

प्यार  तुझको  तो  रास  आ जाता

मेरी  तक़्दीर   बनके   तुम   रहते

मुक्तक-2

आपके  प्यार  ने  दुलारी   है

आपके  प्यार   ने   संवारी  है

ज़िन्दगी आपकी   बदौलत  है

अपनी  तो  सांस  भी उधारी  है

- डा. जयसिंह आर्य