तस्लीमा की राह पर शीबा करीम

जनता जनार्दन संवाददाता , Apr 23, 2011, 19:18 pm IST
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तस्लीमा की राह पर शीबा करीम

नई दिल्ली: वह लेखिका हैं। रहने वाली अमेरिका की, मूल पाकिस्तान का। पिछले डेढ़ साल से भारत में हैं, इसलिए दूसरे एशियाई लेखक- लेखिकाओं की तरह चर्चा में बने रहने का शगल जानती हैं। इसीलिए वह किताब तो लिख रही हैं अमेरीकी- एशियाई संस्कृति से जूझ रही लड़की पर, लेकिन शब्दों के प्रयोग में उन्होंने युवाओं को सिहरा देने वाले शब्दों में कोताही नहीं की है, जैसे रोम रहित चमड़ी, बिना शादी के डेटिंग, लड़कों के संग मौज आदि।

जाहिर है पैसा अमेरिका से मिलेगा, तो बात भी वैसी ही निकलेगी। अब दिल्ली को लेकर ही उनके  बयान को ले लें, तो भले ही दिल्ली के किसी भी इलाक़े की कोई भी महिला मुँह अंधेरा होने के बाद अकेले बाहर निकलने से डरे, और रोज किसी ना किसी इलाक़े से बलात्कार की खबर आए, ट्रेन और बसों में जहाँ जोरा-जोरी आम हो, वहाँ इन्हें दिल्ली महिलाओं के लिए आधुनिक शहर दिख रहा है।

पाकिस्तानी मूल की युवा अमेरिकी लेखिका शीबा करीम का कहना है कि दिल्ली इस उपमहाद्वीप में महिलाओं के लिए एक अत्याधुनिक शहर है। करीम राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डेढ़ साल से निवास कर रही हैं।

करीम ने एक समाचार एजेंसी से कहा, "इस उपमहाद्वीप में दिल्ली महिलाओं के लिए एक अत्याधुनिक शहर है। आप कभी भी दिल्ली आ सकती हैं, एक आटोरिक्शा लेकर घूम सकती हैं। पाकिस्तान में आपको घूमने की आजादी नहीं है। मैं पाकिस्तान अकेले घूमने में सहज नहीं महसूस करती। यहां घूमना आसान है।"

करीम, 13वीं सदी की रानी, रजिया सुल्तान पर एक ऐतिहासिक उपन्यास लिखने के लिए दिल्ली में रुकी हुई हैं। उन्होंने कहा, "मेरी किताब आधी पूरी हो चुकी है।"

उनका एक उपन्यास "स्कंक गर्ल" का गुरुवार को यहां विमोचन हुआ। इस पुस्तक को पेंगुइन-बुक्स इंडिया ने प्रकाशित किया है। यह पुस्तक अमेरिका में पल-बढ़ रही किशोरियों की पीड़ाओं की पड़ताल करती है।

यह किताब हाईस्कूल की विद्यार्थी एशियाई लड़की 16वर्षीय नीना की एक विनोदपूर्ण गाथा है। वह महसूस करती है कि एशियाई लड़की होने के नाते अपने अमेरिकी मित्रों की बनिस्बत बड़े होना अधिक कठिन है, क्योंकि उन मित्रों के पास कुछ स्वाभाविक उपलब्धियां हैं, जैसे कि रोमरहित चमड़ी।

नीना उस समय "स्कंक गर्ल" (बदमाश लड़की) बन जाती है, जब वह रीढ़ पर रोम की एक रेखा देखती है। शरीर पर अधिक बाल एक आनुवांशिक समस्या है, जो उसके लिए एक दु:स्वप्न बन जाते हैं।

करीम कहती है कि दो संस्कृतियों के बीच संतुलन बना पाना कभी आसान नहीं होता और नीना ऐसा करते समय बार-बार गलतियां करती है और उससे हास्य का पुट उत्पन्न होता है।

करीम का कहना है कि अमेरिका में बड़ी हो रही एशियाई लड़कियों की सबसे बड़ी समस्या "लड़कों के साथ घुलने-मिलने और डेटिंग को लेकर पैदा होने वाला विवाद है।"

करीम ने कहा, "लड़के आकर्षक बन जाते हैं और आपकी नजरों के सामने आपकी अमेरिकी सहेलियां डेटिंग करती हैं। लेकिन आपका परिवार कहता है कि आप डेटिंग नहीं कर सकतीं और लड़कों से बातें नहीं कर सकतीं। त्वचा का अलग रंग एक दूसरी समस्या है और शरीर के अतिरिक्त बालों से निपटना भी एक समस्या बन जाती है।"

करीम कहती है कि "अमेरिका में दक्षिण एशियाई महिलाओं की दशा दयनीय है।" करीम के माता-पिता नहीं चाहते थे कि वह लेखिका बने। उन्होंने कहा, "वे चाहते थे कि मैं कानून में, अपने पेशे में लौट आऊं।"

ज्ञात हो कि करीम, न्यूयार्क युनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से स्नातक हैं और आयोवा राइटर्स वर्कशॉप से कथा में फाइन आर्ट्स की परास्नातक डिग्री हासिल करने से पहले वह दक्षिण एशियाई पस्त महिलाओं की एक परियोजना के लिए काम करती थीं।

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