दो फैसले और सुलगते सवाल
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Feb 09, 2012, 17:03 pm IST
Keywords: 2 G- spectrum Licenses Trial Court P Chidambaram Petitioner Subramanian Manmohan Singh DMK Telecom Scam Dayanidhi Maran 2-जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस ट्रायल कोर्ट पी चिदंबरम याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम मनमोहन सिंह डीएमके टेलीकॉम घोटाला दयानिधि मारन
दो फैसले। एक फैसला सरकार के पक्ष में और दूसरे ने सरकार का नूर फीका कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 2-जी स्पेक्ट्रम आबंटन मामले में सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए और ट्रायल कोर्ट ने गृह मंत्री पी चिदंबरम को साफ बरी कर दिया, उन्हें जेल में बंद पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के साथ सह-आरोपी बनाने से मना कर दिया। दोनों ही फैसले अहम हैं। अगर चिदंबरम को क्लीन चिट नहीं मिलती, तो सरकार के लिए सत्ता में बने रहना मुश्किल हो जाता और चिदंबरम का अपने पद पर टिकना नामुमकिन। हालांकि याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे और उन्हें उम्मीद है कि अंत में सफलता पाएंगे। लेकिन यह अब भविष्य की बात है। मारन की इस चिट्ठी के बाद मंत्रियों के समूह का टर्म ऑफ रेफरेंस बदला गया था और मंत्रालय को ही स्पेक्ट्रम की कीमत तय करने का अधिकार दिया गया। यह इस बात का प्रमाण था कि 2001 की कीमत पर स्पेक्ट्रम देने पर सरकार की सहमति नहीं थी, लेकिन गठबंधन की मजबूरी के चलते सरकार को देखते हुए भी मक्खी निगलनी पड़ी। बाद में वित्त मंत्रालय के सचिव ने अपना विरोध भी तब के कैबिनेट सचिव को बाकायदा चिट्ठी लिखकर दर्ज करा दिया था, लेकिन तब तक सब कुछ हो चुका था। हालांकि जज सैनी ने अपने फैसले में आगे यह कहकर तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सहआरोपी बनाने से मना कर दिया कि राजा के साथ बैठकर फैसला करने का यह मतलब नहीं है कि चिदंबरम राजा के साथ किसी आपराधिक षड्यंत्र में शामिल थे। वह ये भी कहते हैं कि अगर एक सरकारी कर्मचारी कोई फैसला करता है और उससे सरकार के खजाने को नुकसान होता है, तो भी यह नहीं कह सकते है कि वह फैसला घोटाले के उद्देश्य से किया गया था।
आशुतोष
वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार आशुतोष तीखे तेवरों वाले खबरिया टीवी चैनल IBN7 के मैनेजिंग एडिटर हैं। IBN7 से जुड़ने से पहले आशुतोष 'आजतक' की टीम का हिस्सा थे। वह भारत के किसी भी हिन्दी न्यूज़ चैनल के प्राइम टाइम पर देखे और सुने जाने वाले सबसे चर्चित एंकरों में से एक हैं। ऐंकरिंग के अलावा फील्ड और डेस्क पर खबरों का प्रबंधन उनकी प्रमुख क्षमता रही है। आशुतोष टेलीविज़न के हलके के उन गिनती के पत्रकारों में हैं, जो अपने थकाऊ, व्यस्त और चुनौतीपूर्ण ज़िम्मेदारियों के बावजूद पढ़ने-लिखने के लिए नियमित वक्त निकाल लेते हैं। वह देश के एक छोर से दूसरे छोर तक खबरों की कवरेज से जुड़े रहे हैं, और उनके लिखे लेख कुछ चुनिंदा अख़बारों के संपादकीय पन्ने का स्थाई हिस्सा हैं।
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