भारत को मिली 298 रनों से करारी हार

भारत को मिली 298 रनों से करारी हार एडिलेड: एडिलेड टेस्ट में टीम इंडिया को 298 रन से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। इसी के साथ 4 मैच की सीरीज में भारत का 0-4 से क्लीन स्वीप हो गया। विदेशी धरती पर लगातार दूसरी बार क्लीन स्वीप है। ऑस्ट्रेलियाई धरती पर भारत का 12 साल बाद क्लीन स्वीप हुआ है। पांचवें और अंतिम दिन टीम इंडिया ने 6 विकेट के नुकसान पर166 रन से आगे खेलने शुरू किया पुछल्ले बल्लेबाज उम्मीद के मुताबिक सस्ते में निपट गए और भारत की दूसरी पारी 201 रन पर सिमट गई।

ऐडिलेड टेस्ट की चौथी पारी में टीम इंडिया को जीत के लिए 500 रन बनाने थे लेकिन, क्रिकेट इतिहास की सबसे मशहूर त्रिमूर्ति ने मिलकर 73 रनों के भीतर ही दम तोड़ दिया। मौजूदा पीढी ने सचिन, द्रविड़ और लक्ष्मण के रहते इतना बुरा दौर क्रिकेट के मैदान पर कभी नहीं देखा। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में इससे कामयाब और लाजबाव रिकॉर्ड रखने वाली त्रिमूर्ति के आस-पास भी कोई नहीं है। बावजूद, इसके ऑस्ट्रेलिया दौरा इस त्रिमूर्ति के लिए सबसे करारी शिकस्त साबित हुआ।

हार दर हार का जख्म ऐसा नासूर बना कि ये तीनों मिलकर भी एक अदद शतक नहीं बना पाए। भारतीय क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों ने मिलकर ऑस्ट्रेलिया दौरे पर कुल 24 पारियां खेलीं और इसमें वो गिरते पड़ते सिर्फ 4 अर्धशतक ही जुटा पाए। मतलब ये कि औसतन 6 पारियों में सिर्फ 1 अर्धशतक।

इंग्लैंड दौरे पर टीम इंडिया की नाकामी को शायद एक इत्तेफाक कह कर टाला जा सकता था। लेकिन ऑस्ट्रेलिया में जो हुआ उसके बाद अब इनके अलविदा कहने की बातें भी जानकारों के लिए मायने नहीं रखती हैं। क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के लिए ये उनके करियर का 5वां, और द्रविड-लक्ष्मण के लिए चौथा ऑस्ट्रेलिया दौरा था। अब तक के दौरों में इस तिकड़ी ने जबर्दस्त रिकॉर्ड के बावजूद सिर्फ 2 टेस्ट मैच में ही जीत का मुंह देखा है जबकि एक सीरीज में बराबरी को छोड़ दें तो वो हर सीरीज में हार लेकर ही लौटे हैं।

इन तीनों खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अपना आखिरी टेस्ट खेल चुके हैं। मुमकिन है कि विदेशी ज़मीन पर भी ये इनका आखिरी टेस्ट हो। ऑस्ट्रेलियाई धरती से इन दिग्गजों का काफी गहरा रिश्ता रहा। 1991 में तेंदुलकर की महानता पर पहली बार मुहर यहीं लगी तो द्रविड़-लक्ष्मण ने 2004 में पूरी दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाया। लेकिन, ये मौजूदा दौरा तेंदुलकर के करियर का सबसे खराब ऑस्ट्रेलिया दौरा रहा। यहां उनका बल्लाबाजी औसत 36 से भी कम रहा। 2004 दौरे को छोड़ दें तो द्रविड़ का औसत यहां 22 पारियों में 25 से भी कम का रहा। जिस लक्ष्मण के नाम से ऑस्ट्रेलियाई कांपते थे वो आखिरी दौरे पर 20 का औसत भी पार नहीं कर पाये। अब क्रिकेट फैन्स के पास सिवाए ये कहने के कुछ नहीं बचा है कि बड़े आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले।
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