किंग गोबरा, तीसमार खान टाइप के युवकों होशियार

जनता जनार्दन संवाददाता , Mar 25, 2011, 13:37 pm IST
Keywords: भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी   Bhupendra singh Gargvanshi   किंग गोबरा   तीसमारखान     
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वह एक युवक है। लोग उसे अपने माँ-बरन की बिगड़ी औलाद कहते हैं। वह पढ़ा लिखा है। मैंने सर्टिफिकेट नहीं देखा है। उसके दोस्तफ/यार सभी युवा है और विशुद्ध रूप से लाखैरा/लोफरब्राण्ड। बाप-रोगी चलने-फिरने में असमर्थ माँ भी परिवार की जिम्मेदारियों को लेकर चिन्ताग्रस्त। परिवार में सयानी लड़कियां घर-परिवार का खर्च शहर का रहन-सहन पाँच से छः हाजर में चला पाना कठिन। पैतृक घर सड़क के किनारे के हिस्से को दुकान के रूप में तब्दील करके आधा दर्जन किराएदारों से 5-6 हजार प्रतिमाह की कमाई।

लड़का इकलौता हरफन में माहिर। डिस्को डान्स से लेकर ड्रग्स एवं ऐय्याशी करना उसका ‘स्टेटस सिम्बल’। मुझसे एक दिन उसी की तरह लफंगा fकंग गोबरा मिला था, वह उसका दोस्त है। उसी ने उस ‘डिप्रेस्ड’ लड़के से मिलवाया था। fकंग गोबरा ने सिफारिश किया था कि इसको प्रेस से जोड़ लेने पर इसकी मोटर बाइक और पैसों का सदुपयोग ‘गोबरा’ किया करेगा। सो कुछ दिन अण्डर ट्रायल रहा। एक कुंठित तनावग्रस्त नवयुवक वह भी अशिक्षित परिवार समाज से कहाँ तक दुरूस्त किया जा सकता। उसे प्रेस कार्य से मुक्त कर दिया।

मैं उसके अर्ध अपाहिज बाप से कुछेक दिन मिला था। वह हमेशा अपने लफंगे/आवारा लड़के के क्रिया-कलापों को लेकर चिन्तित रहते थे। लेकिन सिर्फ चिन्तित रहने से ही काम नहीं बनता। नव जवान लड़का हे, अपने पैण्ट की जेब में कान्डोम, सिगरेट, गुटखे नहीं रखेगा तो और क्या रखेगा। fकंग गोबरा और अन्य लोफरों की सोहबत से वह गर्त में मिलने लगा जिसे लेकर माँ-बाप एवं घर के अन्य सदस्य परेशान रात हो या दिन जब मन में आया घर से ‘पलायित’। कब लौटेगा, कहाँ गया है किसी को नहीं मालूम।

मोबाइल पर अपनी गर्लफ्रेन्ड्स से बातें करना, उनके ऊपर पैसे बरबाद करना उसकी आदत में शुमार है। घर का खाना उसे अच्छा नहीं लगता, इसीलिए होटल, ढाबों, रेस्तराओं में जाकर मनपसन्द ‘डिशें’ खाता है। ये सब बातें मुझे उसके पिताश्री ने बताईं थीं। ड्रग्स लेता है उसका पड़ोसी और दोस्त लोग नशा करते हैं इसलिए वह भी ‘ड्रग्स’ लेता है उसी झोंक में ‘बुत’ सा बना रहता है। डी0जे0 की धुन पर थिरकना उसकी आदत मे शुमार है। उसके पिता श्री ने अपना दुःखड़ा अनेकों बार रोया, लेकिन यह सब सुनने वाला क्या कर सकता है।

घर का नालायक सदस्य चाहे अपनी माँ को मारे या बहनों को पीटे बाप को गालियाँ दें इसमें तीसरा क्यों दखल दे। ठीक इसी की तरह कई अन्य युवकों को भी देखा है, जिनकी समाज में काई इज्जत नहीं। एक बार कहीं खड़ा था उसी के खानदान के एक सीनियर सदस्य ने कहा कि जैसा बाप वैसा बेटा। अब क्या समझा जाए क्या बाप भी ऐसा ही रहा होगा या फिर खानदानी रंजिश के चलते ऐसी बातें की गईं। बहरहाल बाप का दुःखड़ा दो एक दिन सुनने के बाद मैंने वहाँ बैठना ही बन्द कर दिया।

अब सुना है कि वह रेलवे एक्ट में बन्द हो चुका है तब से वह हमसे खुन्नस खाए है और हजारों रूपए देकर ‘fकंग गोबरा’ के साथ किसी अखबार से जुड़ गया है। अपना तो कहना है कि यदि वह पत्रकार ही बनना चाहता था तो लिखने पढ़ने की आदत डालकर निश्ठापूर्वक रहता और ऐसे में प्रेस प्रतिनिधि के रूप में उसे अधिकार-पत्र तो दिया ही जाता। मेरी आदत है कि मैं किसी नवयुवक को देखकर उसकी प्रशंसा करता हूँ वह इसलिए कि यदि उसमें कोई सामाजिक बुराई हो तो दूर हो जाए। लेकिन fकंग गोबरा और तीसमार खान की प्रशंसा करना व्यर्थ गया। अब तो वह दोनों मुझे पीठ पीछे गालियाँ देते है। मैं अपनी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करता, अपितु ऊपर वाले से दुआ करता हूँ कि ऐसे नवयुवकों में सुधार आ जाए।

fकंग गोबरा तो डिजिटल कैमरा लिए तथाकथित प्रेस वाला बना हुआ है और जिला अस्पताल, कचेहरी, विकास भवन, थाना, आ0टी0ओ0 ऑफिस समेत सार्वजनिक स्थानों, शादी-ब्याह स्थलों पर घूम-घूम कर उदरपूर्ति करने के साथ-साथ थोड़ा बहुत घर का खर्च कमा ले रहा है। वहीं तीसमारखान साहब घर का उर्द जेंगरे में मिला रहे हैं। मुझे तो बताया गया है कि इन दोनों की तरह कई और भी हैं जो कमोवेश ऐसी हरकतें कर रहे हैं, जिनकी वजह से समाज का हर वर्ग परेशान/हलकान है।

इन्हीं सूत्रों ने कहा कि अब समाज के प्रबुद्धवर्गीय लोग, अभिभावकगण, माता-पिता और आजिज आए सरकारी अहलकार ऐसे तत्वों के क्रिया-कलापों का प्रबल विरोध करने लगे हैं। कुछ समाज सेवी संगठनों के ‘एक्टिविस्ट’ भी प्रेस/मीडिया को बदनाम करने वाले लोफर लफंगों, आवारा किस्म के युवकों की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया है। तो किंग गोबरा, तीसमारखान टाइप के लोग होशियार-खबरदार वर्ना...........बुरे फंस जावोगे।

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