ये विदेशी भारत में आके सिखाते है योग!
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Sep 19, 2011, 14:11 pm IST
Keywords: Gugurgaon West Country citizen group Indians of years ancient meditation and yoga techniques teach गुड़गांव पश्चिमी देश नागरिक समूह सालों से भारतीयों प्रचीन ध्यान व योग तकनीक
गुड़गांव:पश्चिमी देशों के नागरिकों का एक समूह यहां सालों से भारतीयों को प्रचीन ध्यान व योग की तकनीक सिखा रहा है। उनके भारतीय छात्रों की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ रही है और उन्हें सराहा भी जा रहा है।
आठ साल पहले 2003 में वे दिल्ली से सटे गुड़गांव आए थे। इन आठ साल में परमहंस योगानंद के इन विदेशी शिष्यों, जिनमें ज्यादातर अमेरिकी हैं, ने 'सनातन धर्म' के लिए प्रतिबद्धता दिखाते हुए अभूतपूर्व काम किया है। समय बीतने के साथ-साथ अधिक से अधिक भारतीय 'आनंद संघ' के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बनते गए, जबकि पश्चिमी देशों के नागरिकों की संख्या कम होती गई। लेकिन प्रवासी अब भी वहां हैं और उन्हें मीडिया की सुर्खियों में रहने की कोई इच्छा भी नहीं है। अमेरिकी नागरिक जॉन हेलिन, जो नयास्वामी जया हेलिन के नाम से जाने जाते हैं, ने कहा, "हम ईश्वर की खोज में भारत की प्राचीन परम्पराओं को प्रासंगिक व व्यावहारिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। योगानंद के लेखन और उपदेशों का इस्तेमाल करते हुए हम सनातन धर्म के विस्तार की कोशिश कर रहे हैं।" उल्लेखनीय है कि बंगाल में जन्मे योगानंद की आत्मकथा 'एक योगी की आत्मकथा' का आध्यात्मिक साहित्य में विशेष स्थान है। 1946 में इसका प्रकाशन हुआ था और तब से इसकी लाखों प्रतियां बिक चुकी हैं। योगानंद की 1992 में अमेरिका में मौत हो गई। उन्होंने ईश्वर व आध्यात्म तथा जीवन व मृत्यु पर कई लेख और भाषण भी दिए। हेलिन के अनुसार, "धर्म जो कुछ भी है वैश्विक सिद्धांत है। मोक्ष अंतत: सभी के लिए है। 'सनातन धर्म' धर्म से बढ़कर है।" कनाडा के माइकल टेलर भी हेलिन की तरह ही 'आनंद संघ' को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वह बताते हैं कि किस तरह भारतीय उनके जैसे पश्चिमी लोगों को योग व आध्यात्मिकता के इस मंच पर देखकर आश्चर्यचकित होते हैं। टेलर के अनुसार, "जब उन्होंने (भारतीयों) ने जाना कि हमारा दृष्टिकोण केवल सैद्धांतिक या दार्शनिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक है तो वे बहुत खुश हुए और सीखने भी लगे। भारतीय बेहद सकारात्मक, उत्साही व स्वागत करने वाले हैं। |
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