गुटखा, पान मसाला पर सरकार की ओर से रोक

गुटखा, पान मसाला पर सरकार की ओर से रोक

नई दिल्ली: गुटका और पान मसाला जैसे तम्बाकू उत्पादों को सरकार के नए खाद्य सुरक्षा निर्देशों में प्रतिबंधित 'खाद्य पदार्थों' की श्रेणी में शामिल किया गया है। सरकार के इस प्रयास का स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है।

तम्बाकू और पान मसाला के प्लास्टिक पाउचों पर प्रतिबंध लगाने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली स्वास्थय मंत्रालय के अधीन काम करने वाले भारतीय खाद्य सुरक्षा तथा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने तम्बाकू को खाद्य पदार्थ के घटक के रूप में इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की।

खाद्य सुरक्षा अधिसूचना की घोषणा इसी वर्ष अगस्त के आरम्भ में की गई, जिसमें कहा गया, "उत्पादों में ऐसे किसी भी चीज का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। तम्बाकू और निकोटीन को किसी भी खाद्य पदार्थ में थोड़ी भी मात्रा के रूप में प्रयोग नहीं किया जाएगा।"

एफएसएसएआई के निदेशक वी. एन. गौर ने तम्बाकू को एक खाद्य पदार्थ के रूप में साबित करते हुए कहा कि गुटका या पान मसाला जैसे तम्बाकू खाने को खाने केरूप में लिया जा सकता है क्योंकि इनको भी अन्य खाद्य उत्पादों की तरह ही इस्तेमाल किया जाता है।

गौर ने कहा, "तम्बाकू से बना उत्पाद खाद्य पदार्थ के अंतर्गत आता है। किसी भी खाने वाली चीज को खाद्य पदार्थ ही कहा जाता है और ऐसी कोई भी चीज जो खाद्य पदार्थ है और जिसमें निकोटीन या तम्बाकू हो, उस पर प्रतिबंध अवश्य लगना चाहिए।"

भारत की स्वैच्छिक स्वास्थ्य संघ (वीएचएआई) की कार्यकारी निदेशक भावना मुखोपाध्याय ने मीडिया को बताया, "हाल में जारी की गई अधिसूचना में तम्बाकू को खाद्य पदार्थो में शामिलकर प्रतिबंध लगाया गया है।

सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। यह तो महज एक तर्क है कि कोई भी चीज जिसे खाया और पचाया जाता है चाहे वह गुटखा या पान मसाला ही क्यों न हो, एक प्रकार का खाद्य पदार्थ ही है।"

भावना ने कहा कि सरकार के इस कदम से भारत में 8,000 करोड़ रुपये के गुटखा उद्योग को झटका लग सकता है।

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