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सरोज, सितार,हरमोनियम,तबला...और मिलिट्री बैंड!

सरोज, सितार,हरमोनियम,तबला...और मिलिट्री बैंड!

लखनऊ: लखनऊ स्थित भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा के लिए दक्षिण-मध्य एशिया का जाना-माना संस्थान भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय अपने 85 साल के इतिहास में पहली बार भारतीय सेना के बैंड (आर्मी बैंड) को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दे रहा है।

भारतीय सेना के कुमाऊं रेजीमेंट का संगीत बैंड स्ट्रिंग राजधानी के कैसरबाग स्थित इस ऐतिहासिक संगीत विश्वविद्यालय से भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण ले रहा है।

भातखंडे के संगीत प्रशिक्षक एवं इस बैंड संगीत प्रशिक्षण के प्रभारी कमलेश दुबे ने मीडिया को बताया, "आर्मी के संगीत बैंड आमतौर पर पाश्चात्य संगीत तक सामित रहते हैं, ऐसे में एक आर्मी बैंड को शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण देना किसी के लिए भी हैरत में डालने वाला था। हम भी उस समय काफी अचंभित हुए थे जब शास्त्रीय संगीत की बारीकियों को सीखने के लिए बैंड ने हमसे सम्पर्क किया।"

कुमाऊं रेजीमेंट के बैंड स्ट्रिंग को भातखंडे में शस्त्रीय संगीत सीखते हुए एक महीने से ज्यादा का समय हो गया है। दुबे ने याद करते कहा, "गार्मयों की कार्यशाला के दौरान आर्मी बैंड ने हमसे सम्पर्क किया था।

कोई निर्णय लेने से पहले हमने पहले बैंड की प्रस्तुति देखने का फैसला किया, क्योंकि हमें इस बात को लेकर को संदेह था कि बैंड के सदस्य शास्त्रीय संगीत में बेहतर कर सकते हैं।"

दुबे कहते हैं, "बैंड ने जो प्रस्तुति दी उसमें संगीत की बारीकियों से संबंधित कई कमियां थीं, लेकिन उनकी प्रस्तुति की एक खास बात यह रही कि बैंड के सारे सदस्य संगीत के प्रति बहुत जिज्ञासु लग रहे थे। उनमें संगीत सीखने की ललक दिख रही थी।"

भातखंडे विश्वविद्यालय ने आर्मी बैंड के लिए एक नए लघु पाठ्यक्रम की शुरुआत की। दुबे ने बताया कि शास्त्रीय संगीत को लेकर आर्मी बैंड की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उनके लिए यह कोर्स शुरू किया गया।

उन्होंने कहा, "हम उन्हें एक साल के इस पाठ्यक्रम से शात्रीय संगीत का विशेषज्ञ तो नहीं बना सकते लेकिन हिंदुस्तानी संगीत के बुनियादी सिद्धांतों के आधार पर हम प्रशिक्षत कर उन्हें पहले से ज्यादा मनोरंजक और जीवंत प्रस्तुति देने के काबिल बना सकते हैं।"

दुबे के अनुसार बैंड के सभी सदस्यों को वायलिन, बांसुरी और तबला जैसे अलग-अलग वाद्ययंत्र बजाने का प्रशिक्षण तो दिया ही जाता है। इसके साथ उन्हें शास्त्रीय संगीत की शुरुआती शिक्षा जिसमें बिलावल और यमन जैसे राग की जानकारी दी जा रही है।

उन्होंने कहा, "हम आगे उन्हें फ्यूजन संगीत की भी शिक्षा देंगे ताकि वे भविष्य में संगीत की विविध प्रस्तुतियां दे पाएं।"

दुबे ने आर्मी बैंड के सदस्यों से मिलवाने और बात करवाने से साफ इंकार करते हुए कहा कि ये हमारे और सेना के बीच के विश्वास को तोड़ना होगा।

उल्लेखनीय है कि पंचमढ़ी में एक ऐसा संगीत केंद्र विद्यमान है जहां से सेना के लिए संगीत कलाकार तैयार किए जाते हैं।

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